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उर्दू भाषा शांति एकता] भाईचारे] प्रेम और वैश्विक कल्याण की संदेशवाहक है: डा0 रमेश पोखरियाल निशंक

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Dated: 27.08.2020 उर्दू भाषा के विकास के लिए] स्वयं को समय के अनुकूल बनाना आवश्यक है: प्रो शाहिद अख्तर लेखकों का काम केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं] राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों को लेखन का विषय बनाना आवश्यक हैः डॉ अकील अहमद राष्ट्रीय उर्दू परिषद के दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में] शिक्षा मंत्री ने उर्दू के प्रचार के लिए परिषद की सेवाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए, परिषद की ओर से अगले साल से अमीर  खुसरो] मिर्जा गालिब] राम बाबू सक्सेना और दया शंकर नसीम के नाम पर उर्दू लेखकों को पुरस्कार देने की घोषणा नई दिल्लीः उर्दू दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी भाषा है और इसकी सुगंध भारत की जड़ों में बसी हुई है। इसके शब्दों में] मानवतावाद] एकजुटता] एकता और मानव कल्याण का संदेश है। यह विचार ]इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के युग में उर्दू लेखकों की जिम्मेदारियां ]विषय पर उर्दू भाषा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय परिषद के तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय उर्दू वेबिनार में अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री डा0 रमेश पोखरियाल निशंक ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उर

कौन लोग हैं जिन्हें 'बच्चे की दुआ' से दिक़्क़त है?: नज़रिया

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नासिरूद्दीन वरिष्ठ पत्रकार,बीबीसी हिंदी के लिए 25 अक्तूबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट ALLAMAIQBAL.COM कुछ उर्दू/ हिन्दुस्तानी अलफ़ाज़ हों, कहीं ख़ुदा, रब या अल्लाह जैसे शब्द आ जायें और लिखने वाले को इक़बाल कहते हों तो कुछ लोगों के कान खड़े होने के लिए इतना काफ़ी है. उनके लिए शब्दों के भेद जानना अहम नहीं है. उनके ज़हन में शब्दों से निकलने वाली आवाज़ों की छवियाँ हैं. उन छवियों में कोई धर्म है. उस धर्म की ख़ास छवि है. वही छवि उनके लिए असल मायने है. फिर चाहे, हम कितनी भी मानेख़ेज़ बात कहें, लिखें या बोलें, वे उन्हें उन छवियों से ही तौल देते हैं. सिरे से ख़ारिज करने की भरपूर कोशिश करते हैं. इस कोशिश में वे इतना आगे बढ़ जाते हैं कि 'भारत' शब्द से बनने वाली तस्वीर को ही तोड़ने लगते हैं. अगर हम वाक़ई में देखना चाहते हैं तो हाल के दिनों में ऐसा बहुत कुछ दिख सकता है. ताजा मामला एक नज़्म के सिलसिले में हैं. नज़्म लिखने वाले ने इसे 'बच्चे की दुआ'

यूपी में 'उर्दू प्रार्थना' कराने वाले एक शिक्षक के निलंबन मामला क्या है

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट TWITTER Image caption फ़ुरकान अली को निलंबित किए जाने की ख़बर सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले में बच्चों से उर्दू भाषा में प्रार्थना कराने के कथित आरोप में निलंबित प्रधानाध्यापक का निलंबन रद्द कर दिया गया है. हालांकि उनका उस स्कूल से दूसरी जगह तबादला कर दिया गया है. पीलीभीत के बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र स्वरूप ने बताया, "फ़ुरकान अली के मामले में जांच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है लेकिन मानवीय आधार पर उनका निलंबन वापस ले लिया गया है. अब वो एक शिक्षक के रूप में काम करेंगे न कि प्रधानाध्यपक के तौर पर. उनसे विभागीय क़ानूनों का पालन करने और अधिकारियों के निर्देशन में ड्यूटी करने के लिए कहा गया है." फ़ुरकान अली को बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से हिदायत भी दी गई है कि वे विभागीय निर्देश का पालन करें और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में अपने दायित्वों का निर्वहन करें. बीएसए का कहना है कि फ़ुरकान अली के ख़