कोरोना अपडेट: क्या हम भूल जाएंगे छूने का अहसास? एक दूसरे को छूकर ही नहीं बताया जा सकता है कि वो कितने क़रीब हैं. रिश्तों को दिल से महसूस करना फ़िज़िकल टच से ज़्यादा अहम है. कोरोना की वजह से हम एक दूसरे से सिर्फ़ शारीरिक तौर पर दूर हैं. दिल से हम आज भी उतने ही क़रीब हैं, जितने पहले थे और रहेंगे. फ़िलहाल जान की सलामती के लिए अपनों के बीच ये दूरी ज़रूरी है
कोरोना अपडेट: क्या हम भूल जाएंगे छूने का अहसास? एक दूसरे को छूकर ही नहीं बताया जा सकता है कि वो कितने क़रीब हैं. रिश्तों को दिल से महसूस करना फ़िज़िकल टच से ज़्यादा अहम है. कोरोना की वजह से हम एक दूसरे से सिर्फ़ शारीरिक तौर पर दूर हैं. दिल से हम आज भी उतने ही क़रीब हैं, जितने पहले थे और रहेंगे. फ़िलहाल जान की सलामती के लिए अपनों के बीच ये दूरी ज़रूरी है