कोरोना अपडेट: क्या हम भूल जाएंगे छूने का अहसास? एक दूसरे को छूकर ही नहीं बताया जा सकता है कि वो कितने क़रीब हैं. रिश्तों को दिल से महसूस करना फ़िज़िकल टच से ज़्यादा अहम है. कोरोना की वजह से हम एक दूसरे से सिर्फ़ शारीरिक तौर पर दूर हैं. दिल से हम आज भी उतने ही क़रीब हैं, जितने पहले थे और रहेंगे. फ़िलहाल जान की सलामती के लिए अपनों के बीच ये दूरी ज़रूरी है
कोरोना अपडेट: क्या हम भूल जाएंगे छूने का अहसास? 12 मई 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES नए कोरोना वायरस की महामारी ने हम सभी को ऐसे दौर से गुज़रने पर मजबूर कर दिया है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. लोगों से हंस कर मिलना, हाथ मिलाना, ख़ुशी से एक दूसरे को गले लगाना ज़्यादातर देशों की संस्कृति का हिस्सा है. लेकिन अब सब-कुछ बदल गया है. सोशल डिस्टेंसिंग ने हमें छूने के एहसास को भुला देने को मजबूर कर दिया है. एक ही घर में परिवार के लोग भी एक दूसरे से दूरी बना कर बैठते हैं. ग़लती से कोई किसी के नज़दीक आ भी जाए तो ख़ुद को ही अजीब लगने लगता है. हम उसे दूरी बनाने की ताकीद करने लगते हैं. ये सिलसिला सिर्फ़ लॉकडाउन तक ही नहीं रहने वाला है. बल्कि हमें अब इन आदतों के साथ जीना सीखना होगा. जिन देशों में कोरोना की रफ़्तार कम हुई है वहां अब लॉकडाउन हटाया जा रहा है. ज़िंदगी फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन जानकारों का कहना है कि अ