नेपाल क्या फिर से करवट लेने जा रहा है? भारत पर भी उठ रहे हैं सवाल
रजनीश कुमार बीबीसी संवाददाता, काठमांडू से 4 घंटे पहले नेपाल की राजधानी काठमांडू के कमलपोखरी में सोमवार दोपहर सैकड़ों की संख्या में वृहद नागरिक आंदोलन के लोग जुटे. यहाँ लोगों ने कमलपोखरी तालाब की मिट्टी का तिलक लगाया और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास बालुवाटार की तरफ़ मार्च करने लगे. सभी प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के 20 दिसंबर को संसद भंग करने के फ़ैसले का विरोध कर रहे थे. पुलिस ने इन्हें बीच में ही रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे. पुलिस ने बल का प्रयोग किया और कई लोग ज़ख्मी हो गए. इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कांतीपुर अख़बार के पूर्व संपादक नारायण वाग्ले को भी पुलिस ने लाठी से मारा. लेकिन वाग्ले ने प्रदर्शनकारियों को वहीं संबोधित करते हुए कहा कि ओली ने संविधान की धज्जियाँ उड़ा दी हैं. नारायण वाग्ले ने कहा, ''हमलोग शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे थे. पुलिस को इस आंदोलन को लेकर सूचित भी कर दिया था. हम निहत्थे हैं. लेकिन पुलिस ने दमन किया. अब तीसरे जनआंदोलन की शुरुआत हो चुकी है.'' इस आंदोलन में केपी ओली मुर्दाबाद के नारे भी लगे. विज्ञ