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#Nepal_Aalimi_Tablighi_Ijtima का खूबसूरत नज़ारा

तबलीगी इज्तिमा की कैसे हुई शुरुआत? तबलीगी इज्तिमा की शुरुआत आजादी से पहले साल 1927 में उस वक्त हुई थी, जब देशभर में आर्य समाज की ओर से घर वापसी का अभियान चलाया जा रहा था. दरअसल, मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था. लेकिन फिर भी वो लोग हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज मान रहे थे. जिसके बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धीकरण अभियान शुरू किया था. ये देखने के बाद साल 1927 में मोहम्मद इलियास अल कांधलवी ने भारत में आलमी तबलीगी इज्तिमा के जरिए इस्लाम धर्म फैलाने का आंदोलन शुरू किया. इसमें उन्होंने मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखने के लिए इस्लाम धर्म का प्रचार कर जानकारी दी और उन्हें इस्लाम धर्म का महत्व बताया. बता दें, तबलीगी इज्तिमा का उद्देश्य आध्यात्मिक इस्लाम को मुसलमानों तक पहुंचाना और फैलाना है. इस जमात के मुख्य उद्देश्य "छ: उसूल" जैसे-कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग थे. यह एक धर्म प्रचार आंदोलन है और अब यह आंदोलन दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है.