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Khoon mein koi Farq nahi Bas Rajniti ne Banta Hai

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Qanoon Apna Kaam kar raha yaa Qanoon se Koi Apna Kaam karwa raha ? Aakhir Wah kaun Hai Jo Qanoon ka Durupyog Karwa raha ?

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आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला संगीन है लेकिन सिर्फ नाम भर आ जाना काफी नहीं होता है। नाम आया है तो उसकी जांच होनी चाहिए और तय प्रक्रिया के अनुसार होनी चाहिए। एक पुराने केस में इस तरह से गिरफ्तारी संदेह पैदा करती है। महाराष्ट्र पुलिस को कोर्ट में या पब्लिक में स्पष्ट करना चाहिए कि क्या प्रमाण होने के बाद भी इस केस को बंद किया गया था? क्या राजनीतिक दबाव था? तब हम जान सकेंगे कि इस बार राजनीतिक दबाव में ही सही, किसी के साथ इंसाफ़ हो रहा है। अदालतों के कई आदेश हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने के ऐसे मामलों में इस तरह से गिरफ्तारी नहीं होती है। कानून के जानकारों ने भी यह बात कही है। इसलिए महाराष्ट्र पुलिस पर संदेह के कई ठोस कारण बनते हैं। जिस कारण से पुलिस की कार्रवाई को महज़ न्याय दिलाने की कार्रवाई नहीं मानी जा सकती।

 *जब गिरफ्तारी की ख़बर आई तो मैं व्हाट्स एप पर था। फिर तुरंत कपड़े धोने चला गया। नील डालने के बाद भी बनियान में सफेदी नहीं आ रही थी। उससे जूझ रहा था तभी किसी का फोन आया कि चैनल खोलिए अर्णब गिरफ्तार हुए हैं। मैंने कहा कि उन्हीं जैसौं के कारण तो मेरे घर में न्यूज़ चैनल नहीं खुलता है।* मैं आज क्यों लिख रहा हूं, अर्णब की गिरफ्तारी के तुरंत बाद क्यों नहीं लिखा? (Ravish Kumar) आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला संगीन है लेकिन सिर्फ नाम भर आ जाना काफी नहीं होता है। नाम आया है तो उसकी जांच होनी चाहिए और तय प्रक्रिया के अनुसार होनी चाहिए। एक पुराने केस में इस तरह से गिरफ्तारी संदेह पैदा करती है। महाराष्ट्र पुलिस को कोर्ट में या पब्लिक में स्पष्ट करना चाहिए कि क्या प्रमाण होने के बाद भी इस केस को बंद किया गया था? क्या राजनीतिक दबाव था? तब हम जान सकेंगे कि इस बार राजनीतिक दबाव में ही सही, किसी के साथ इंसाफ़ हो रहा है। अदालतों के कई आदेश हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने के ऐसे मामलों में इस तरह से गिरफ्तारी नहीं होती है। कानून के जानकारों ने भी यह बात कही है। इसलिए महाराष्ट्र पुलिस पर संदेह के कई ठोस का

अदालतों पर भरोसे की बहाली का फ़ैसला...

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Ravish Kumar चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा ने साफ कह दिया कि 50 लोगों के बैनर लगा कर यूपी सरकार ने मौलिक अधिकारों का और आर्टिकल 21 के तहत मिले जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है. Published : March 10, 2020 00:26 IST पूरी दुनिया में कच्चे तेल के दामों में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट से खलबली है कि कहीं अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल अब बैठ न जाए. भारत में खलबली है कि कब मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर जाए. पिछले कुछ दिनों से कमलनाथ की सरकार के मंत्री और विधायक कब गायब हो जाते हैं पता नहीं चलता. राजनीति अपने काम में लगी है और सारा कुछ हो जाने के बाद यस बैंक के पूर्व संस्थापक राणा कपूर के यहां छापेमारी हो रही है. कोई 4300 करोड़ की मनीलौंड्रिंग कर जाता है, लोगों के पैसे फंस जाते हैं तब उसके यहां छापा पड़ता हुआ दिखता है जबकि सरकार ही कहती है कि 2017 से यस बैंक भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की निगरानी में था. इलाहाबाद हाइकोर्ट में दो जजों की बेंच ने जो फैसला सुनाया है वो इन सब गतिविधियों से कम महत्वपूर्ण नहीं है. ऐसा फैस