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क्या आज़ादी की लड़ाई में दलितों, पिछड़ों के योगदान को मिटाने की कोशिश हो रही है?

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  राजेश कुमार आर्य बीबीसी हिंदी के लिए, गोरखपुर से चौरी-चौरा घटना के कुछ शहीदों के नामों में फेरबदल और उम्र क़ैद पाने वाले 14 स्वतंत्रता सेनानियों में से सिर्फ़ सवर्ण जाति से जुड़े एक व्यक्ति की प्रतिमा स्मारक में स्थापित किए जाने पर सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या ये स्वतंत्रता संग्राम में दलितों और पिछड़ों के योगदान को धीरे-धीरे मिटाने की कोशिश है? हालांकि, स्मारक में हुए बदलाव से जुड़े लोगों ने आरोपों को ग़लत बताते हुए कहा है कि 'ग़लती सुधार के लिए आवेदन दिया गया है.' पुरानी पट्टिका के 'श्री लौटू पुत्र शिवनन्दन कहार' में से 'कहार' शब्द नई तख़्ती से ग़ायब है. वहीं 'श्री रामलगन पुत्र शिवटहल लोहार' अब शहीद रामलगन पुत्र शिवटहल के नाम से दिख रहे हैं. शहीद लाल मुहम्मद के पिता हकीम फकीर का नाम अब महज़ 'हकीम' रह गया है. चौरी-चौरा कांड जिसके कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन लिया वापस 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के पोस्टर में नेहरू की तस्वीर नहीं, कांग्रेस ने उठाए सवाल इमेज स्रोत, RAJESH KUMAR ARYA/BBC लाल मुहम्मद को लाल अहमद और शिवनन्दन को शिवचरन

स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट से हटे नामों पर छिड़ी बहस, क्या है पूरा मामला?

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  इमरान क़ुरैशी बीबीसी हिंदी के लिए इमेज स्रोत, TOPICAL PRESS AGENCY/GETTYIMAGES भारत के दक्षिणी राज्य केरल में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से 387 नाम हटने के बाद से राज्य में विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. इस विवाद से एकबार फिर ध्रुवीकरण का मुद्दा उठ गया है. यह मुद्दा टीपू सुल्तान को लेकर अलग-अलग मत रखने वाले इतिहासकारों के विचार की ही तरह है. जहां कुछ इतिहास मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान को धुर हिंदू विरोधी मानते हैं और कुछ हिंदू मंदिरों का निर्माता बताते हैं. हालांकि केरल में टीपू सुल्तान के नाम की जगह मप्पिला नेता वरियामकुनाथ कुंजाहमद हाजी के नाम को लेकर दो बिल्कुल ही अलग मत रखने वाले लोग हैं. वरियामकुनाथ कुंजाहमद हाजी को भगत सिंह की ही तरह सम्मान दिया जाता है क्योंकि उन्होंने मक्का में निर्वासित जीवन जीने के बजाय अंग्रेज़ों के हाथों मरने को प्राथमिकता दी थी. हाजी और उनके सबसे क़रीबी सहयोगी अली मुसलियार का मालाबार क्षेत्र में, ख़ासतौर पर केरल में काफ़ी सम्मान है क्योंकि उन्होंने साल 1921 में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ मालाबार विद्रोह में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था. लेकिन भार