भारत में कोरोना से ज़्यादा मौत की नींद सुला रही यह बीमारी
नितिन श्रीवास्तव बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES क़रीब एक साल पहले तक मुंबई में रहने वाले, 41 वर्षीय, पंकज भवनानी की ज़िंदगी बेहतरीन चल रही थी. पत्नी राखी और दो जुड़वा बच्चों के साथ कॉर्पोरेट जगत में एक अच्छे ओहदे की नौकरी जारी थी लेकिन तभी अक्टूबर, 2019 में उन्हें ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) यानी तपेदिक की बीमारी का पता चला. टीबी ने पंकज के फेफड़ों पर हमला किया था और छह महीने के इलाज के बाद पंकज ने 80% रिकवरी भी कर ली. मुसीबतें और भी आनी थीं. फ़रवरी के टेस्ट में पता चल की टीबी बैक्टीरिया ने पंकज के ब्रेन (दिमाग़) को संक्रमित कर दिया है और तीन महीने के भीतर पंकज की आँखों की रौशनी चली गई और पैरों का संतुलन बिगड़ने लगा. उन्होंने बताया, "लॉकडाउन ख़त्म हो चुका था और 16 जुलाई के दिन छह घंटों तक मेरी ब्रेन सर्जरी की गई और इंफ़ेक्शन को साफ़ किया गया. 10 दिनों तक अस्पताल में बहुत स्ट्रॉन्ग दवाओं पर रखने के बाद मु