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भारत-चीन सीमा विवादः क्या ‘एलएसी’ बन गया है ‘एलओसी’?

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  सलमान रावी बीबीसी संवाददाता इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत और चीन की सेना बीच पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से एलएसी यानी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव पसरा हुआ है. इस तनाव के चलते ही कुछ सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चीन से लगी अपनी सीमा के पास बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचना बढ़ाने की दिशा में उतनी ही तेज़ी से काम करना चाहिए जितनी तेज़ी से चीन ने किया है. वैसे कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि भारत से लगी सीमा पर चीन ने सब कुछ अचानक नहीं किया है, बल्कि बीते दो दशक के दौरान उसने वहां धीरे-धीरे आधारभूत ढांचे तैयार किए हैं. हाल ही में  ब्लूमबर्ग  में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने चीन से लगी सीमा पर सैनिकों की तादाद काफ़ी बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक़, "भारत ने चीन से लगी 'लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल' यानी 'एलएसी' पर पचास हज़ार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है.'' ब्लूमबर्ग ने उत्तर क्षेत्र के पूर्व लेफ़्टिनेंट जनरल डी एस हुडा के हवाले से कहा है कि दोनों तरफ़ से फ़ौजों की इतनी बड़ी तैनाती ही चिंताजनक है. उन्होंन

अगर भारत अब इन 3 नदियों का पानी रोकता है तो पाकिस्तान को पूरी दुनिया से सहानुभूति मिलेगी ।

#ShaikhJawwad FBP/16-357 अब सिन्धु नदी का जुमला :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितने शातिर हैं उनके भक्त उतने ही बेवकूफ , बोले तो "झंडू"। जिनको संतुष्ट करने के लिए नरेंद्र मोदी इस हद तक बेवकूफी भरे बयान दिलवा रहे हैं जिससे उनके प्रति भक्तों की उम्मीद बनी रहे कि वह पाकिस्तान के विरुद्ध कार्यवाही कर रहे हैं। ताजा जुमला सिंधु नदी समझौते को तोड़ने की विदेश मंत्रालय की धमकी है। आइए सिन्धु नदी समझौते की हकीकत समझते हैं, इस समझौते में 6 नदियों के जल का बटवारा किया गया है , सतलज, रावी , ब्यास,सिंधु, चिनाब और झेलम। सतलज रावी और व्यास के पानी पर भारत का पुर्ण अधिकार है जिसका वह यथासंभव उपयोग करता है परन्तु सिन्धु , चिनाब और झेलम के पानी का वह 20% पानी ही उपयोग कर सकता है। शेष पाकिस्तान की ओर जाने देता है। सिंधु नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसकी लंबाई 3000 किलोमीटर से अधिक है यानी ये गंगा नदी से भी बड़ी नदी है। अपनी सहायक नदियों के साथ सिंधु नदी पाकिस्तान में जाकर एक हो जाती हैं। सिंधु नदी बेसिन करीब साढ़े ग्यारह लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। अर्थात उत्तर