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बीजेपी ने तमाम प्रलोभन देकर पार्टी में शामिल किया था. वह धोखेबाज़ पार्टी है. यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कोई विकल्प नहीं है. हम उनकी विकास योजनाओं में शरीक होना चाहते हैं. हमने टीएमसी को बदनाम किया है. हम टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. लेकिन अब घर लौटना चाहते हैं."

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  पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक रूप से माफ़ी क्यों मांग रहे हैं बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता? प्रभाकर मणि तिवारी बीबीसी हिंदी के लिए, कोलकाता से 15 जून 2021 इमेज स्रोत, SANJAY DAS/BBC इमेज कैप्शन, सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकर पर माफ़ी मांग कर टीएमसी में वापसी की गुहार लगाते बीजेपी नेता मुकुल राय की टीएमसी में वापसी के बाद ऐसे लोगों की भीड़ बढ़ गई है जो बीजेपी से टीएमसी में वापस लौटना चाहते हैं. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगते हुए टीएमसी में वापसी की गुहार लगा रहे हैं. ऐसी स्थिति क्यों हैं, इस पर बीजेपी के राज्य यूनिट के लोगों का कहना है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का आतंक. लेकिन टीएमसी का जवाब है कि लोगों को अब अपनी ग़लती का अहसास हो गया है. बीजेपी के बड़े नेताओं की वापसी या ऐसा करने के इच्छुक नेताओं की सूची लगातार लंबी होने के बीच ही राज्य के विभिन्न इलाकों में बीजेपी के ज़मीनी कार्यकर्ता भी टीएमसी में लौटने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए वो सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के अलावा टीएमसी के प्रति निष्ठा की शपथ ले रहे ह

AmitShah के बेटे जय शाह क्यों याद आए ?

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पश्चिम बंगाल ! सत्ता हथियाने का हथियार बनी दुर्गा पूजा ? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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पश्चिम बंगाल: दुर्गा पूजा के सहारे अपनी राजनीति चमका रही हैं पार्टियां प्रभाकर एम. कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा पर इस साल सियासी रंग कुछ ज़्यादा ही चटख नजर आ रहे हैं. बीते लोकसभा चुनावों में भारी कामयाबी हासिल करने वाली बीजेपी इस मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एकाधिकार को कड़ी चुनौती दे रही है. इसके तहत पार्टी ने पूरे राज्य में 3,000 से ज्यादा स्टॉल लगाए हैं. पूजा के दौरान वहां से पार्टी की नीतियों और नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस यानी एनआरसी की ख़ूबियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस सरकार की कथित हिंसा और नाकामियों का प्रचार किया जा रहा है. दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के स्टॉलों पर एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रचार के अलावा राज्य सरकार की उपलब्धियों के पर्चे बांटे जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि पूजा के बहाने सियासत में जुटे यह दोनों दल एक-दूसरे पर सियासत के आरोप लगा रहे हैं. बंगाल में