पाकिस्तान और चीन दोस्त कैसे बने? आज किस मुकाम पर खड़े हैं दोनों देश?
विज्ञापन सक़लैन इमाम बीबीसी उर्दू सेवा 23 दिसंबर 2020 इमेज स्रोत, GETTY IMAGES 1950 के दशक में कोई सोच नहीं सकता था कि पाकिस्तान और चीन कभी बेहतरीन दोस्त होंगे और दोस्ती भी इतनी गहरी कि कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करने के बाद भी यह बरकरार रहेगी. यह तो बिल्कुल भी नहीं सोचा गया था कि चीन के लिए पाकिस्तान 'इसराइल जैसा' बन जाएगा. पाकिस्तान मुस्लिम मुल्कों में पहला और दुनिया का ऐसा केवल तीसरा देश था, जिसने सोशलिस्ट क्रांति के बाद चीनी गणतंत्र को मान्यता दी थी. पाकिस्तान ने इस मान्यता की घोषणा 4 जनवरी 1950 को कर दी थी. अगले ही साल 21 मई 1951 को पाकिस्तान के चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए और मेजर जनरल आग़ा मोहम्मद रज़ा को पाकिस्तान ने बीजिंग में अपना राजदूत तैनात कर दिया. पाकिस्तान और चीन के संबंधों पर एक ब्रिटिश पत्रकार एंडर यू स्माल ने अपनी किताब 'द चाइना पाकिस्तान ऐक्स -एशियाज़ न्यू जियो पालिटिक्स' में लिखते हैं कि "चीन के सर्वोच्च नेता माओत्से तुंग ने पाकिस्तानी राजदूत के पदभार ग्रहण के डॉक्युमेंट्स को स्वीकार करते समय कोई विशेष गर्मजोशी नहीं दिखाई."