विनोद दुआ: आने वाली नस्लें याद रखेंगी, एक ऐंकर ऐसा भी था
डॉ मुकेश कुमार मीडिया विश्लेषक 4 दिसंबर 2021, 18:12 IST अपडेटेड एक घंटा पहले इमेज स्रोत, FB जाने-माने टीवी ऐंकर विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत है. यहाँ 'एक युग का अंत' घिसा-पिटा मुहावरा या अतिश्योक्ति नहीं है, वह सच्चाई है. ख़ास तौर पर हिंदी टीवी पत्रकारिता के लिए. उन्हीं की वज़ह से टीवी पर हिंदी पत्रकारिता पहली बार जगमगाई थी. उस समय जब टीवी की दुनिया दूरदर्शन तक सिमटी थी और टीवी पत्रकारिता नाम के लिए भी नहीं थी, विनोद दुआ धूमकेतु की तरह उभरे थे. इसके बाद वे लगभग साढ़े तीन दशकों तक किसी लाइट टॉवर की तरह मीडिया जगत के बीच जगमगाते रहे. दूरदर्शन पर उनकी शुरुआत ग़ैर समाचार कार्यक्रमों की ऐंकरिंग से हुई थी, मगर बाद में वे समाचार आधारित कार्यक्रमों की दुनिया में दाखिल हुए और छा गए. चुनाव परिणामों के जीवंत विश्लेषण ने उनकी शोहरत को आसमान तक पहुँचा दिया था. प्रणय रॉय के साथ उनकी जोड़ी ने पूरे भारत को सम्मोहित कर लिया था. दरअसल, विनोद दुआ का अपना विशिष्ट अंदाज़ था. इसमें उनका बेलागपन और दुस्साहस शामिल था. जनवाणी कार्यक्रम में वे मंत्रियों से जिस तरह से सवाल पूछते य