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*पटना का जायका* @#SocialVuralPost

  आजादी से पहले खुला गांधी मैदान में *‘सोडा फाउंटेन’*। 12 मई 1947 को गांधी मैदान के पूरब में एक रेस्टोरेंट खुला। यहां ओपेन गार्डेन में समोसे और पकौड़ी खाने की व्यवस्था थी। नाम था- सोडा फाउंटेन। इंग्लैंड से मंगाई गई सोडा फाउंटेन मशीन के कारण इसका नामकरण हुआ। कहा जाता है कि एक दौर में पटना यूनिवर्सिटी में कोई ऐसा छात्र नहीं होता था, जिसने वहां की पकौड़ी या समोसा न चखा हो।  28 अगस्त 1973 को यह होटल पटना विश्वविद्यालय के छात्रों के गुस्से की भेंट चढ़ गया। संस्थापक सत्यनारायण झुनझुनवाला के पोते समीर झुनझुनवाला बताते हैं कि कि साढ़े सात रुपये का बकाया कुछ स्टूडेंट नहीं देना चाहते थे। बात बढ़ती गई। मारपीट होने लगी और पीयू के करीब 5000 छात्रों ने हमला कर दिया था और आग लगा दी थी।  पटना में आज डोमिनोज, पिज्जा हट, केएफसी और मैकडोनॉल्ड जैसे कई इंटरनेशल फूड चेन हैं। मगर एक दौर वो भी था जब खाने-पीने के लिए गिनी-चुनी दुकानें थीं।  *सुबह का नाश्ता पिंटू होटल में* होता था,  तो *रात का खाना पाल होटल में*।  नॉन वेज के शौकीन *महंगू होटल* का रुख करते थे तो मिठाइयों के कद्रदान *लखनऊ स्वीट्स* का। *कॉफी हाउस

आपने भी देखा क्या ? धर्म के फर्जी ठीकेदारों की पोल खोलती MonikaSingh की ट्वीट

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करोड़ो हिन्दू मजदूर सड़क और भूखे प्यासे है कंहा गए हिंदुओ के ठेकेदार भगवाधारी, इनकी मदद करने क्यों नही आ रहे ? अब हिन्दू खतरे में नही है क्या ? अब अकेला हिन्दू नही, बल्कि हिन्दू के बच्चे, हिन्दू का परिवार, हिन्दू की नौकरी और उस हिन्दू की जिंदगी भी खतरे में आ गयी है । — Monika Singh (@MonikaSingh__) May 14, 2020

भारत मे मात्र एक दल बीजेपी ही राष्ट्र भक्त है और सारे राष्ट्र विरोधी, किस आधार पर और कैसे ? - ध्यान रहे राष्ट्र के जवानो पर हुये हमले पुलवामा का अभी तक कोई खुलासा नही हो सका है । - तमाम सरकारी सम्पत्तियों को बेच देने वाला दल किस तरह का राष्ट्र भक्त और राष्ट्र हितैषी माना जा सकता है ? - यह राष्ट्रवादी दल राष्ट्र के नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं ( शिक्षा - स्वास्थ्य - रोजगार - सुरक्षा आदि ) पर अपनी उपलब्धियों को क्यों नही चुनाव के दौरान जनता के सामने रख सका ? - यदि इसमे इसने कोई उपलब्धि हासिल नही की है तो किस तरह से इसको विकासवादी सिद्ध किया जा रहा है ?

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दिल्ली मे बिजली पानी की मुफ्त घोषणा पर जिन मतदाताओं को मुफ्तखोर सिद्ध कर दिया जा रहा है, उसी दिल्ली मे "यदि हमारी सरकार बनी तो छात्राओं को मुफ्त स्कूटी दी जायेगी" को किस रुप मे देखा जा सकता है ? - क्या मतदाताओं का अपमान नही हो रहा है, ऐसी बातों से ? - इसके पहले जो कुछ अन्य प्रदेशों मे नागरिकों देने की बात की गई है  / दिया गया है, जैसे - रसोई गैस सिलेंडर, 6000 रुपये, कर्ज माफी आदि को किस रुप मे रखा जा रहा है ? - यह सब मुफ्तखोरी की संज्ञा से बाहर कैसे ? मतलब आप बाटों तो राष्ट्रहित और जनता का हक और कोई दूसरा बाटे तो देशद्रोही, मुफ्त्खोरी और हरामखोरी । एक और महत्वपूर्ण सवाल  - - भारत मे मात्र एक दल बीजेपी ही राष्ट्र भक्त है और सारे राष्ट्र विरोधी, किस आधार पर और कैसे ? - ध्यान रहे राष्ट्र के जवानो पर हुये हमले पुलवामा का अभी तक कोई खुलासा नही हो सका है । - तमाम सरकारी सम्पत्तियों को बेच देने वाला दल किस तरह का राष्ट्र भक्त और राष्ट्र हितैषी माना जा सकता है ? - यह राष्ट्रवादी दल राष्ट्र के नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं  ( शिक्षा - स्वास्थ्य - रोजगार - सुरक्षा आदि ) पर अपनी