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न्यायपालिका सिर्फ़ संविधान के प्रति जवाबदेह- भारत के चीफ़ जस्टिस रमन्ना

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  इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने 'लोकतंत्र में न्यायपालिका' विषय पर अपने एक संबोधन में कहा कि न्यायपालिका सिर्फ़ संविधान के प्रति जवाबदेह है, ना की किसी राजनीतिक दल और विचारधारा के प्रति. इंडियन एक्सप्रेस  की एक ख़बर के अनुसार, भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने अपने संबोधन में न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने की कोशिश करने वाली 'ताक़तों' पर निशाना साधते हुए यह बात कही. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी चाहती है कि न्यायपालिका, सरकार के हर क़दम का समर्थन करे जबकि विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि न्यायपालिका अपने पद और कारणों से आगे निकलकर काम करे. सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन-अमेरिकन्स के एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा, "जैसा कि हम इस साल आज़ादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाने जा रहे हैं और हमारा गणतंत्र अपने 72 साल देख चुका है, मैं यहां ये ज़रूर जोड़ते हुए कहना चाहता हूं कि हमने अभी तक संविधान के द्वारा हर संस्थान को सौंपी गई उसकी भूमिका और ज़िम्मेदारियों का सम्मान

पुलिस स्टेशन पर मानवाधिकारों को सबसे ज़्यादा ख़तरा: CJI रमन्ना

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  8 अगस्त 2021 इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस रमन्ना भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने रविवार को दिए एक बयान में कहा है कि पुलिस स्टेशन मानवाधिकारों और मानवीय सम्मान के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं. जस्टिस रमन्ना ने कहा कि मानवाधिकार सबसे पवित्र होते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संवैधानिक गारंटी के बावजूद पुलिस हिरासत में उत्पीड़न और मौत अब भी प्रचलन में हैं. उन्होंने कहा, ''मानवाधिकारों और मानवीय सम्मान के लिए सबसे बड़ा ख़तरा पुलिस स्टेशन हैं. हाल की रिपोर्टों को देखा जाए तो विशेषाधिकार प्राप्त लोग भी थर्ड डिग्री व्यवहार से बच नहीं पाते हैं.'' विज्ञापन जस्टिस रमन्ना ने कहा कि पुलिस हिरासत में आए व्यक्ति के पास तुरंत क़ानूनी सहायता उपलब्ध नहीं होती है और हिरासत के पहले घंटे आमतौर पर ये तय करते हैं कि अभियुक्त का क्या होगा. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें पीएफ़ सेविंग्स के 37 करोड़ रुपये अवैध तरीक़े से निकाले गए - प्रेस रिव्यू चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने बताया, देश में न्याय व्यवस्था कै

Prashant Bhushan मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सजा मामले पर क्या क्या हुआ ?

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प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी माँगने से किया इनकार

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगने से इनकर कर दिया है. उन्होंने कहा है कि 'उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफ़ी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं.' सोमवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने लिखा कि 'आज के परेशानी भरे दौर में, भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद बंधती है तो वो सर्वोच्च न्यायालय है ताकि देश में क़ानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, नाकि किसी निरंकुश व्यवस्था को.' अपने जवाब में उन्होंने लिखा, "यही वजह है कि जब चीज़ें भटकती हुई दिखें, तो हम बोलें. इस अदालत से मिला ज़िम्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है." विज्ञापन उन्होंने लिखा, "मेरे बयान सद्भावनापूर्ण थ