कोरोना वायरस: बिहार के सिविल सर्जन को 'झोला छाप डॉक्टरों' की ज़रूरत क्यों पड़ी?
नीरज प्रियदर्शी पटना से बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट NEERAJ PRIYADARSHY कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दरम्यान बिहार में बाहर से लाखों की संख्या में लोग आए हैं. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ़ से जारी आंकड़ों के अनुसार दो अप्रैल तक ऐसे चार लाख 35 हजार 10 लोगों की जांच की गई है. सरकार ने घोषणा कर रखी है कि बाहर से आए हर शख़्स को उसके घर के पास बने अस्थाई क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिनों के लिए रखा जाएगा. इन्हीं क्वारंटाइन सेंटर पर व्यवस्था के लिए सिवान के सिविल सर्जन ने 25 मार्च को एक आदेश जारी किया जिसमें लिखा गया, "कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी प्रखंडों में झोला छाप चिकित्सकों को चिन्हित करते हुए उनसे इलाज हेतु सहमति पत्र लेते हुए प्रशिक्षण देना है. इसलिए अपने क्षेत्र के झोला छाप चिकित्सकों की सूची व मोबाइल नंबर भेजकर 26 मार्च से प्रशिक्षण देना शुरू करें." इमेज कॉपीरइट NEERAJ PRIYADARSHY Image caption सिविल सर्जन का आदेश क