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भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बड़ा झटका लगा है: रघुराम राजन -आज की बड़ी ख़बरें

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  20 मार्च 2021, 11:53 IST अपडेटेड 48 मिनट पहले इमेज स्रोत, MOHD ZAKIR/HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर और मशहूर अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने अशोका विश्वविद्यालय से प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफ़े पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि "भारत में इस हफ़्ते अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बड़ा झटका लगा है." राजन ने लिखा कि "अशोका विश्वविद्यालय इस हफ़्ते तक अगले एक दशक में केंब्रिज, हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड को टक्कर देने की क्षमता रखता था. लेकिन इस हफ़्ते के कदम के बाद इसकी उम्मीद कम रह गई है." रघुराम राजन ने प्रताप भानु मेहता को देश के बेहतरीन राजनीति विज्ञानियों में से एक करार दिया. उन्होंने कहा कि मेहता सरकार के लिए कांटे की तरह हैं. उन्होंने कहा कि वो कोई आम 'कांटा' नहीं हैं क्योंकि वो अपने तर्क से बड़े अधिकारियों, सरकार और सुप्रीम कोर्ट को सीख देते हैं. विज्ञापन हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका विश्वविद्यालय सुर्खियों में उस वक़्त आया जब शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता ने यूनिवर्सिटी से इस्तीफ़ा दे दिया. छोड़कर और ये भी पढ़

भारत के लिए प्रोपेगैंडा करने के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में भारत की एक न्यूज़ एजेंसी का नाम आया

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  आबिद हुसैन और श्रुति मेनन बीबीसी उर्दू, बीबीसी रियलिटी चेक 11 दिसंबर 2020 अपडेटेड 12 दिसंबर 2020 इमेज स्रोत, REUTERS इमेज कैप्शन, साल में तीन बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल की बैठक होती है जिसमें मावाधिकार सुनिश्चित करने के संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के रिकॉर्ड्स की समीक्षा की जाती है यूरोपीय यूनियन में फ़ेक न्यूज़ पर काम करने वाले एक संगठन 'ईयू डिसइन्फ़ोलैब' ने दावा किया है कि पिछले 15 सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नेटवर्क काम कर रहा है जिसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बदनाम करना और भारत के हितों को फ़ायदा पहुँचाना है. ईयू डिसन्फ़ोलैब ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस काम के लिए कई निष्क्रिय संगठनों और 750 स्थानीय फ़र्ज़ी मीडिया संस्थानों का इस्तेमाल किया गया. जाँच में ये बात भी सामने आई है कि इसके लिए एक मृत प्रोफ़ेसर की पहचान भी चुराई गई. इस दुष्प्रचार अभियान के लिए जिस व्यक्ति की पहचान चुराई गई उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के जनक में से एक माना जाता है. इनकी मौत साल 2006 में हुई, उस वक़्त वो 92 साल के थे. जाँच करने वाली संस्था  ईयू ड