भारत को 'जवाब देने के लिए' इमरान ने बनाई टीम


इमरान ख़ानइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
भारत प्रशासित कश्मीर में जारी घटनाक्रम का क़ानूनी, राजनीतिक और कूटनीतिक जवाब देने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने सात सदस्यों की एक समिति बनाई है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि इस समिति में पाकिस्तान के विदेशमंत्री, एटॉर्नी जनरल, विदेश सचिव, आईएसआई, मिलिट्री ऑपरेशंस और आईएसपीआर के डायरेक्टर जनरल के साथ प्रधानमंत्री के विशेष दूत अहमद बिलाल सूफ़ी शामिल हैं.
आदेश
इससे पहले, जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद पाकिस्तान की संसद में संयुक्त सत्र बुलाया गया है जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपनी बात रखी है.
इमरान ख़ान ने अपने भाषण में कहा है कि भारत में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी नस्लवादी श्रेष्ठता की विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रही है और वही कर रही है जो जर्मनी में नाज़ी पार्टी ने किया था.
उन्होंने कहा कि सत्ताधारी बीजेपी और आरएसएस भारत के हिंदुओं को मुसलमानों से बेहतर समझते हैं और उन पर क़ाबिज़ होना चाहते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि कश्मीर में नस्लीय सफ़ाया करने और वहां की आबादी का चरित्र बदलने की तैयारी की जा रही है.
हालांकि अभी तक भारत की ओर से इमरान ख़ान के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
वैसे भारत सरकार हमेशा यह कहती रही है कि वह कश्मीर के मुद्दे पर तब तक कोई बात नहीं करेगी जब तक पाकिस्तानी ज़मीन से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को बंद नहीं किया जाता.

पढ़िए प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाकिस्तानी संसद में क्या कहा-

ये जो संयुक्त सत्र है इसकी अहमियत सिर्फ़ कश्मीरियों के लिए ही नहीं है बल्कि ये पूरी दुनिया के लिए संदेश है.
जब हमारी सरकार आई तो मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता थी कि पाकिस्तान में ग़रीबी ख़त्म की जाए. हमने फ़ैसला किया कि सभी पड़ोसियों से रिश्ते ठीक किए जाएं.
जब तक तनाव रहता है, अस्थिरता रहती है, उसका सबसे ज़्यादा असर अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ता है और आप लोगों को ग़रीबी से नहीं निकाल सकते.
मैंने सत्ता संभालते ही भारत से कहा कि अगर आप एक क़दम हमारी ओर बढ़ाएंगे तो हम दो क़दम आपकी ओर बढ़ाएंगे.
अमरीकी दौरे के दौरान भी मैंने ये कोशिश की कि पहले से चले आ रहे मुद्दों को सुलझाया जा सके ताकि पाकिस्तानी में निवेश आए और हम लोगों को ग़रीबी से निकाल सकें.
मैंने जब पहली बार नरेंद्र मोदी से बात की तो उन्होंने कई अंदेशे ज़ाहिर किए. कहा कि आपके देश में ट्रैनिंग कैंप चलते हैं.
मुसलमानों का प्रदर्शनइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionइस्लामी आंदोलन बांग्लादेश ने कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने का विरोध किया है
तब मैंने उन्हें समझाया कि पेशावर में स्कूल पर हुए हमले के बाद हमने एक नेशनल एक्शन प्लान बनाया है जिसके तहत हमने तय किया है कि हम देश में किसी ट्रैनिंग कैंप को नहीं चलने देंगे.
हमने उनसे बात शुरू करने की कोशिश की, हमें अहसास हुआ कि उनकी बातचीत में कोई रूचि नहीं है. फिर पुलवामा में हमला हो गया. हमने पूरी कोशिश की उन्हें समझाने की कि इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है.
लेकिन हमें अहसास हो गया था कि वहां चुनाव हैं और उन्हें पाकिस्तान को ही बलि का बकरा बनाना है. उन्होंने अपने देश में युद्धोन्माद बनाया, ताकि वो पाकिस्तान विरोधी भावना पैदा करके अपने देश में चुनाव जीत लें.
उन्होंने डोज़ियर बाद में भेजा पहले अपने विमान पाकिस्तान भेज दिए. हमने उनका पायलट पकड़ा और तुरंत छोड़ दिया ये ज़ाहिर करने के लिए कि पाकिस्तान का तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है.
हम चुप बैठ गए और भारत में चुनाव ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगे. लेकिन बाद में जब हमने उनसे बात करने की कोशिश की तो उनके रवैये को देखकर हमें ये अहसास हो गया कि वो अमन की हमारी कोशिशों को हमारी कमज़ोरी समझते हैं.
अमरीका यात्रा के दौरान मैंने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में एक अरब के करीब लोग कश्मीर मुद्दे के बंधक हैं. मैंने उनसे मध्यस्थतता की गुज़ारिश की लेकिन भारत ने इसे भी नकार दिया है.
अब भारत ने कश्मीर में जो किया है वो बीजेपी की विचारधारा है. ये आरएसएस की विचारधारा पर आधारित है. इनके संस्थापक गोलवलकर और अन्य की विचारधारा स्पष्ट है.
उनकी विचारधारा ये थी कि वो मुसलमानों का हिंदुस्तान से नस्लीय सफ़ाया करेंगे. उनके लिए हिंदुस्तान सिर्फ़ हिंदुओं का है. उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि हिंदुस्तान सबका होगा.
पाकिस्तानी सेना के अधिकारीइमेज कॉपीरइटISPR
Image captionपाकिस्तान की सेना ने कश्मीर के हालातों पर चर्चा के लिए बैठक की है
वो हिंदू राज था. उनके दिलों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत थी. उन्हें क्रोध था कि मुसलमानों ने सैकड़ों साल राज किया है. वो हिंदुस्तान के मुसलमानों को दबाकर और दूसरे दर्जे का नागरिक बनाकर रखना चाहते हैं. भारत के हिंदू मुसलमानों को अपने बराबर नहीं मानते हैं.
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने इस विचारधारा को बहुत पहले ही देख लिया था.
पाकिस्तान के संस्थापक क़ायद-ए-आज़म ने कहा था कि पाकिस्तान में सब बराबर होंगे. सब अपने धर्मस्थलों में जाने के लिए आज़ाद रहेंगे.
उनकी ये सोच पैगंबर ए इस्लाम की सोच से प्रभावित थी. पैगंबर ने कहा था कि हम सब आदम की औलाद हैं, हम सब बराबर हैं चाहें हमारा रंग जो भी है. पाकिस्तान इसी नज़रिए पर बना है. पाकिस्तान में नफ़रत नहीं थी.
जब जिन्ना पाकिस्तान बनाने के प्रयास कर रहे थे तब वो समझ गए थे कि उनकी लड़ाई किस विचारधारा से है. वो समझ गए थे कि मुसलमानों को अंग्रेज़ी की ग़ुलामी के बाद हिंदुओं की ग़ुलामी करनी होगी. उनका ये डर जब मुसलमानों की समझ में आया तब पाकिस्तान बनाने के लिए मूवमेंट शुरू हुआ.
कश्मीर के वो लोग जो राष्ट्रों की विचाधारा को नकारते थे वो आज अपने मुंह से कह रहे हैं कि जिन्ना की दो राष्ट्रों की थ्यौरी सही थी.
आज हिंदुस्तान के लोग ये कह रहे हैं कि वहां अल्पसंख्यक, चाहे मुसलमान हों या ईसाई, बराबर के नागरिक नहीं है.
पाकिस्तान की संसदइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
भारत में मौजूदा बीजेपी की सरकार गोश्त खाने वालों को लटका देती है. भीड़ लोगों को मार देती है. ये उनकी विचारधारा है. क्योंकि उनके संस्थापकों ने ये कह दिया है कि हम इनसे बेहतर है. आज हमारा मुक़ाबला एक नस्लवादी विचारधारा से है.
कश्मीर में जो उन्होंने किया है वो अपनी विचारधारा के मुताबिक किया है. वो ऐसा करने के लिए अपने संविधान, अपने सुप्रीम कोर्ट, जम्मू-कश्मीर के हाई कोर्ट, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, शिमला समझौते के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ गए हैं.
वो कह बैठे हैं कि वो कश्मीर की डेमोग्राफ़ी बदलना चाहते हैं. आबादी को बदलना जेनेवा कन्वेशन के ख़िलाफ़ है. इसे अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाता है.
वो पूरी तरह अपनी विचारधारा पर चल रहे हैं. उन्होंने अब क़ानून पारित करके कश्मीर को क़ब्ज़े में ले लिया है.
क्या वो कश्मीर के लोग, जिन पर ज़ुल्म हो रहा है. क्या कश्मीर के लोग अब ग़ुलाम बनने के लिए तैयार हो जाएंगे? नहीं, क्योंकि अब ये और ज़ोर पकड़ेगा. अब ये बहुत गंभीर मसला बन गया है.
वो जो ज़ुल्म बीते पांच साल से कर रहे थे, कश्मीर में अब वो और ज़्यादा करेंगे. वो कश्मीर के लोगों को और दबाएंगे.
उन्होंने ज़ाहिर कर दिया है कि वो कश्मीर के लोगों को अपने बराबर नहीं समझते हैं. वो उन्हें दबाते रहेंगे.
लेकिन जब वो उन्हें दबाएंगे तो इसकी प्रतिक्रिया भी होगी. पुलवामा जैसे हमले होंगे. फिर इल्ज़ाम पाकिस्तान पर लगाएंगे. दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का इसमें कोई हाथ नहीं है. मैं आज ये भविष्यवाणी करता हूं कि ये फिर पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाएंगे.
पाकिस्तान में प्रदर्शनइमेज कॉपीरइटEPA
Image captionपाकिस्तान के कई शहरों में प्रदर्शन हुए हैं
मुझे अब ख़ौफ़ है कि ये कश्मीर में लोगों का नस्लीय सफ़ाया करेंगे. कश्मीरी लोगों को बाहर निकालेंगे. वो कश्मीर के लोगों को ग़ुलामी के लिए दबाना चाहते हैं. जब ऐसा होगा तो इसके बहुत गंभीर परीणाम होंगे.
पुलवामा के बाद हिंदुस्तान ने अपने जेट भेजे और बालाकोट में हमला किया और हमें पता चला कि हमारे लोग नहीं मारे गए हैं, कोई कैज़ुएलटी नहीं हुई है तो हमने फ़ैसला किया किया और तय किया कि इसी तरह हम भी उनके इलाक़े में सांकेतिक तौर पर अपने जेट भेजकर जवाब देंगे. अगर हमारे लोग मरते तो हमारी वायुसेना के टारगेट भी लॉक थे. हम भी उनके लोगों को मार सकते थे.
मैं बार-बार ये कहता रहा हूं कि दो परमाणु ताक़त रखन वाले देशों को इस तरह के ख़तरे नहीं उठाने चाहिए.
मुझे इनमें एक तरह का घमंड नज़र आता है जो हर नस्लवादी में होता है. इनमें अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझने का घमंड है, ये अजीब माइंडसेट है, ये नस्लीय सर्वश्रेष्ठता में यक़ीन करते हैं. और इसी घमंड में ये कुछ कर सकते हैं.
वो कुछ करेंगे तो हम जवाब ज़रूर देंगे. ये नहीं हो सकता है कि वो पाकिस्तान में हमला करें और हम जवाब न दें.
ये चलता रहा तो क्या होगा? हम पारंपरिक युद्ध तक पहुंच सकते हैं.
युद्ध हुआ तो क्या होगा? हम जीत भी सकते हैं, हम हार भी सकते हैं? युद्ध का नतीजा कुछ भी सकते हैं.
फ़ारूक़ हैदरइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionपाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के प्रधानमंत्री राजा फ़ारूक़ हैदर संसद के संयुक्त सत्र में जाते हुए
तब हमारे पास दो रास्ते होंगे. हम बहादुर शाह जफ़र या टीपू सुल्तान में से किसी एक के नक़्शे क़दम पर चलना होगा. या तो हम हाथ खड़े कर दें या ख़ून के आख़िरी क़तरे तक लड़ेंगे.
और ये तय है कि जब ऐसे हालात आएंगे तो हम क्या करेंगे. मेरा जवाब है हम अपने ख़ून के आख़िरी क़तरे तक लड़ेंगे.
मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी से नहीं डरता है. हमारा दीन हममें इंसानियत डालता है. हमें दुनिया की फ़िक्र है. लेकिन अगर हम अपने ख़ून के आख़िरी क़तरे तक लड़ेंगे तो उस जंग में कोई नहीं जीतेगा. सब हार जाएंगे.
मैं दुनिया से ये अपील करता हूं कि उस देश को रोकें, जो सब अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन कर रहा है उसे रोका जाए.
दुनिया कश्मीरियों पर हो रहे ज़ुल्म पर चुप रही और उससे उसका हौसला बढ़ता रहा. अब दुनिया के पास कार्रवाई करने का मौक़ा है.
ये इतिहास का वो दौर है,
इनकी पार्टी वही हरक़तें कर रही है वो जर्मनी की नाज़ी पार्टी करती थी. इन्होंने हिंदुस्तान के विपक्ष को दीवार से लगा दिया है. हर वो चीज़ की है जो कि हिंदुस्तान के लोकतंत्र के अलावा, हिंदुस्तान के चरित्र थे, इनके संस्थापकों के चरित्र थे, उस पर हमला कर रहे हैं. महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के सिद्धांतों का ख़त्म कर रहे हैं.
ये वो विचारधारा है इसे अभी नहीं रोका गया तो...
अगर दुनिया आज कार्रवाई नहीं करेगी, विकसित देश अगर अपने बनाए गए क़ानूनों पर ही नहीं चलेंगे तो आगे जो होगा उसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं होंगे.
अब ये बात उस सतह पर जा रही है, जहां ये पूरी दुनिया को नुक़सान पहुंचा सकती है.
जम्मू में कर्फ्यूइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionजम्मू में कर्फ्यू
हम हर फ़ोरम पर ये मुद्दा उठाएंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुसरक्षा परिषद, देशों के नेताओं सभी से हम बात करेंगे और दुनिया को बताएंगे कि क्या हो रहा है.
हम दुनिया को बताएंगे कि वही ज़ुल्म हो रहे हैं जो नाज़ियों ने किए थे.
हिंदुस्तान में नुक़सान सिर्फ़ मुसलमानों का हो रहा है इसलिए दुनिया इस पर कुछ नहीं कर रही है.
लेकिन दुनिया की भी आंखें खुलेंगी.
मैं पश्चिमी देशों को जानता हूं. उन्हें नहीं पता कि कश्मीर में किस तरह का ज़ुल्म हो रहा है. हिंदुस्तान में अल्पसंख्यकों पर जो ज़ुल्म हो रहा है उसे हम हर मुमकिन फोरम पर पश्चिमी देशों को बताएंगे.
दुनिया को बताना हमारा काम है.
एक ओर हमसे कहा जाता है कि आप परमाणु हथियारों के ज़रिए ब्लैक मेल कर रहे हैं.
या तो पाकिस्तान बीजेपी सरकार की नस्लीय सर्वश्रेष्ठता को स्वीकार कर ले.
लेकिन पाकिस्तान ऐसा स्वीकार नहीं करेगा. तो सब जानते हैं कि फि भारत आगे किस दिशा में जाएगा.
बाद में विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने कहा, 'पाकिस्तान हर दिशा में क़दम उठा रहा है, आप लोग क्या चाहते हैं, मैं भारत पर हमला कर दूं.'

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