ऐसी हुई बारिश कि पूरा पुलिस महकमा ही पानी में डूबा: ग्राउंड रिपोर्ट


बलिया, जल जमाव, पुलिस स्टेशनइमेज कॉपीरइटJITENDRA TRIPATHI/BBC
रात के क़रीब नौ बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के बलिया में पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ अपने कुछ अधिकारियों के साथ अपने दफ़्तर के बाहर खड़े थे. कई दूसरे पुलिस वाले भी वहां खड़े थे और कुछ मज़दूर बड़े से जेनरेटर सेट में पंप जोड़ने की कोशिश में लगे थे ताकि वहां जमा हुए पानी को बाहर निकाला जा सके.
पिछले कई दिनों से पुलिस अधीक्षक कार्यालय का पूरा परिसर जलमग्न हो गया है.
पुलिस अधीक्षक ख़ुद वहां से कुछ दूर अपने आवास में ही कंट्रोल रूम बनाकर ज़िले की पुलिस व्यवस्था को कंट्रोल कर रहे हैं.
रिज़र्व पुलिस लाइन के परिसर का एक बड़ा हिस्सा पानी से भरा हुआ है, फ़ायर स्टेशन के भीतर आग बुझाने वाली गाड़ियां पानी में खड़ी हैं और ज़िला जेल में पानी भर जाने के कारण सारे क़ैदियों को दूसरे ज़िलों की जेल में स्थानांतरित कर दिया है.
बलिया ज़िले की यह स्थिति पिछले क़रीब एक हफ़्ते से है. न सिर्फ़ यह इलाक़ा बल्कि काजीपुरा, आवास विकास कॉलोनी, टैगोर नगर, आनंदनगर, तीखमपुर, जापलिनगंज, बेदुआं आदि मोहल्ले जलभराव का सामना कर रहे हैं.
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हालांकि मंगलवार को बारिश न होने के कारण कुछ जगहों से पानी कम होना भी शुरू हो गया है लेकिन कई मोहल्लों में अभी भी लोग इधर-उधर जाने के लिए नाव का इस्तेमाल कर रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर, शहर के बाहरी इलाक़े, ख़ासकर ग्रामीण इलाक़े गंगा नदी में आई बाढ़ का सामना कर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, क़रीब दो सौ गांव जलमग्न हो गए हैं, फ़सलों को काफ़ी नुक़सान हुआ है और अब तक कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है. इन जगहों पर बिजली की सप्लाई भी बंद कर दी गई है.
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बारिश रुकी लेकिन पानी नहीं निकला

बारिश के कारण सुखपुरा बिजली उपकेंद्र में पानी भर गया जबकि बांसडीह रोड स्टेशन के पास रेल पटरी धंस गई है. इस वजह से इस रूट पर ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से ठप है.
जॉपलिनगंज के रहने वाले प्रमोद यादव कहते हैं, "एक हफ़्ते से घुटनों के ऊपर तक पानी लगा हुआ है. लोग घर छोड़कर दूसरी जगहों पर जा रहे हैं. हम लोगों ने ख़ुद की नाव ख़रीदी है ताकि घर से बाहर मुख्य सड़क पर वहां तक आ सकें, जहां पानी नहीं है. बारिश रुक गई है फिर भी पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है."
वहीं विंध्याचल खरवार बताते हैं कि वो फल की दुकान लगाते हैं लेकिन सब जगह जलभराव के चलते उनका धंधा पिछले दस दिनों से बंद है. विंध्याचल खरवार की झोंपड़ी पानी में बह गई. अब पूरा परिवार पिछले पांच दिनों से अस्थाई शिविर में रह रहा है जो उन्हें प्रशासन ने मुहैया कराया है.
बलिया में डीएम, एसपी कार्यालय, पुलिस लाइन इत्यादि इलाक़े यहां के टैगोर नगर मोहल्ले में आते हैं.
स्थानीय पार्षद सुमित मिश्र बताते हैं, "ऐसा पहली बार हुआ है कि पानी इन परिसरों के भीतर इतने दिनों तक टिका हुआ है. दरअसल, लगातार कई दिनों की बारिश के चलते ऐसा हुआ है, अन्यथा पानी बह जाता था. मैंने इसकी चेतावनी पहले ही दी थी, नालों की सफ़ाई के लिए भी कहा था लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई."
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने बने स्टेडियम में भी पानी भरा हुआ है. हालांकि शाम के वक़्त बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियां खेल की प्रैक्टिस के लिए अब भी वहां पहुंच रहे हैं.
निशानेबाज़ी की प्रैक्टिस करने वाली आकांक्षा कहती हैं, "हमारी प्रैक्टिस तो चल रही है लेकिन दूसरे खेलों जैसे फ़ुटबॉल, बास्केटबॉल इत्यादि की नहीं हो पा रही है. स्कूल-कॉलेज भी एक हफ़्ते से बंद हैं. सबसे बड़ी दिक़्क़त तो घर से निकलकर यहां तक आने की है क्योंकि रास्ते में जगह-जगह पानी भरा हुआ है."
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Image captionबलिया ज़िले के अपर ज़िलाधिकारी राम आसरे

"छत पर बैठ कर बाहर का नज़ारा देखते हैं"

आकांक्षा के साथ ही खड़ी बास्केटबॉल की खिलाड़ी निधि कहती हैं कि उनके मोहल्ले में कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने पिछले तीन चार दिनों से ज़मीन पर पैर ही नहीं रखा है. ख़ुद उनका घर तीन मंज़िला है. उनके मुताबिक़, हमारे अलावा मोहल्ले के अन्य लोग भी हमारी छत पर बैठकर बाहर बाढ़ का नज़ारा देखते हैं.
बलिया ज़िले के अपर ज़िलाधिकारी राम आसरे कहते हैं कि अब बाढ़ का पानी कम होने लगा है और जलभराव की स्थिति भी कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी.
वो बताते हैं, "बाढ़ से क़रीब ढाई लाख की जनसंख्या प्रभावित हुई है. जहां ज़रूरत पड़ी है वहीं नावें लगाई गई हैं. क़रीब डेढ़ लाख लंच पैकेट्स बँटवाए जा चुके हैं और तीस हज़ार से ज़्यादा खाद्य पैकेट बँटवाए गए जिनमें खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य ज़रूरी सामान भी रहते हैं."
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ड्रेनेज सिस्टम कितना ज़िम्मेदार?

पुलिस लाइन के विभिन्न परिसरों में जलभराव के लिए एडीएम राम आसरे शहर के ड्रेनेज सिस्टम को ज़िम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि सीवर लाइन होने और शहर में बेतरतीब मकानों और नालियों के बने होने के कारण ये स्थिति पैदा हुई है.
राम आसरे कहते हैं कि नालियों में पॉलिथीन फेंकना भी नालियों के जाम की एक बड़ी वजह बनता है.
कई दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश से जनपद के अन्य हिस्सों की तरह बसंतपुर स्थित जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय परिसर भी जलभराव की चपेट में आ गया. परिसर के पास स्थित सुरहाताल में पानी बढ़ने के कारण विश्वविद्यालय परिसर भी एक बड़े तालाब में तब्दील हो गया है.
परिसर से बाहर जाने के लिए नाव इस्तेमाल की जा रही है. हालांकि परिसर को तीन अक्टूबर तक के लिए बंद कर दिया गया है और बताया गया कि ख़ुद उपकुलपति भी शहर से बाहर चले गए हैं.
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जलभराव से ज़िला जेल भी खाली

सबसे दिलचस्प स्थिति ज़िला जेल की है जहां क़ैदियों को बाढ़ के पानी के अलावा जेल के भीतर ही एक अन्य समस्या से भी रूबरू होना पड़ रहा है.
स्थानीय पत्रकार अनूप हेमकर बताते हैं, "जेल परिसर में पहले भी जलभराव के चलते अफ़सरों को क़ैदियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा है. इसलिए स्थिति ज़्यादा ख़राब होती देख जेल अधिकारियों ने ख़ुद ही डीएम और एसपी से इस संबंध में चर्चा कर 863 क़ैदियों (जिनमें 45 महिला क़ैदी भी शामिल हैं) को आज़मगढ़ और बलरामपुर जेल में शिफ़्ट कर दिया. अब ज़िला जेल पूरी तरह से खाली हो गया है."
वहीं जेल के एक अधिकारी का कहना था कि मौजूदा क़ैदियों को तो अन्य जेल में भेज दिया गया लेकिन जो अब यहां आ रहे हैं उनका क्या करें? वो कहते हैं, "सबसे बड़ी समस्या तो नए क़ैदियों की है. जो यहां थे, उन्हें तो शिफ़्ट कर दिया गया लेकिन जो नए क़ैदी आ रहे हैं उन्हें कहां रखा जाए."
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पानी में डूबी हुई हैं फ़ायर स्टेशन में खड़ी गाड़ियां

फ़ायर स्टेशन की हालत जितनी दयनीय दिख रही है, उससे लगता ही नहीं कि यह एक ऐसी जगह जहां इमर्जेंसी की स्थिति में फ़ोन किया जाता है. आग बुझाने वाली गाड़ियों के अलावा तमाम अन्य गाड़ियां भी पानी में डूबी हुई हैं.
ऐसी स्थिति में शहर में कहीं आग लग जाए तो क्या होगा, इस सवाल पर स्टेशन के बाहर मौजूद फ़ायर ऑफ़िसर धीरेंद्र यादव का कहना था, "आप जिस गाड़ी को कहें, हम स्टार्ट करके दिखा देंगे. ये गाड़ियां पानी में भले ही खड़ी दिख रही हों लेकिन चलने के लिए हर वक़्त तैयार हैं, इस वक़्त भी."
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी फ़िलहाल पंप के ज़रिए परिसरों में जमा पानी निकालने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर, मौसम वैज्ञानिकों की 'अभी और बारिश' हो सकने की चेतावनी ने शहर के लोगों को परेशान कर रखा है.

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