इब्राहिम-अंजलि के प्रेम-विवाह पर क्यों मचा हंगामा


इब्राहिम औरअंजलिइमेज कॉपीरइटARYAN
केरल के बहुचर्चित हादिया केस की तरह कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के इब्राहिम-अंजलि के प्रेम और विवाह का मामला सुलझता नज़र नहीं आ रहा है.
राज्य में इस मामले को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन और बंद का आयोजन हो चुका है.
स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की कार्रवाइयों में उलझी अंजलि जैन पिछले सात महीने से रायपुर के सरकारी सखी सेंटर में रह रही हैं.
अंजलि जैन ने बीबीसी से कहा, "मैं इस नर्क से अब मुक्ति पाना चाहती हूं. मैंने इब्राहिम से प्यार किया है, शादी की है और अपनी ज़िंदगी उनके साथ ही गुजारना चाहती हूं. लेकिन अपनी इज्जत के लिए मेरे पिता इसे सांप्रदायिक रंग दे कर अदालती कार्रवाइयों में मामले को उलझा रहे हैं."
दूसरी ओर अंजलि के पिता अशोक जैन इसे सीधे-सीधे 'लव ज़िहाद' का मामला बता कर धार्मिक संगठनों को एकजुट करने में लगे हुए हैं. वे लगातार धर्म गुरुओं से संपर्क कर रहे हैं. वे बीजेपी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं.
उनका दावा है कि पुलिस ने बंदूक की नोक पर उनकी बेटी को घर से उठाया और उसे रायपुर के सखी सेंटर में रखा, जहां उन्हें मिलने भी नहीं दिया जा रहा है.
लेकिन धमतरी ज़िले के पुलिस अधीक्षक बालाजी राव सोमावार, अंजलि जैन के पिता अशोक जैन के दावे को पूरी तरह से ख़ारिज कर रहे हैं.
वे कहते हैं, "अंजलि जैन बालिग हैं और उनकी शिकायत पर उन्हें पिता के घर से रेसक्यू किया गया था और सरकार से संचालित रायपुर के सखी सेंटर में रखा गया है. इस सेंटर में उन महिलाओं को रखा जाता है, जो अपने परिवार में नहीं रहना चाहती और जिनके पास रहने की कोई दूसरी जगह नहीं है."
इब्राहिम औरअंजलिइमेज कॉपीरइटARYAN

क्या है मामला?

छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले 33 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी और 23 वर्षीय अंजलि जैन ने दो साल की जान-पहचान के बाद 25 फ़रवरी 2018 को रायपुर के आर्य मंदिर में शादी की थी. इब्राहिम का दावा है कि उन्होंने शादी से पहले हिंदू धर्म अपना लिया था. इसके बाद उन्होंने अपना नाम आर्यन आर्य रखा था.
मोहम्मद इब्राहिम सिद्दकी उर्फ़ आर्यन आर्य के अनुसार, "शादी की ख़बर जैसे ही मेरी पत्नी अंजलि के परिजनों को मिली, उन्होंने मेरी पत्नी को घर में क़ैद कर लिया. मैंने बहुत कोशिश की कि किसी भी तरह अंजलि से मेरी मुलाक़ात हो लेकिन यह संभव नहीं हो पाया."
इसके बाद इब्राहिम ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए न्यायालय से अपनी पत्नी अंजलि जैन को वापस किए जाने की गुहार लगाई.
लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंजलि जैन को सोच-विचार के लिए समय देते हुये छात्रावास में या माता-पिता के साथ रहने का आदेश पारित करते हुए मामले को ख़ारिज कर दिया.
अंजलि जैन ने माता-पिता के साथ रहने के बजाय छात्रावास में रहना तय किया था. इसके बाद इब्राहिम ने हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
पिछले साल अगस्त में अंजलि को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया, जहां अंजलि ने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई. अंजलि के अदालत के बयान के बाद मान लिया गया कि मामले का पटाक्षेप हो गया है.
लेकिन फ़रवरी में इस मामले में फिर नया मोड़ आया.
इब्राहिमइमेज कॉपीरइटALOK PUTUL/BBC
अंजलि से शादी के लिए अपना धर्म बदलने वाले मोहम्मद इब्राहिम सिद्दकी ऊर्फ़ आर्यन आर्य कहते हैं, "अंजलि ने मुझे फ़ोन कर कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट में इसलिए माता-पिता के साथ जाने की इच्छा जताई थी क्योंकि उसे आश्वासन दिया गया था कि उसकी शादी जल्दी ही सामाजिक रीति रिवाज के साथ आर्यन आर्य से ही करा दी जाएगी."
अंजलि का दावा है कि घर लौटने के बाद उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता ने उन्हें ऐसी दवाइयां खिलानी शुरू कर दीं, जिससे वे लगातार बीमार रहने लगीं.
अंजलि के अनुसार उन्होंने किसी तरह राज्य के पुलिस महानिदेशक का नंबर हासिल किया और फिर उन्हें फ़ोन कर पिता की प्रताड़ना से मुक्ति के लिए गुहार लगाई, उनसे घर से छुड़ाने का अनुरोध किया.
इसके बाद पुलिस ने उन्हें घर से मुक्त कराया और रायपुर के सखी सेंटर में उन्हें रखा गया. जहां वे पिछले सात महीने से रह रही हैं.

गंभीर आरोप

अंजलि कहती हैं, "हमने सिर्फ़ लव मैरिज़ की है. हमने एक दूसरे से प्यार किया है पर हमारी शादी को लव ज़िहाद का नाम दे दिया गया है. मेरे पापा हिंदू संगठन और समाज वाले मिल कर हमारी शादी को, हमारे प्यार को सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग दे रहे हैं."
उनका कहना है कि उनके पिता ने इस शादी को अपनी नाक का मुद्दा बना लिया है, इसलिए उन्हें इस बात की भी फ़िक्र नहीं है कि मैं ज़िंदा रहूं या मर जाउं.
अंजलि कहती हैं, "मुझे मेरी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीने का अधिकार दिया जाए."
लेकिन अंजलि के पिता का मानना है कि उनकी बेटी को बरगलाया जा रहा है.
उनका दावा है कि उन्होंने अपनी बेटी के मामले में स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सात याचिकाएं दायर कर रखी हैं.
अशोक जैन कहते हैं, "ये लोग लव ज़िहाद करके लड़की को फंसाते हैं और उधर पार्सल कर देते हैं. फिर वे फॉरेन में चली जाती हैं और उनकी किडनियां, लीवर सब बेच दिया जाता है. अंग प्रत्यारोपण हो जाता है. ये ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला है."
प्रदर्शनइमेज कॉपीरइटALOK PUTU

परिजनों का आरोप

अशोक जैन का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है. वे चाहते हैं कि एक बार कम से कम यह तो देख लें कि उनकी बेटी रायपुर सखी सेंटर में है भी या कहीं और चली गई.
अशोक जैन ने कहा, "दुर्ग की हमारी एक परिचित मित्र हैं एसपी ऋचा मिश्रा और एक समाज सेविका ममता शर्मा हैं. ये लोग बीच में आए कि हम आपको मिलवाते हैं. हम पुलिस अधिकारी हैं और एक बेटी से बाप नहीं मिलेगा?"
लेकिन धमतरी के पुलिस अधीक्षक बालाजी राव सोमावार इस आरोप को ग़लत बता रहे हैं. उनका कहना है कि अंजलि जैन से मिलने पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है और सखी सेंटर में निर्धारित समय में कोई भी व्यक्ति किसी से भी जा कर मुलाक़ात कर सकता है.
अंजलि जैन भी अपने पिता के दावों को बेबुनियाद बता रही हैं और उनका कहना है कि उनके परिजन और पिता लगातार उनसे मिलते रहे हैं. अंजलि ने सखी सेंटर में पिता समेत अन्य लोगों से लगातार होने वाली मुलाक़ातों का तारीख़वार विवरण उपलब्ध कराया है.
अंजलि का यह भी कहना है कि सखी सेंटर के अधिकारी, दूसरे ज़िलों के पुलिस अधिकारी और धार्मिक संगठनों के लोग उनसे मिलने आने वालों को प्रताड़ित करते हैं.
हाल ही में उनके बुलावे पर पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रियंका शुक्ला पर अशोक जैन की मित्र दुर्ग की रेडियो एसपी ऋचा मिश्रा और सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा के हमला करने, मोबाइल छीनने की रिपोर्ट भी पुलिस में दर्ज कराई गई है. इस मामले में प्रियंका शुक्ला के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज़ किया गया है.
प्रदर्शनइमेज कॉपीरइटALOK PUTUL

फ़ैसला कोर्ट पर

अंजलि जैन ने भी रेडियो एसपी ऋचा मिश्रा और सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. इसके अलावा कांग्रेस से जुड़ी वकील और रायपुर की महापौर रही किरणमयी नायक ने भी अंजलि के पिता के ख़िलाफ़ दबाव बनाने की रिपोर्ट दर्ज़ कराई है.
प्रियंका शुक्ला कहती हैं, "धार्मिक संगठनों के साथ मिलकर दूसरे ज़िले के पुलिस अधिकारी इस मामले में दिलचस्पी ले रहे हैं, डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं और अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर हस्तक्षेप कर रहे हैं. राज्य सरकार को ऐसे अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल ख़राब करने की कोशिश में लगे हुए हैं."

"दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए"

लेकिन अंजलि जैन के पिता अशोक जैन के साथ खड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा का अपना तर्क है. उनका कहना है कि धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के आधार पर वे काम नहीं करतीं. अंजलि जैन के पिता ने उनसे मदद मांगी थी, इसलिए वे इस मामले में सामने आईं.
ममता शर्मा कहती हैं, "लड़की ने पिता पर कई गंभीर आरोप लगाए. हमने भी उनके पिता को कहा कि अगर लड़की बालिग है तो उस पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए. अगर इस विवाह को सामाजिक मान्यता मिलती तो बेहतर होता. इसके अलावा रायपुर के सखी सेंटर के छोटे अधिकारी जो रिपोर्ट दे रहे हैं, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. यह चिंता का विषय है."
ममता शर्मा ने आरोप लगाया कि सखी सेंटर में हुए विवाद को लेकर जो भी कार्रवाइयां हो रही हैं, उसमें निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है.
निष्पक्षता को लेकर ऐसे ही आरोप अशोक जैन के भी हैं, अंजलि के भी और आर्यन आर्य के भी. लेकिन सबकि नज़रें फ़िलहाल तो अदालत के फ़ैसले पर टिकी हैं. तब तक शायद अंजलि को सखी सेंटर में ही अपने दिन गुजारने होंगे.

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory