अमूल्या लियोना: असदुद्दीन ओवैसी 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' नारा सुन कर क्या बोले?


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Image captionअमूल्या के नारे लगाने पर उनसे माइक छीनते आयोजक
बेंगलुरु में आयोजित सीएए-विरोधी रैली में एक छात्रा द्वारा पाकिस्तान परस्त नारे लगाने को बीजेपी नेताओं ने देश-विरोधी क़रार दिया है.
कर्नाटक बीजेपी के नेता इसे "पाकिस्तान समर्थकों की देश में अशांति फैलाने की कोशिश" बता रहे हैं.
फ्रीडम पार्क में आयोजित सीएए-विरोधी रैली में 18 साल की छात्रा अमूल्या लियोना के नारे लगाने पर पुलिस ने स्वत: संज्ञान लिया. पुलिस ने अमूल्या के हाथ से माइक छीना और उन पर IPC की धारा 124A के तहत देशद्रोह का आरोप तय किया. पुलिस के मुताबिक उसने देश के लोगों में नफ़रत फैलाने का प्रयास किया. अमूल्या को अब 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
डीसीपी वेस्ट बी. रमेश ने कहा कि अमूल्या पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है.
रैली में अमूल्या ने माइक हाथ में आते ही पहले 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारे लगाए. यह सुनते ही रैली के आयोजक और स्टार स्पीकर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी माइक छीनने के लिए अमूल्या की तरफ़ दौड़े. नारों के वक्त ओवैसी नमाज़ पढ़ने जाने के लिए मंच से उतर रहे थे.
'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' सुनकर स्टेज पर लौटते असदुद्दीन ओवैसीइमेज कॉपीरइटANI
Image caption'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' सुनकर स्टेज पर लौटते असदुद्दीन ओवैसी
फिर उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि आख़िर वह पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे क्यों लगा रही थीं. लेकिन सकते में आए ओवैसी और आयोजकों ने अमूल्या की बात पूरी नहीं होने दी. उन्होंने अमूल्या से माइक छीनने और उसे मंच से हटाने में पुलिस की मदद की.
इस बीच आयोजकों और ओवैसी के आने के बावजूद अमूल्या अपनी जगह खड़ी रहकर 'हिंदुस्तान ज़िंदाबाद' के भी नारे लगाती रहीं.
समाचार एजेंसी एएनआई की तरफ से जारी वीडियो में साफ़ देखा और सुना जा सकता है कि अमूल्या ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद' और 'हिंदुस्तान ज़िंदाबाद' दोनों ही नारे लगाए. माइक छीने जाने के बाद भी वो अपनी तरफ से इस बारे में स्पष्टीकरण जारी रखा.
अमूल्या बेंगलुरु के एक कॉलेज में पढ़ती हैं. इससे पहले अमूल्या सीएए-विरोधी रैली में कन्नड़ भाषा में दिए अपने ज़ोरदार भाषण की वजह से चर्चा में आई थीं. फ़ेसबुक पर अमूल्या अपना परिचय बताती हैं कि वह कोप्पा की रहने वाली हैं और बेंगलुरु के NMKRV कॉलेज फॉर वीमेन में पढ़ती हैं.

ओवैसी ने इन नारों पर क्या कहा?

इसके बाद गुस्से में आए ओवैसी ने 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारे लगाए और लिबरल्स पर बरस पड़े. उन्होंने कहा, "इन सो कॉल्ड लिबरल्स को बता रहा हूं मैं, तुम बनाओ अपना शाहीन बाग़, बिलाल बाग़. हमें आकर मत समझाओ. तुम समझते हो कि तुम काबिल हो और हम काबिल नहीं हैं. हमें आपका पैट्रनाइज़िंग ऐटिट्यूड (संरक्षणवादी रवैया) नहीं चाहिए".
ओवैसी ने यह भी कहा, "मैं आयोजकों से कहता हूं कि वो ऐसे लोगों को अपनी रैली में न बुलाएं. मैं मग़रिब की नमाज़ पढ़ने जा रहा था. तभी सुना इस महिला ने ये नारा लगाया. मुझसे नहीं रहा गया और दौड़कर आ गया यहां. अगर वो औरत नहीं होती, तो मैं क्या कर लेता. अब मौका मिल गया बीजेपी को. अब कल वो बोलेंगे ओवैसी की रैली में नारा बोला गया."

अमूल्या का फ़ेसबुक पोस्ट

स्पष्ट है कि रैली में अमूल्या के पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने की वजह कोई नहीं समझ पाया. ओवैसी द्वारा संबोधित की गई इस रैली में ज़्यादातर मुस्लिम थे. सीएए-विरोधी प्रदर्शन में शामिल एक छात्र ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर कहा, "हमें यह उम्मीद नहीं थी कि वह एक मंच पर ऐसी बात कहने से पहले एक बार भी नहीं सोचेगी कि इसका क्या असर होगा. हमारे कुछ मतभेद रहे हैं और कुछ लोगों ने उससे ऐसे आवेग में न आने के लिए भी कहा था. लेकिन, वह किसी की नहीं सुनती है."
ऐसे नारों के पीछे अमूल्या की सफ़ाई उनके सोशल मीडिया पेज पर मिलती हैं, जहां उन्होंने 'हिंदुस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, चीन और भूटान ज़िंदाबाद' लिखा है. अमूल्या ने पेज पर लिखा है, "मैं सिर्फ इसलिए किसी राष्ट्र का हिस्सा नहीं बन जाती हूं, क्योंकि मैं उसके नाम पर ज़िंदाबाद का नारा लगा रही हूं. कानून के मुताबिक मैं एक भारतीय नागरिक हूं. अपने देश का सम्मान करना और देश के लोगों के लिए काम करना मेरा कर्तव्य है. मैं वह करूंगी. हमें देखना चाहिए कि ये आरएसएस वाले क्या करेंगे. संघी इससे परेशान हो जाएंगे. आप कॉमेंट्स करते रहिए. मुझे जो कहना है, मैं वह कहूंगी."

बीजेपी नेताओं ने इन पर क्या प्रतिक्रिया दी?

बीजेपी ने इस घटना के तुरंत बाद प्रतिक्रिया दी. बीजेपी के राष्ट्रीय आयोजन सचिव बीएल संतोष, पूर्व मंत्री अनंत हेगड़े, सांसद शोभा करंदलजे और कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि से लेकर बीजेपी से जुड़े सभी संगठनों ने सीएए-विरोधी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ बयानों का ढेर लगा दिया. इनमें से कई ने उन्हें देशद्रोही बताया और कुछ ने कहा कि यह पाकिस्तान समर्थकों की भारत में अशांति फैलाने की कोशिश है.
बीएल संतोष ने ट्वीट किया, "एंटी-सीएए प्रोटेस्ट कहे जाने वाले पागलपन को देखिए. बेंगलुरु में एक लेफ्ट ऐक्टिविस्ट पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगा रही है. असामाजिक तत्वों ने विरोध प्रदर्शन कब्ज़ा लिए हैं. अब यह कहने का वक़्त आ गया है कि बहुत हो गया."
सांसद शोभा करंदलजे ने ट्वीट किया, "कथित छात्र ऐक्टिविस्ट का छिपा हुआ अजेंडा सामने आ गया. अमूल्य लियोना, जिसने मेंगलुरु एयरपोर्ट पर राष्ट्रवादी महेश विक्रम हेगड़े के साथ बदसलूकी की थी, वह सीएए-विरोधी रैली में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते पकड़ी गई. ये प्रदर्शन सीएए के खिलाफ नहीं हैं. यह पाकिस्तान समर्थकों की देश में अशांति फैलाने की साज़िश है."
शोभा जिन महेश विक्रम का ज़िक्र कर रही हैं, वह 'पोस्टकार्ड कन्नड़' के संपादक हैं. मेंगलुरु एयरपोर्ट पर तीन महिलाओं ने विक्रम से 'वंदे मातरम' सुनाने के लिए कहा था. अमूल्या भी इनमें से एक थीं.

अमूल्या के घर पहुंचे लोग, पिता से बदसलूकी

सोशल मीडिया पर घटना के वायरल होने के बाद कुछ लोग चिकमंगलुरु में अमूल्या के घर पहुंच गए और उनके पिता के साथ बदसलूकी की. वीडियो में दिख रहा है कि अमूल्या के पिता से 'भारत माता की जय' बुलवाया जा रहा है. उनसे यह भी कहलवाया गया कि उन्होंने अपनी बेटी को सही से नहीं पाला. अमूल्या के पिता से यह भी कहा गया कि उनकी बेटी को ज़मानत नहीं मिलेगी और उसे लंबे वक्त तक जेल में रहना पड़ेगा.
बीबीसी से बातचीत में अमूल्या के पिता ओसवॉल्ड नोरोनाह ने कहा, "मुझे ये नहीं पता कि वो कितने लोगो थे, लेकिन उन्होंने मेरे घर से निकलते ही घर पर हमला किया. अगर मैं घर पर होता तो शायद आज ज़िंदा नहीं बचता. घर पर हमला करने से थोड़ी देर पहले उन्होंने मेरे साथ भी बदसलूकी की और बेटी के बारे में भी पूछताछ की. मैंने तुरंत पुलिस को सूचित किया. खराब रोड की वजह से पुलिस को घर पहुंचने में थोड़ वक़्त लगा.
इस सिलसिले में चिकमंगलुरु के एसपी हरीश पांडेय ने बीबीसी को बताया, "उनकी शिकायत पर हमने केस दर्ज किया है. उन्हें परेशान करने वाले लोग बजरंग दल के नहीं हैं, जैसा कि कहा जा रहा है."
ओसवॉल्ड नोरोनाह पेशे से किसान है और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार भी कर चुके हैं. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "जिन्होंने मेरे घर पर हमला किया और मेरे साथ बदसलूकी की वो बीजेपी से जुड़े हैं. वो मेरे गांव के लोग है.जब मेरे घर पर हमला किया उस वक्त कुछ बाहरी लोग भी शामिल हो सकते हैं. पुलिस ने मुझे तुरंत सुरक्षा मुहैया करा दिया."
अमूल्या के पिता के मुताबिक उनकी बेटी बेंगलुरु में पढ़ाई कर रही है. पढ़ाई में वो बहुत अच्छी है लेकिन जब से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए हैं पढ़ाई में उसका मन नहीं लग रहा है. उन्होंने कई बार अमूल्या से पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा. बीबीसी से उन्होंने कहा,"मैं एक हफ्ते पहले ही बेंगलुरु से वापस आया हूं जब अमूल्या ने मुझे आश्वासन दिया कि वो पढ़ाई पर दोबार ध्यान देगी."
अमूल्या के नारे लगाने के बाद बीजेपी से जुड़े एबीवीपी और इसके जैसे कई संगठनों ने बेंगलुरु के टाउन हॉल और अन्य ज़िलों में प्रदर्शन किया. अमूल्या के पिता का एक विडियो वॉट्सऐप पर फैल रहा है, जिसमें कुछ ऐक्टिविस्ट अमूल्या के पिता से उनके घर पर पूछताछ कर रहे हैं. वीडियो में दिख रहा है कि अमूल्या के पिता से कैमरे पर बयान रिकॉर्ड कराया जा रहा है. बजरंग दल ने अभी स्पष्ट नहीं किया है कि ये उनके कार्यकर्ता हैं या नहीं. हालांकि, उनमें से कुछ लोगों ने अनौपचारिक रूप से माना कि वो बजरंग दल से जुड़े हैं. कुछ अखबारों ने उनका बयान छापा है कि ऐसी निंदनीय हरकत के लिए उसे छह महीने जेल की सज़ा होनी चाहिए.

ऐसे नारों से सीएए-विरोधी प्रदर्शनों पर क्या असर पड़ेगा?

जैन यूनिवर्सिटी के डिप्टी वाइस चांसलर प्रो. संदीप शास्त्री ने बीसीसी से कहा, "मैं इस पर यक़ीन करना चाहूंगा कि ये छिटपुट आवाज़ें हैं. लेकिन होता क्या है कि ये छिटपुट आवाज़ें ध्रुवीकरण का केंद्र बन जाती हैं और हम ऐसा देख भी चुके हैं. इससे ध्यान मुख्य मुद्दे से भटककर नेपथ्य की चीज़ों पर चला जाता है. मुख्य मुद्दे बहुत संवेदनशील हैं. सही हो या ग़लत, लेकिन अभी की ज़रूरत बहस पर फोकस बनाए रखने की है. लेकिन जैसे ही असामाजिक तत्वों द्वारा ऐसे नारे लगाए जाते हैं, जो पहले भी कई आंदोलनों में हुआ, तो सीएए-विरोधी प्रदर्शनों को देशद्रोही या पाकिस्तान समर्थक बता दिया जाता है."
प्रो. शास्त्री कहते हैं, "मैं इन नारों की निंदा करता हूं, लेकिन ये नारे सभी प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. इन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए."
क्या इस घटना से प्रदर्शन को धक्का पहुंचेगा? प्रो. शास्त्री कहते हैं, "मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन ध्रुवीकरण को देखते हुए, आंदोलनों को धक्का पहुंचाने की कोशिश होगी."
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