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एकनाथ खड़से शरद पवार की मौजूदगी में एनसीपी में शामिल हुए - 

EKNATHRAO KHADSE/FACEBOOK

दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफ़ा दे चुके महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता एकनाथ राव खड़से शुक्रवार को आधिकारिक रूप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए.

एकनाथ राव महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे थे जिन्होंने शुक्रवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में उनकी पार्टी जॉइन की.

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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के नेता जयंत पाटिल ने बुधवार को सूचना दी थी कि एकनाथ खड़से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे. उन्होंने कहा था कि 'एकनाथ राव के एनसीपी में शामिल होने से उनकी पार्टी को मज़बूती मिलेगी.'

महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ राव खड़से को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बताते हैं. हालांकि, अपने इस्तीफ़े में एकनाथ राव ने लिखा था कि 'वे व्यक्तिगत कारणों से बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहे हैं.'

वर्ष 2016 में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर खड़से को फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था और तभी से वे नाराज़ चल रहे थे.

एनसीपी में शामिल होने के बाद एकनाथ खडसे ने कहा, "मैं साल 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष का नेता था, तब बीजेपी ने 123 सीटें जीती थीं. लेकिन देखिए, 2019 में क्या हुआ, सभी संसाधनों के बावजूद बीजेपी फडणवीस के नेतृत्व में 105 सीटें ही जीत सकी."

खड़से की महाराष्ट्र की राजनीति में एक समय यह हैसियत थी कि फडणवीस सरकार में उन्हें नंबर दो का दर्जा हासिल था.

एकनाथ खड़से पिछड़े समाज से आने वाले राज्य के एक प्रभावशाली नेता हैं और उन्होंने दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के साथ मिलकर महाराष्ट्र में बीजेपी के विस्तार में अहम भूमिका निभाई थी.

कोरोना वायरस: फ़्रांस के दो-तिहाई हिस्से में रात का कर्फ़्यू

फ़्रांस में रात का कर्फ़्यू

फ़्रांस की सरकार ने देश के दो-तिहाई हिस्से में कर्फ़्यू लागू करने का निर्णय लिया है.

एक दिन में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड 41,622 नये मामले सामने आने के बाद यह निर्णय लिया गया है. शुक्रवार देर रात से अगले छह सप्ताह के लिए फ़्रांस में कर्फ़्यू रहने की घोषणा की गई है.

फ़्रांस में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या अब दस लाख से अधिक हो गई है.

इससे पहले पूरे यूरोप में सिर्फ़ स्पेन और रूस इस आंकड़े तक पहुँचे थे. एक सप्ताह पहले फ़्रांस की राजधानी पेरिस समेत वहाँ के नौ शहरों में नाइट कर्फ़्यू लगाये जाने की घोषणा हुई थी.

अब इसे बढ़ाकर 38 शहरों में लागू किया जा रहा है, जिसके बाद वहाँ रोज़ाना रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच कर्फ़्यू रहेगा.

हालांकि, कुछ स्थानीय व्यापारी और रेस्त्रां मालिक सरकार के इस निर्णय से ख़ुश नहीं है क्योंकि इससे पहले दो महीने के लॉकडाउन के कारण उनके व्यापार का काफ़ी नुक़सान हो चुका है.

मगर फ़्रांस सरकार का कहना है कि फ़्रांस के कई इलाक़ों में आधे से ज़्यादा आईसीयू बेड भर चुके हैं और बीते 24 घंटे में वहाँ कोविड-19 के कारण 162 लोगों की मौत हुई है.

यूँ तो पूरे यूरोप में ही कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं.

लेकिन फ़्रांस संक्रमण के कुल मामलों के लिहाज़ से अब दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है.

अमरीका के बाद भारत, ब्राज़ील, रूस और अर्जेनटीना में कोरोना संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किये गए हैं.

कपिल देव सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती

कपिल देव

पूर्व क्रिकेटर और भारतीय कप्तान कपिल देव को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया है.

23 अक्टूबर को रात एक बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. रात में ही उनकी जाँच की गई और मध्य रात्रि में ही एक इमरजेंसी कोरोनरी-एंजियोप्लास्टी भी की गई.

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फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि 62 वर्षीय पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव को 23 अक्टूबर की मध्य रात्रि क़रीब एक बजे फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डिपार्टमेंट में लाया गया. उन्हें सीने में दर्द की शिकायत थी. कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के निदेशक डॉ. अतुल माथुर ने मध्यरात्रि में उनकी जाँच की और जाँच के बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की.

फ़िलहाल वे आईसीयू में भर्ती हैं और डॉ. माथुर और उनकी टीम की कड़ी निगरानी में हैं. उनकी स्थिति स्थिर है और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वे आने वाले एक-दो दिन में डिस्चार्ज हो जाएंगे.

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भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा कप्तान विराट कोहली ने कपिल देव के जल्दी ठीक होने के लिए प्रार्थना करते हुए ट्वीट किया है.

कपिल देव ने ही अपनी कप्तानी में 1983 में पहली बार भारत को क्रिकेट विश्व कप दिलवाया था.

चुनावी मेनिफ़ेस्टो में फ्री वैक्सीन का वादा क़ानून के दायरे में: रवि शंकर प्रसाद

क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद

क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि बिहार के सभी निवासियों को मुफ़्त कोरोना वैक्सीन देने का जो वादा बीजेपी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में किया है वो पूरी तरह क़ानून के दायरे में है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार रवि शंकर प्रसाद ने इसे 'ऐतिहासिक कदम' बताया और कहा कि बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता दी, इससे किसी विपक्षी पार्टी को परेशानी नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "ये आश्चर्य की बात है कि कुछ पार्टियां इसे राजनीतिक हथकंडा बता रही हैं. क्या लोगों के स्वास्थ्य के संबंध में वादा नहीं किया जाना चाहिए? ये घोषणा पूरी तरह क़ानून के दायरे में है. समस्या तब होती है जब चुनाव से पहले बड़े वादे करने वाले लोग चुनाव के बाद अपने वादे पूरे नहीं करते."

इससे पहले राहुल गांधी ने बीजेपी के चुनावी मेनिफेस्टो में फ्री कोरोना वैक्सीन की आलोचना की थी और कहा था कि "बीजेपी ने वैक्सीन कैसे मिलेगी ये बता दिया है. अब लोगों को ये देखना चाहिए कि राज्य में चुनाव कब होंगे."

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बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी किया था.

इसमें बिहार के लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन का निशुल्क टीकाकरण करवाने की बात की गई थी.

इराक़ में ईरान के राजदूत पर अमरीका ने लगाया प्रतिबंध

इराज मास्जेदी

अमरीकी ट्रेज़री के फ़ॉरेन एसेट्स कंट्रोल विभाग ने इराक़ के लिए ईरान के राजदूत इराज मास्जेदी प्रतिबंध लगा दिया है. मास्जेदी साल 2017 से इराक़ में ईरान के राजदूत हैं.

अमरीका का कहना है कि इराक़ के लिए ईरान के राजदूत मास्जेदी ईरान की इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड की कुद्स फोर्स के लिए काम करते हैं.

अमरीका के अनुसार मास्जेदी कुद्स फोर्स के कमांडर रहे क़ासिम सुलेमानी के क़रीबी सलाहकार थे और इराक़ के लिए ईरान की इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड की नीति बनाने में उनकी अहम भूमिका थी.

एक बयान में अमरीका ने कहा कि मास्जेदी इराक़ी विद्रोही गुटों की ट्रेनिंग और उनकी मदद से जुड़े एक कार्यक्रम की निगरानी कर रहे थे. साथ ही इराक़ में हुए उन हमलों के लिए भी वो ज़िम्मेदार थे जिनमें वहां तैनात अमरीकी सैनिक मारे गए थे.

अमरीकी विदेश मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने कहा, "इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड की कुद्स फोर्स से जुड़े अधिकारियों की नियुक्ति इराक़ में ईरान के तौर पर कर के ईरान इक़ार की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए ख़तरा पैदा कर रहा है और दूसरे देशों में अस्थिरता पैदा करने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है."

कोविड-19: रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को अमरीका ने दी मंज़ूरी

रेमडेसिवीर

अमरीकी नियामक ने अस्पताल में कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती मरीज़ों के लिए रेमडेसिवीर दवा के इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी है.

इसके साथ ही ये देश की पहली और एकमात्र ऐसी दवा बन गई है जिसके इस्तेमाल को नियामक से मंज़ूरी मिली है.

अमरीकी फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) ने कहा है कि क्लिनिकल ट्रायल में पाया गया है कि इस दवा के इस्तेमाल से बीमारी से उबरने के समय को पांच दिन तक कम किया जा सकता है.

गिलिएड साइंसेस की बनाई इस दवा का इस्तेमाल अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी किया गया था.

शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच होने वाली आख़िरी प्रेसिडेन्शियल डिबेट से कुछ घंटों पहले एफ़डीए ने इस दवा को मंज़ूरी दी है.

एक बयान जारी कर एफ़डीए कमिश्नर स्टीफ़न हान ने कहा, "अस्पताल में कोविड-19 के कारण भर्ती होने वाले वयस्क और 12 साल से अधिक उम्र और 40 किलो से अधिक वज़न वाले बच्चों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है."

स्टीफ़न हान ने कहा, "तीन रैंडमाइज़्ड और कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों के विश्लेषण के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया है. जिन मरीज़ों पर ये ट्रायल किया गया वो कोविड-19 के मामूली से गंभीर लक्षणों से जूझ रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे."

इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिवीर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) समेत चार दवाओं को कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों के इलाज में बहुत कम प्रभावी बताया था.

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सर्दियों में कोरोना और प्रदूषण की दोहरी मार

डब्ल्यूएचओ का कहना था कि उसने सॉलिडैरिटी ट्रॉयल के दौरान कुल चार दवाओं का परीक्षण किया. इनमें रेमडेसिवीर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, ऑटो-इम्यून ड्रग इंटरफ़ेरॉन और एचआईवी की दवाओं का संयोजन लोपिनावीर और रिटोनावीर शामिल हैं.

डब्ल्यूएचओ ने नतीजों में पाया था कि ये दवाएं मरीज़ों की जान बचाने और संक्रमण के दिनों को कम करने में भी कारगर साबित नहीं हुई हैं. हालांकि, इन नतीज़ों की अभी समीक्षा बाकी है.

हालांकि गिलिएड ने इन नतीज़ों को खारिज कर दिया था और एक बयान जारी कर कहा था कि अध्ययन के निष्कर्ष दूसरे अध्ययनों से मेल नहीं खाते.

रेमडेसिवीर वो पहली दवा थी जिसका सबसे पहले इस्तेमाल आपात स्थिति में कोरोना वायरस के मरीज़ों के इलाज के लिए किया गया था.

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