किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा || जिमेदार सरकार या किसान ?

 

किसानों की ट्रैक्टर रैली: शांतिपूर्ण मार्च में कैसे हुई हिंसा

  • टीम बीबीसी हिन्दी
  • दिल्ली
किसानों की ट्रैक्टर रैली

भारत अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है.

अब तक इस दिन परेड में सैन्य टुकड़ियां, अत्याधुनिक हथियार, अलग-अलग राज्यों की झाकियां और लड़ाकू विमान नज़र आते थे. लेकिन इस बार के गणतंत्र दिवस में इन तस्वीरों के साथ हिंसा की तस्वीरें भी दिखी. 

नए कृषि क़ानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे किसानों पर दिल्ली पुलिस कहीं लाठियाँ बरसाती नज़र आई तो कहीं किसान प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ कर सेंट्रल दिल्ली में जबरन घुसते नज़र आए. 

कहीं प्रदर्शनकारियों के हाथ में तलवारें दिखीं तो कहीं बस तोड़ते आंदोलनकारी तो कहीं आंसू गैस के गोले दागते पुलिस वाले. 

दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी और किसान नेता दोनों प्रदर्शन में शामिल होने वाले किसानों को हिंसा का रास्ता ना अपनाने की सलाह देते नज़र आए. 

लेकिन इस बात पर आरोप प्रत्यारोप चलता रहा कि हिंसा की शुरुआत हुई कहाँ से. 

किसान आंदोलनकारियों पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस के साथ बैठक में तय रूट पर ट्रैक्टर परेड नहीं निकाली. 

जबकि किसान नेता राकेश टिकैत कह रहे हैं कि राजनीतिक दलों के लोग किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए गड़बड़ी फैला रहे हैं. 

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दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर यातायात और क़ानून व्यवस्था संभालने के लिए ट्रैफ़िक पुलिस और दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं.

26 जनवरी की सुरक्षा के मद्देनज़र अर्द्धसैननिक बलों को भी अलर्ट पर रखा गया है. किसानों ने भी अपनी तरफ़ से व्यवस्था संभालने के लिए वॉलेंटियर तैनात किए हैं.

लेकिन सारे इंतजाम धरे के धरे रह गए. दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से चले किसान आंदोलन ने आज हिंसात्मक रूप ले लिया.

दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम
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दिल्ली में सुरक्षा के इंतजाम

दोपहर एक बजे तक की बात करें तो किसानों का ट्रैक्टर परेड बिलकुल भी शांतिपूर्ण नहीं रहा. अलग-अलग जगहों से पुलिस और किसानों के बीच कई तरह के तनाव और टकराव की ख़बरे आई. समाचार एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ कर प्रदर्शनकारी दिल्ली की तरफ़ बढ़ रहे हैं. 39 सेकेंड के वीडियो में दिखाया गया है कि प्रदर्शनकारी हाथ में लाठियां लिए हुए हैं और पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे हैं. ये वीडियो दिल्ली-करनाल बाइपास का है.

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दूसरी तरफ़ किसान एकता मार्च ट्विटर हैंडल से 20 सेकेंड का वीडियो ट्वीट किया गया है, जिसमें पुलिस किसान आंदोलनकारियों पर डंडे बरसाती नज़र आ रही है.  लेकिन ये नहीं बताया गया है कि वीडियो किस जगह का है.

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वहीं दिल्ली के आईटीओ पर मौजूद संवाददाता विकास त्रिवेदी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हाथ में लोहे की रॉड ले रखी है. हिंसा की तस्वीर खींचने और वीडियो बनाने वाले पर भी हमले हो रहे हैं. विकास के सामने दो-तीन लोग लहू-लुहान हुए हैं. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ट्रैक्टर रैली के प्रस्तावित रूट को लेकर विवाद ज़्यादा है.

BBC

दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर के पास किसानों पर आँसू गैस का इस्तेमाल

गाज़ीपुर बॉर्डर की तरफ से दिल्ली में प्रवेश कर रहे किसानों पर पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े हैं.

दिल्ली-नोएडा और दिल्ली-गाज़ियाबाद सड़क पर अक्षरधाम मंदिर के पास पुलिस के आँसू गैस के गोले छोड़ने की तस्वीरें सामने आई हैं. यहाँ पुलिस की भारी तैनाती है.

किसान एकता मोर्चा की अपील- ट्रैक्टर रैली को आख़िरी आंदोलन ना समझें

किसान एकता मंच के नेता ने सभी किसानों से अपील की है कि आंदोलन में शामिल किसान शांतिपूर्वक रैली करें और इसे आख़िरी आंदोलन न समझें.

उन्होंने कहा, ''हम बार बार कह रहे हैं कई शरारती तत्व आंदोलन में शामिल हो सकते हैं, इनसे किसानों को बच कर रहना है और अपना आंदोलन जारी रखना है. आपको ध्यान रखना होगा कि इस लड़ाई को जीतने के लिए शांति बहुत ज़रूरी है और इसलिए सभी को अपनी ज़िम्मेदारी संभालते हुए काम करना है.''

उन्होंने आगे कहा, ''सरकार चाहती है कि आंदोलन में फूट पड़े और आंदोलन हिंसक हो जाए. लेकिन आपसे विनती है कि हमें साथ रहना है. ये आंदोलन आगे भी होगा. 1 फरवरी को हमें संसद के लिए कूच करना है और इसके लिए भी हमारी तैयारी रखनी है.''

इससे पहले दिल्ली पुलिस भी इस तरह की आशंका जता चुकी है कि आंदोलन में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की जा सकती है.

किसान आंदोलन

नांगलोई चौक का हाल

बीबीसी के सहयोगी पत्रकार समीरात्मज मिश्र नांगलोई चौक पर मौजूद हैं.

उन्होंने बताया कि दिल्ली से टिकरी बॉर्डर की ओर जाने वाली सड़क को पिछले दो घंटे से पूरी तरीक़े से रोक दिया गया है. लगभग तीन चार किलोमीटर की दूरी से जितने भी चौराहे इस रोड पर पड़ते हैं, उसे जेसीबी लगाकर पुलिस ने रोक रखा है.

नांगलोई चौक पर बहुत बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों की घेराबंदी की गई है ताकि कोई भी व्यक्ति यहाँ से निकल ना सके. हालाँकि किसानों के झंडे लगे हुए छह मोटरसाइकिलें और कुछ कारें इधर आती ज़रूर दिख रही है लेकिन पुलिस वाले उन्हें वापस भेज रहे हैं.

बहुत से लोग जिन्हें इस तरह की बैरिकेडिंग के बारे में नहीं मालूम था, वो अपनी गाड़ियों से उतर कर रास्तों पर पैदल ही चलते दिख रहे हैं और उन्हें काफ़ी परेशानी हो रही है.

टिकरी बॉर्डर
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टिकरी बॉर्डर का नज़ारा

टिकरी बॉर्डर पर 30 किलोमीटर तक लंबी किसानों की रैली

टिकरी बॉर्डर पर मौजूद बीबीबी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा ने बताया है कि टिकरी बॉर्डर से किसानों की रैली निकल चुकी है.

उनके मुताबिक़ परेड में लोग शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली निकालते दिख रहे हैं, सड़क की एक तरफ ट्रैक्टर चल रहे हैं और उसके साथ किसान पैदल चल रहे हैं. रैली के दौरान देशभक्ति के गीत बजाए जा रहे हैं.

उनका कहना है कि ये काफ़िला पीछे कहाँ तक है, इस बारे में कहना मुश्किल है. उन्होंने जिन किसानों से बात की है, उनका कहना है कि पीछे ये रैली 30 किलोमीटर से भी लंबी है.

सिंघु बॉर्डरः किसान कर रहे बैरिकेड तोड़ने की कोशिश, पुलिस आंसू गैस के साथ तैयार

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा के मुताबिक़ किसान ट्रांसपोर्ट नगर के पास लगे बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि पुलिस आँसू गैस छोड़ने की पूरी तैयारी में है.

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता सतनाम सिंह पन्नु ने कहा है हम रिंग रोड पर निकलना चाहते हैं लेकिन पुलिस हमें रोक रही है. हमने पुलिस से न रोकने की अपील की है और कहा है कि आला अधिकारियों से बात करेंगे.

समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा कि जो रूट हमें दिया गया था, उससे हम सहमत नहीं हैं और हम रिंग रोड पर जाएँगे. हम अभी कुछ देर इंतज़ार करेंगे और पीछे से आ रहे किसानों का इंतज़ार करेंगे, उसके बाद मिलजुल कर चर्चा करेंगे.

सिंघु बॉर्डर
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सिंघु बॉर्डर का हाल

चिल्ला बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जुट रहे हैं किसान

चिल्ला बॉर्डर पर बीबीसी संवाददाता सलमान रावी ने कहा कि बड़ी संख्या में किसान एकत्र हुए हैं.

सुबह 10 बजे तक वहाँ से ट्रैक्टर रैली की शुरुआत नहीं हुई थी.

किसान नेताओं ने वहाँ तिरंगा फहराया और कहा कि एक घंटे में यहाँ किसानों की संख्या एक हज़ार के अधिक हो जाएगी.

आज़ाद मैदान में किसान आंदोलन
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आज़ाद मैदान में किसान आंदोलन

मुंबई के आज़ाद मैदान का हाल

महाराष्ट्र के 21 ज़िलों के किसान मुंबई के आज़ाद मैदान में कृषि बिल के विरोध में जुटे हुए हैं.

ये किसान दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पहुँचे हैं. आज़ाद मैदान में पहुँचे किसानों को महाराष्ट्र सरकार का भी समर्थन प्राप्त है.

सोमवार को पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप इनके समर्थन में आज़ाद मैदान पहुँचे.

किसान नेता महाराष्ट्र के गवर्नर को नए क़ानून के विरोध में ज्ञापन सौंपना चाहते थे. लेकिन गवर्नर गोवा चले गए.

इसके बाद शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास अभिनेत्रियों से मिलने का वक़्त है, लेकिन किसानों से नहीं.

गणतंत्र दिवस की सुबह मैदान में मौजूद किसानों में पहले भारत का झंडा फहराया. आंदोलन के नेताओं ने कहा कि दिल्ली की कोर कमेटी के फैसले के बाद यहाँ के आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी.

सिंघु बॉर्डर
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राजधानी में सुरक्षा इंतजाम

कृषि क़ानून पर अब तक क्या-क्या हुआ?

ग़ौरतलब है कि कृषि क़ानून पर अध्यादेश आने के बाद से इन क़ानूनों का विरोध हो रहा है.

जून से नवंबर तक पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में इस बिल के विरोध में किसान धरना दे रहे था. पिछले 60 दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि क़ानून के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं.

एनडीए के सहयोगी अकाली दल ने नए कृषि क़ानून के विरोध में एनडीए छोड़ दिया.

केंद्र सरकार किसानों से बातचीत के जरिए समाधान ढूंढने का प्रयास कर रही है.

किसान आंदोलन

अब तक किसान नेताओं और केंद्र सरकार बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है. सरकार न किसानों को क़ानून पर कमेटी बनाने से लेकर 18 महीने तक कृषि क़ानून स्थगित करने का ऑफ़र दिया है. इसके साथ ही बिजली बिल और पराली क़ानून पर भी किसानों की बात मानने का भरोसा दिया है.

लेकिन किसान तीन कृषि क़ानून को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानून लाने की माँग कर रहे हैं.

मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले का हल ढूंढने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई. एक सदस्य ने इस्तीफ़ा दे दिया है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी देश भर के किसानों से नए क़ानून पर चर्चा कर रही है. दो महीने में उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.

इस बीच आंदोलन में शामिल कई किसानों की मौत भी हुई है. पंजाब के मुख्यमंत्री ने ऐसे किसानों के परिवार वालों को सरकारी नौकरी देना का एलान किया है.

किसान नेताओं ने बजट सत्र के दौरान 1 फरवरी को संसद कूच करने का भी एलान किया है.

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