तालिबान ने कहा है कि वो किसी के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
तालिबान ने कहा- भूल चुके हैं अतीत, नहीं ले रहे बदला, यूएन ने कहा- दे रहे हैं सजा-ए-मौत
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया, “ हम अतीत की सब बातें भूल चुके हैं. तालिबान के पास ऐसे लोगों को कोई लिस्ट नहीं है जिन्हें निशाना बनाया जाना हो या फिर बदला लिया जाना हो.”
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से ऐसी रिपोर्टें सामने आ रही हैं जिनमें दावा किया गया है कि तालिबान के लड़ाके विरोधियों को निशाना बना रहे हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक तालिबान उन्हें ‘मौत की सज़ा’ दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार कमिश्नर मिशेल बैशले ने ऐसी रिपोर्टों को ‘विश्वसनीय’ बताया.
उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार काउंसिल को बताया था कि ऐसी रिपोर्टें भी मिली हैं कि तालिबान महिलाओं पर तमाम पाबंदियां लगा रहे हैं और बच्चों को सैनिक के तौर पर भर्ती कर रहे हैं.
तालिबान जब पहले 1996 से 2001 के दौरान सत्ता में थे तो उन्होंने इस्लामिक शरिया क़ानून को कड़ाई से लागू किया था. हालांकि तालिबान इस बार अपनी छवि को अलग तरीके से पेश करने की कोशिश में हैं. लेकिन मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट लगातार सामने आ रही हैं.
बीते हफ़्ते एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया था कि तालिबान ने हाल में हज़ारा समुदाय के लोगों बुरी तरह से टार्जर किया था और उनकी जान ले ली थी. प्रत्यक्षदर्शियों ने जुलाई में हुई घटना की ख़ौफनाक़ तस्वीर सामने रखी थी.
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