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दोमंज़िला इमारत बन गई थी चरमपंथियों का बंकर
संजय शर्मा
चंडीगढ़ से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए
6 घंटे पहले
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Image copyrightSanjay Sharma
पठानकोट एयरबेस पर हुए चरमपंथी हमले में भारतीय सेना ने छह चरमपंथियों को मार गिराया.
भारत-पाकिस्तान सीमा से 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद एयरबेस पर भारतीय सेना का तलाशी अभियान पूरा होने के क़रीब है.
पश्चिमी कमांड के मुख्य सैन्य कमांडर केजे सिंह ने मीडिया को बताया, ''वायुसेना और सेना के बीच महत्वपूर्ण संपत्तियों को एक दूसरे को सौंपने की कार्यवाही गुरुवार को होगी.''
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कमांडर के मुताबिक़ भारतीय सेना ने इन अहम संपत्तियों को ख़ुफ़िया एजेंसियों और पंजाब पुलिस से मिले इनपुट के बाद दूर हटाया था.
हालांकि अभी पठानकोट में सेना का अभियान पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है क्योंकि ख़ुफ़िया एजेंसियों को चरमपंथियों के एकाध अन्य जगहों पर भी होने की सूचनाएं मिली हैं.
Image copyrightAFP
सेना अभी भी इलाक़े में बम स्क्वाड और एंटी माइनिंग यूनिट्स के पीछे रहकर काम कर रही है.
भारतीय सेना अभी भी मारे गए चरमपंथियों के अंतिम संस्कार के बारे में फ़ैसला नहीं कर पाई है. उनके शव इलाक़े में बिखरे पड़े हैं और उनमें भी विस्फोटक होने का डर है.
लेफ़्टिनेंट जनरल केजे सिंह के मुताबिक़, ''एक चरमपंथी के शरीर में पिन निकला हुआ ग्रेनेड पाया गया है.'' उनके मुताबिक़ अगर शव हटाने की कोशिश की जाती, तो ग्रेनेड फट सकता था.
Image copyrightAP
इसके अलावा दो चरमपंथियों के शव अभी तक नहीं मिले हैं. उनके हाथ-पांव की पहचान ही हो पाई है. इन्हें डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित रखा गया है. इनके शव बुरी तरह जल भी गए हैं.
जनरल सिंह ने बताया, ''एनएसजी ने शुरुआत से अभियान को सावधानीपूर्वक शुरू किया क्योंकि परिसर में मौजूद म्यांमार, श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान और नाइजीरिया के 23 प्रशिक्षुओं को बंधक बना लिए जाने की आशंका थी.''
''इसके अलावा एनएसजी की सावधानी बरते जाने की बड़ी वजह यह भी थी कि चरमपंथी परिसर के अंदर किसी को या बाहर आम नागरिक को भी बंधक बना सकते थे.''
Image copyrightAP
उन्होंने बताया, ''एक डर यह भी था कि यह हमला एयरबेस को निष्क्रिय बनाने के उद्देश्य से किया गया. इसलिए उन्हें रणनीतिक तौर पर नाकाम करना था.''
ख़ुफ़िया एजेंसियों से मिली जानकारी के चलते भारतीय सेना ने चरमपंथियों को एयरबेस परिसर के शुरुआती 500 मीटर की दायरे में ही पहचान लिया था.
इस अभियान में एनएसजी तैनात करने का फ़ैसला शीर्ष स्तर पर सैन्य प्रमुखों की बातचीत के बाद लिया गया.
Image copyrightGetty
सैन्य अभियान के लंबे समय तक जारी रहने की वजह बताते हुए लेफ़्टिनेंट जेनरल ने कहा, ''हम भारी विस्फोटकों का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे क्योंकि पड़ोस में आम आबादी भी रह रही थी.''
उन्होंने बताया कि जब सैन्यबल ने चरमपंथियों को एक इलाक़े में सीमित कर दिया, उसके बाद उनसे निपटना आसान हो गया.
केजे सिंह के मुताबिक़ यह सैन्य अभियान भले 90 घंटे तक चला लग रहा हो, लेकिन सुरक्षाबलों के जवानों और चरमपंथियों के बीच मुठभेड़ की स्थिति 10 घंटे ही रही.
इस सैन्य अभियान में इसलिए भी ज़्यादा वक़्त लगा क्योंकि सुरक्षाबलों के कम से कम छह जवान चरमपंथियों के साथ उसी दोमंज़िला इमारत में मौजूद थे.
Image copyrightEPA
जब सुरक्षाकर्मियों को उस इमारत से निकाल लिया गया, उसके बाद अर्थ मूवर्स के जरिए इमारत को गिराया गया.
लेफ़्टिनेंट जनरल के मुताबिक़ इमारत काफ़ी पुरानी थी और उसमें स्टील के दरवाजे लगे थे, जिसके चलते चरमपंथी उसका इस्तेमाल बंकर की तरह कर रहे थे.
एक चरमपंथी का शव इमारत की एक अलमारी में मिला.
क्या चरमपंथियों को स्थानीय मदद मिली होगी, यह पूछे जाने पर लेफ़्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने बताया, ''स्थानीय मदद की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.''
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