शिवसेना के खिलाफ सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र से जमीयत का इनकार ।
सोनिया जी, शिवसेना को समर्थन मत दीजिए, क्या जमीयत ने ऐसा पत्र भेजा है?
महाराष्ट्र में सरकार को लेकर अब भी सस्पेंस क़ायम है. शिव सेना के नेतृत्व में सरकार बनाने को लेकर अभी तक कांग्रेस और एनसीपी ने अपना रुख़ स्पष्ट नहीं किया है.
सरकार को लेकर चल रही आपाधापी के बीच जमीयत उलेमा ए हिंद का एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि शिव सेना के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देना कांग्रेस के लिए हानिकारक होगा.
ये भी दावा किया गया है कि संगठन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी भावना से अवगत करा दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए इस कथित पत्र में जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने लिखा है, "मैं आपका ध्यान महाराष्ट्र में चल रही गंदी राजनीति की ओर खींचना चाहता हूँ. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप शिव सेना को समर्थन देने के बारे में सोच रही हैं. ये फ़ैसला कांग्रेस पार्टी के लिए काफ़ी ख़तरनाक होगा."ॉ
लेकिन जब बीबीसी ने अरशद मदनी से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को ऐसा कोई पत्र नहीं भेजा गया है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "सरकार कौन बना रहा है, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं. हम किसी को ऐसी सलाह नहीं देते हैं. हमने कभी कांग्रेस पार्टी या उनके नेता को पत्र नहीं लिखा है. राजनीति से हमारा कोई वास्ता नहीं है."
महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्तूबर को आ गए थे. बीजेपी को सबसे ज़्यादा 105 सीटें मिली थी. शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं.
शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था और उनके गठबंधन को बहुमत भी मिल गया था. ऐसा लग रहा था कि महाराष्ट्र में आसानी से भाजपा-शिव सेना की सरकार बन जाएगी. लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार ऐसी बढ़ी कि दोनों पार्टियों के रास्ते अलग-अलग हो गए.
शिवसेना का दावा है कि एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से वो राज्य में सरकार बना लेगी. लेकिन अभी तक इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. अभी तक मुलाक़ातों का दौर चल रहा है. सोमवार को शरद पवार ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात की थी.
मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि शिवसेना के मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई है. इस समय महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू है और सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस क़ायम है.
साभार बीबीसी हिंदी
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