जामिया कैंपस में पुलिस का घुसना वैध था या अवैध?

अभिजीत कांबले

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नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध हो रहा है. इसी विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक झड़प में दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस ने बिना वीसी की अनुमति के प्रवेश कर छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी.
पुलिस की इस कारवाई पर अब बहस छिड़ गई है. विश्वविद्यालय मे प्रवेश के लिए पुलिस को भी एक ख़ास प्रक्रिया से गुजरना होता है.
विश्वविद्यालय परिसर में बिना अनुमति आई पुलिस के ख़िलाफ़ यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफ़ेसर नजमा अख़्तर ने एफ़आईआर कराने की बात कही है.
दूसरी तरफ़ दिल्ली पुलिस के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एमएस रंधावा का कहना था, "पुलिस भीड़ को हटाने की कोशिश कर रही थी, तभी पत्थरबाजी हुई और हमें उनका पीछा करना पड़ा. हम लोग इस घटना की जांच कर रहे हैं."
बिना अनुमति के पुलिस के कैंपस में आने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुखदेव थोराट का कहना है', "जेएनयू में पुलिस अब आने लगी है. 40 सालों में पुलिस कभी अंदर नही आई. पुलिस आकर गेट पर ही खड़ी रहती थी. विश्वविद्यालय एक स्वतंत्र संस्था है, इसलिए पुलिस को विश्वविद्यालय प्रशासन से प्रवेश की अनुमति लेकर आना अनिवार्य है. हालांकि कोई बड़ी आपदा की स्थिति में पुलिस सीधे प्रवेश कर सकती है. लेकिन विश्वविद्यालय नियम सब पर लागू होता है."
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दूसरी ओर, पुलिस व्यवस्था के जानकार और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी मीरा बोरवणकर कहती हैं, "विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए पुलिस हमेशा से अनुमति लेकर ही जाती है लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह अनुमति ज़रूरी नहीं होती. अगर पुलिस किसी का पीछा करते हुए यानी 'हॉट चेज़'करते हुए जाती है तो उस वक़्त अनुमति ज़रूरी नहीं होती. लेकीन आम तौर पर जैसे ही विश्वविद्यालय परिसर में छात्र आंदोलन कर रहें हो तो प्रवेश करते वक़्त भी पुलिस हमेशा प्रशासन से संपर्क करती है. छात्रों के साथ कोई संघर्ष न हो, इस चीज़ का ख़ास ध्यान रखा जाता है. आंदोलनकारियों का पीछा करते हुए अगर पुलिस को अंदर जाना पड़े तो उसके लिए उसके पास ठोस कारण होने चाहिए."
कॉलिन गोन्ज़ालविस जो ह्यूमन राइट्स नेटवर्क के संस्थापक और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं, उनके अनुसार, "जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पुलिस बिना अनुमति के गई. अगर विश्वविद्यालय में उस वक़्त कुलपति मौजूद थे तो उन्हें इसकी जानकारी पहले से देना ज़रूरी है".
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यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस कार्रवाई के मामलों में जो गिने-चुने मामले हैं, उनमें एक पंजाब यूनिवर्सिटी का है. अप्रैल 2017 में चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में पुलिस तब आई जब छात्र भड़क उठे थे. मामला फीस बढ़ाने का था. छात्र आंदोलन पर उतरे थे. उन्हें काबू में करने के लिए ही कुलपति ने पुलिस बुलाई थी.
चंडीगढ़ के वरिष्ठ क़ानूनविद् अर्जुन शेवरान का कहना है, "विश्वविद्यालय में जब भी पुलिस आई है, उसके उलट परिणाम हुए हैं. इसलिए केंद्रीय विश्वविद्यालय में अपनी सुरक्षा व्यवस्था होती है. पुलिस बिना अनुमति के नहीं जा सकती. अगर शिक्षा को स्वतंत्र और क़ायम रखना है तो पुलिस को यूनिवर्सिटी जैसे शिक्षा संस्थाओ से दूर ही रखना बेहतर है."

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