सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने कहा - क़ुरान ही हमारा संविधान, भारत पर भी बोले
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश के नेशनल टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर बात की है. इसमें उन्होंने भारत का भी नाम लिया और भारत से अच्छे संबंधों की वकालत की.
कोराना महामारी के कारण तेल से हासिल होने वाले राजस्व पर निर्भर सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. ऐसे में कहा जा रहा था कि अब तक सऊदी अरब इनकम टैक्स नहीं लगाता था लेकिन आने वाले दिनों में लगा सकता है. लेकिन क्राउन प्रिंस ने इन अटकलों को ख़ारिज कर दिया है.
प्रिंस सलमान ने इंटरव्यू में कहा कि सऊदी अरब में इनकम टैक्स लागू करने की कोई योजना नहीं है. पिछले साल जुलाई महीने में सऊदी अरब ने अस्थायी रूप से वैट को पाँच फ़ीसदी से बढ़ाकर 15 फ़ीसदी कर दिया था.
क़ुरान ही संविधान
क्राउन प्रिंस ने संविधान को लेकर कहा कि क़ुरान ही संविधान है.
उन्होंने कहा, ''मैंने पहले ही कहा था कि हमारा संविधान क़ुरान है और अब भी है. और ये आगे भी रहेगा, हमेशा के लिए. शासन की बुनियादी व्यवस्था में भी यह दिखता है. चाहे सरकार हो या विधायिका के रूप में शुरा काउंसिल या फिर शाह; तीनों ही क़ुरान का पालन करने के लिए बाध्य हैं. लेकिन सामाजिक और निजी मामलों में हम उन शर्तों को ही लागू करते हैं जिनके बारे में क़ुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है. हम बिना स्पष्ट व्याख्या के शरीयत के अनुसार सज़ा नहीं दे सकते.''
अरामको का एक फ़ीसदी शेयर बिकेगा
क्राउन प्रिंस ने ये भी कहा कि सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के एक फ़ीसदी शेयर को बेचने की बात चल रही है. पिछले महीने क्राउन प्रिंस ने घोषणा की थी कि पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर पार्टनरशिप प्रोगाम को मज़बूती देने के लिए सऊदी अरब अगले 10 सालों में इतना ख़र्च करेगा कि पिछले 300 सालों में नहीं हुआ है.
क्राउन प्रिंस ने सऊदी विज़न 2030 लॉन्च किया था और इसके पाँच साल पूरे होने पर ही यह इंटरव्यू दिया है.
वैल्यू ऐडेड टैक्स यानी वैट को तीन गुना करने पर क्राउन प्रिंस ने कहा, ''हम इसे कम करने की योजना पर काम कर रहे हैं. वैट तीन गुना करना काफ़ी मुश्किल फ़ैसला था. ये मेरे लिए काफ़ी पीड़ादायी फ़ैसला था. हम नहीं चाहते हैं कि सऊदी के लोगों को किसी भी सूरत में मुश्किलों का सामना करना पड़े. हम भविष्य को लेकर लंबी अवधि के लिए काम कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य आने वाले 20-30 सालों के लिए है.''
क्राउन प्रिंस ने ये नहीं बताया कि अरामको का एक फ़ीसदी शेयर कौन ख़रीदेगा. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को ही सऊदी अरब का असली शासक माना जाता है.
उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि दो और कंपनियों के शेयर बेचे जाएंगे. कहा जाता है कि क्राउन प्रिंस से पहले अरामाको के शेयर बेचने के बारे में सोचना भी मुश्किल था लेकिन अब मोहम्मद बिन-सलमान सऊदी अरब में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए ये सब कर रहे हैं. इस नीति को उनके विज़न 2030 का हिस्सा भी बताया जा रहा है.
बाइडन प्रशासन से 90 फ़ीसदी मुद्दों पर सहमति
कहा जा रहा था कि अमेरिका में ट्रंप के जाने के बाद सऊदी अरब की मध्य-पूर्व में स्थिति कमज़ोर होगी और अमेरिका-सऊदी के रिश्ते भी करवट लेंगे. क्राउन प्रिंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से 90 फ़ीसदी मुद्दों पर सहमति है. उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर असहमति है, उन पर साथ मिलकर काम किया जा रहा है.
क्राउन प्रिंस ने कहा, ''जैसे हर परिवार में भाई सभी मुद्दों पर 100 फ़ीसदी सहमत नहीं होते हैं, वैसा ही सरकारों के साथ होता है.''
क्राउन प्रिंस ने कहा, ''ज़ाहिर है कि अमेरिकी सरकार और सऊदी में कुछ मुद्दों पर असहमति है. ये असहमतियां बढ़ती और घटती रहती हैं. लेकिन हमारे बीच 90 फ़ीसदी मुद्दों पर सहमति है. हमारी विदेश नीति सऊदी अरब के हितों से संचालित होती है.''
राष्ट्रपति बाइडन ने यमन में सऊदी अरब के आक्रामक सैन्य कार्रवाई को मदद देना बंद कर दिया था.
क्राउन प्रिंस ने कहा कि सऊदी अरब की आबादी लगातार बढ़ रही है और बढ़ती आबादी की ज़रूरतें पूरी करने के लिए केवल तेल का राजस्व काफ़ी नहीं है. उन्होंने कहा कि विज़न 2030 का बड़ा लक्ष्य यही है कि सऊदी की निर्भरता तेल के राजस्व पर से कम किया जाए.
क्राउन प्रिंस ने कहा, ''सऊदी अरब में जब तेल की खोज हुई तो आबादी 20 से 30 लाख थी जो कि अब बढ़कर क़रीब दो करोड़ हो गई है. ऐसे में तेल से मिलने वाले राजस्व से हम बढ़ती आबादी और महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते. हम 1960 के दशक से बहुत आगे निकल चुके हैं. अगर हम पुरानी राह पर ही चलेंगे तो आने वाले 20-30 सालों में हम पर बुरा असर पड़ेगा और वर्तमान जीवन शैली को जारी नहीं रख पाएंगे.''
भारत का नाम प्रमुखता से
क्राउन प्रिंस ने अपने इंटरव्यू में भारत का भी नाम लिया. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब भारत से रिश्तों को मज़बूत करने पर काम कर रहा है.
प्रिंस सलमान ने कहा, ''1950 के दशक में अमेरिकी अर्थव्यवस्था दुनिया की पूरी अर्थव्यवस्था का 50 फ़ीसदी थी लेकिन अभी क्या स्थिति है? अब केवल 20 फ़ीसदी है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया की तस्वीर बदली. हम बाक़ी के रणनीतिक साझेदारों से रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं.''
''हम खाड़ी के देशों, मध्य पूर्व के देशों और ब्रिटेन, फ़्रांस यूरोप के अलावा भारत, चीन, रूस, लातिन अमेरिका और अफ़्रीका से रिश्ते मज़बूत कर रहे हैं. हम ये सब सऊदी अरब के हित में कर रहे हैं और इससे किसी देश को कोई नुक़सान नहीं होगा. चीन घोषणा कर रहा है कि सऊदी अरब उसका रणनीतिक पार्टनर है. भारत भी ऐसा ही कर रहा है. रूस ने भी ऐसा ही कहा. हालांकि इसके बावजूद अमेरिका के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी है.''
क्राउन प्रिंस ने कहा, ''हम अपने हितों के लिए विदेशी संबंधों को मज़बूत कर रहे हैं. यह बाक़ी के देशों और अंतराष्ट्रीय हित के लिए भी ठीक है. आख़िरकार हर देश का अपना चुनाव होता है. हम पारस्परिक हितों का ध्यान रखते हैं. सऊदी अरब आंतरिक मामलों में किसी भी देश के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का पालन हर हाल में होना चाहिए कि हर मुल्क की संप्रभुता का सम्मान किया जाए.''
ईरान पर नरम
ईरान से रिश्तों को लेकर भी क्राउन प्रिंस ने खुलकर बोला.
उन्होंने कहा, ''ईरान हमारा पड़ोसी मुल्क है. हम ईरान से अच्छा संबंध चाहते हैं. हम नहीं चाहते कि ईरान के साथ रिश्ते जटिल बने. हम चाहते हैं कि दोनों देशों को एक दूसरे से फ़ायदा हो. समस्या यह है कि हम नकारात्मकता के शिकार हैं. हम समस्या समाधान चाहते हैं. हमें उम्मीद है कि ईरान के साथ अच्छे रिश्ते होंगे.''
यमन को लेकर क्राउन प्रिंस ने कहा कि यमन और सऊदी अरब के बीच यह कोई पहला संकट नहीं है.
उन्होंने कहा, ''पहली बार किंग अब्दुलाज़िज़ के वक़्त में हुआ और इसका समाधान भी हुआ. फिर 1970 और 80 के दशक में हुआ और इसका समाधान 1990 के दशक में हुआ. तीसरी बार संकट 2009 में शुरू हुआ. अगर इसमें हूती विद्रोही शामिल नहीं होते तो हम इसका भी समाधान खोज लिए होते.''
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