पाकिस्तान में हम अमेरिका को अपना सैन्य अड्डा हरगिज़ नहीं देंगे: इमरान ख़ान- उर्दू प्रेस रिव्यू
- इक़बाल अहमद
- बीबीसी संवाददाता
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ज़ोर देकर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान अमेरिका को अपने फ़ौजी अड्डे नहीं देगा.
एक अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट एक्सिओज़ के जोनाथन स्वैन को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने यह बातें कहीं.
इस पूरे इंटरव्यू को रविवार को एचबीओ पर प्रसारित किया जाएगा लेकिन उसकी एक क्लिप वेबसाइट ने शेयर की है जिसके बाद से यह ख़बर पाकिस्तान के हर अख़बार और सोशल मीडिया पर छा गई है.
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वेबसाइट ने 38 सेकंड का टीज़र जारी किया है. इसमें जोनाथन स्वैन इमरान ख़ान से पूछते हैं, "क्या आप अमेरिकी सरकार को इस बात की इजाज़त देंगे कि अफ़ग़ानिस्तान में अल-क़ायदा, आईएसआईएस और तालिबान के ख़िलाफ़ सीमा पार आतंकवाद निरोधी ऑपरेशन करने के लिए सीआईए यहां पाकिस्तान में रहे?"
इसके जवाब में इमरान ख़ान ने कहा, "हरगिज़ नहीं. अफ़ग़ानिस्तान के अंदर किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए पाकिस्तान अपने किसी भी अड्डे या अपनी धरती को अमेरिका को इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देगा."
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इमरान ख़ान के इस बयान की इसलिए अहमियत है क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेना 11 सितंबर तक वापस चली जाएगी और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा और वहां चरमपंथी संगठनों के फिर से सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है.
अमेरिका चाहता है पाकिस्तान का साथ
अमेरिका सितंबर के बाद की स्थिति के लिए पाकिस्तान समेत कई दूसरे देशों से बात कर रहा है.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी इंडो-पैसिफ़िक अफ़ेयर्स के सहायक सचिव डेविड एफ़ हॉलवे ने कुछ दिनों पहले अमेरिकी सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया था कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने के बाद भी अमेरिका पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका है.
कुछ दिनों पहले न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार में भी एक ख़बर छपी थी कि सैन्य अड्डे के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान में गतिरोध पैदा हो गया है.
इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि पाकिस्तान से हर स्तर पर बात हो रही है ताकि अमेरिकी सेना के हटने के बाद इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि अफ़ग़ानिस्तान दोबारा कभी भी अल-क़ायदा, आईएसआईएस या किसी और चरमपंथी संगठन का बेस ना बन सके जहां ये ये संगठन अमेरिका पर हमला कर सकें.
इन ख़बरों के सामने आने के बाद, पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया ने यह दावा किया था कि बलूचिस्तान के नसीराबाद ज़िले में बनाया जाने वाला एयर बेस वास्तव में अमेरिकी सेना के अनुरोध पर बनाया जा रहा है और एयर बेस का उपयोग अमेरिका ही करेगा.
इसके जवाब में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमदू क़ुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तानी सैनिक अड्डे को अमेरिका को इस्तेमाल करने की इजाज़त देने की कभी बात हुई ही नहीं थी, इसलिए इसमें गतिरोध पैदा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
अब उसी बात को इमरान ख़ान ने दोहराया है कि पाकिस्तान किसी भी हालत में अमेरिका को अपने सैन्य अड्डे इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देगा.
'मोदी ने घुटने टेक दिए'
भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत प्रशासित कश्मीर के 14 नेताओं को कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए दिल्ली आने की दावत दी है.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेताओं ने दावत मिलने की पुष्टि की है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यह बैठक 24 जून को दिल्ली में होने वाली है.
अख़बार एक्सप्रेस ने इस ख़बर को भारत की हार क़रार देते हुए लिखा है कि 'नरेंद्र मोदी ने घुटने टेक दिए हैं और कश्मीर की सभी पार्टियों की बैठक बुलाने का फ़ैसला किया है.'
अख़बार लिखता है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरियों के ठोस इरादे और दृढ़ निश्चय के आगे घुटने टेक दिए और विशेष राज्य की बहाली समेत दूसरी समस्याओं के हल के लिए कश्मीर की सभी पार्टियों के साथ बैठक करने का फ़ैसला किया है."
अख़बार के अनुसार, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लोकप्रियता तेज़ी से गिरती जा रही है और पाँच अगस्त 2019 को कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के फ़ैसले में आगे-आगे रहने वाले अमित शाह अब भारत प्रशासित कश्मीर के बदलते हालात पर सिर जोड़ कर बैठ गए हैं. इस सिलसिले में गृहमंत्री ने कश्मीर के उप-राज्यपाल और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की है.'
अख़बार का यह भी कहना है कि 24 को होने वाली बैठक में कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में कोई बात नहीं होगी और मोदी सरकार सिर्फ़ राज्य में चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के बारे में बातचीत करेगी.
भारत ने पाँच अगस्त, 2019 को कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था और उसे राज्य की जगह पर दो केंद्र प्रशासित राज्यों में तब्दील कर दिया था.
'कुलभूषण जाधव मामले में भारत ग़लत तथ्य पेश कर रहा है'
पाकिस्तान का कहना है कि उसकी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में भारत अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फ़ैसले को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है.
अख़बार जंग के अनुसार शनिवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान के ज़रिए उपलब्ध कराए गए क़ानूनी रास्तों का इस्तेमाल करने से 'इनकार' कर रहा है.
पाकिस्तान का यह बयान भारत के उस बयान के बाद आया है जिसमें भारत ने कुलभूषण को अपनी सज़ा के ख़िलाफ़ अपील दायर करने के लिए पाकिस्तानी संसद में पेश किए गए बिल को कमियों से भरपूर क़रार दिया था.
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना के एक अधिकारी हैं जिन्हें जासूसी करने के लिए पाकिस्तान भेजा गया था और पाकिस्तान ने 2016 में उन्हें बलूचिस्तान से गिरफ़्तार किया था.
भारत का कहना है कि कुलभूषण एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं जो अब बिज़नेस करते हैं और पाकिस्तान के ख़ुफ़िया अधिकारियों ने पाकिस्तान-ईरान सीमा के क़रीब उनका अपहरण कर लिया था.
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पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का मुजरिम क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का आदेश
भारत ने इसका विरोध करते हुए अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था और अपील की थी कि कुलभूषण की सज़ा माफ़ करके उनकी रिहाई का आदेश दिया जाए.
आईसीजे ने 2019 में अपना फ़ैसला सुनाया. उसने भारत की इस अपील को तो ख़ारिज कर दिया था लेकिन उसने पाकिस्तान को भी आदेश दिया था कि वो कुलभूषण को अपनी सज़ा के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका डालने तथा उसे काउंसुलर एक्सेस दे और उनकी फाँसी को उस वक़्त तक टाल दे जब तक इस पर अंतिम फ़ैसला नहीं आ जाता.
पाकिस्तान ने आईसीजे के आदेश को लागू करने के लिए निचले सदन में एक बिल पेश किया था जिसे पास कर दिया गया है. इस बिल को ऊपरी सदन से मंज़ूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह क़ानून बन जाएगा.
इस क़ानून के बाद कुलभूषण सैन्य अदालत के फ़ैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकेंगे. लेकिन भारत का कहना है कि उस क़ानून में कई कमियां है और पाकिस्तान ने अभी तक कुलभूषण जाधव को प्रभावी तरीक़े से पुनर्विचार याचिक दाख़िल करने का अवसर नहीं मुहैया कराया है.
भारत के इस आरोप का जवाब देते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि वो अपनी तमाम अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारियां पूरा करता है जिनमें कुलभूषण जाधव का भी मामला शामिल है. पाकिस्तान का कहना है कि भारत इस मामले में उसके ज़रिए की जा रही कोशिशों को नज़रअंदाज़ करता रहा है और भारत इसे राजनीतिक रंग देता रहा है.
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