तालिबान की वापसी क्या चीन-पाकिस्तान के लिए खुशख़बरी है?

 

चीन और पाकिस्तान दोनों ही उन चुनिंदा देशों में भी शामिल हैं, जिनके दूतावास अफ़गानिस्तान में तालिबान के क़ब्ज़े के बाद भी सक्रिय हैं.

एक तरफ़ जहाँ अफ़गानिस्तान से हैरान-परेशान लोगों की चिंताजनक तस्वीरें सामने आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ़ चीन और पाकिस्तान का तालिबान के लिए नरम रवैया भी चर्चा का विषय है.

कई विशेषज्ञ चीन-पाकिस्तान और तालिबान के बीच इस 'रोमांस' पर बिल्कुल हैरान नहीं हैं. वो इसे तालिबान की एक बड़ी 'कूटनीतिक जीत' के रूप में देख रहे हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और तालिबान को कहीं न कहीं एक दूसरे की ज़रूरत है. वहीं, पाकिस्तान पर तालिबान को समर्थन देने के आरोप पहले से लगते रहे हैं.

तो क्या ऐसा माना जाए कि अफ़गानिस्तान में तालिबान का क़ब्ज़ा चीन और पाकिस्तान के लिए अच्छी ख़बर है? क्या तालिबान से चीन और पाकिस्तान को कोई ख़तरा भी है?



स्टोरीः सिंधुवासिनी

आवाजः विशाल शुक्ला

वीडियो एडिटः देबलिन रॉय

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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