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कश्मीरः उत्पीड़न और सवालों का सामना कर रहे पत्रकार

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  आमिर पीरज़ादा बीबीसी संवाददाता, श्रीनगर से इमेज स्रोत, SAJID RAINA इमेज कैप्शन, आक़िब जावीद भारत सरकार ने बीते साल जम्मू-कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा समाप्त कर दिया था. तब से ही भारत प्रशासित कश्मीर में पत्रकारिता को लेकर जोख़िम बढ़ गया है. इस सप्ताह भारत की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी(एनआईए) ने ग्रेटर कश्मीर के दफ़्तर और एएफ़पी के पत्रकार परवेज़ बुख़ारी के घर पर छापेमारी की. कुल मिलाकर एनआईए ने श्रीनगर और दिल्ली में नौ ठिकानों पर छापेमारी की जिनमें एनजीओ के दफ़्तर, शीर्ष कार्यकर्ताओं के घर शामिल हैं. एनआईए का कहना है कि ये छापे विश्वस्नीय सूचनाओं के आधार पर मारे गए थे. एनआईए का आरोप है कि ये एनजीओ और लोग विदेशों से पैसा ले रहे हैं और उसका इस्तेमाल अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में कर रहे हैं. विज्ञापन लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये छापे ऐसे समय में मारे गए हैं जब कश्मीर में पत्रकारिता और विरोध की आवाज़ें पहले से ही निशाने पर थीं. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें कश्मीरी कार्यकर्ताओं और मीडिया पर एनआईए के छापे से उठे कई सवाल कश्मीर: पुलिस की लाठी और भीड़ के पत्थर

#Kashmiri_Journalists कार्रवाई मामले पर अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं रिपोर्टर्स सांस फ़्रंतिए और एमनेस्टी इंटरनेशल ने भारत सरकार से आरोपों को वापस लेने और प्रेस की स्वतंत्रता बहाल करने की माँग की है.

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क्यों हो रही है कश्मीरी पत्रकारों पर कार्रवाई रियाज़ मसरूर बीबीसी संवाददाता, श्रीनगर इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए भारत प्रशासित कश्मीर में सरकार ने सख़्त क़ानून यूएपीए (ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) के तहत एक महिला फ़ोटो-पत्रकार समेत तीन पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है जिसकी दुनिया भर के पत्रकारों के संगठन ने भर्त्सना की है. 26 वर्षीया मसरत ज़हरा पर राष्ट्रविरोधी फ़ेसबुक पोस्ट्स लिखने का आरोप है जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी आक्रोश देखा गया. ज़हरा पिछले चार वर्षों से वाशिंगटन पोस्ट और गेटी इमेजेज़ के लिए कश्मीर कवर कर रही थीं. विज्ञापन राष्ट्रीय समाचार पत्र द हिंदू के संवाददाता आशिक़ पीरज़ादा को एक पुलिस हैंडआउट के अनुसार “फ़ेक न्यूज़” लिखने के आरोप में थाने तलब किया गया. उन्हें इसके लिए लॉकडाउन के बीच श्रीनगर से लगभग 100 किलोमीटर दूर अपने घर से लंबा सफ़र करना पड़ा. null और ये भी पढ़ें भारत प्रशासित कश्मीर में एक अन्य पत्रकार के ख़िलाफ़ के