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मंदिर से पानी पीने पर मुस्लिम लड़के की पिटाई, विदेशी मीडिया ने क्या कहा?

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  15 मार्च 2021, 13:22 IST अपडेटेड 59 मिनट पहले इमेज स्रोत, GETTY IMAGES उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर में एक मंदिर से पानी पीने के लिए पीटे गये मुस्लिम लड़के की ख़बर को विदेशी मीडिया ने, ख़ासकर मुस्लिम देशों के मीडिया ने प्रमुखता से छापा है. पाकिस्तान के अंग्रेज़ी  अख़बार डॉन ने लिखा  है कि एक मुसलमान लड़के को मंदिर में प्रवेश करने और पानी पीने के लिए बुरी तरह पीटा गया. अख़बार लिखता है कि गुरुवार को ग़ाज़ियाबाद ज़िले (यूपी) के डासना कस्बे में मंदिर के केयरटेकर श्रृंगी नंदन यादव ने मंदिर से पानी पीने के लिए 14 वर्षीय मुस्लिम लड़के की पिटाई की. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में मुस्लिम लड़के के पिता का बयान छापा है, जिन्होंने कहा, "मेरा बेटा प्यासा था, इसलिए वो मंदिर में लगी एक टंकी से पानी पीने चला गया. उससे उसकी पहचान पूछने के बाद उसे पीटा गया. उसे काफ़ी चोट आई है. उसके सिर में चोट है. यह सरासर ग़लत है. क्या पानी का भी कोई धर्म होता है? मुझे नहीं लगता कि किसी भी धर्म में प्यासे को पानी देने से मना किया गया है. इस मंदिर में भी पहले इस तरह की पाबंदी नहीं थी, लेकिन कुछ नियम अब बदले गये ह

देश में तथाकथित आतंकवाद के असलियत का परदाफाश || 127 लोगों की कैरियर बर्बादी के बाद आज़ाद ||पढ़िए बीबीसी की खास रिपोर्ट ।। और समझिए असलियत

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  गुजरात: प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन से जुड़े 20 साल पुराने मामले में 127 लोग बरी 18 मिनट पहले इमेज स्रोत, नरेश सोलंकी भारत में प्रतिबंधित इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) से कथित संबंध रखने के 20 साल पुराने एक मामले में सूरत की अदालत ने 127 मुसलमान कार्यकर्ताओं को बरी कर दिया है. 2001 में इस मामले में सूरत में 127 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में पुलिस ने इन्हें गिरफ़्तार किया था. 20 साल पुराने मामले इस मामले के सभी 127 अभियुक्तों को सूरत की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी करने का फ़ैसला सुनाया है. हालांकि इस मामले में सभी अभियुक्त ज़मानत पर रिहा थे. इनमें से पांच लोगों की मौत भी हो गई थी. मामले की अंतिम सुनवाई में सरकारी वकील नयनभाई सुखादवाला और बचाव पक्ष के वकील अब्दुल वहाब शेख शामिल हुए थे. विज्ञापन पुलिस की शिकायत के मुताबिक़ ये सभी इस्लामिक कार्यकर्ता सूरत में 2001 में अल्पसंख्यक शिक्षा के मुद्दे पर दो दिनों तक चलने वाले सेमिनार में भाग लेने आए थे. इन लोगों को प्रतिबंधिति संगठन इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (

देश को किस की नज़र लग गई ? हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे के दुश्मन देखिये कौसे-कैसे पढ़े लिखे लोग बन हैं , लेकिन इसके लिए जिम्मेवार कौन है ? सोंचता हूँ स्वछ दिमाग में गंदी नाली का कीटाणु किन की वजह से पैदा हो रहा ? पढ़िये एक वायरल खबर ।।

दो दिन पहले तमिलनाडु राज्य के कोयम्बटूर शहर में, दो मंदिरों के सामने एक शख्स मीट रखकर गायब हो गया। घटनास्थल मंदिर था, सामने मांस था। पूर्वाग्रहों के अनुसार शक मुस्लिमों पर ही जाना था। वर्तमान भारत के बहुसंख्यक समाज में नरेटिव ही ऐसा है। खबर सूंघते ही तमिलनाडु बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी श्रीनिवासन ने तुरंत इसपर राजनीति करना शुरू कर दिया। हाल तो ऐसे मसलों में अपराधी पकड़े नहीं जाते, दूसरी बात कि मंदिर-मांस की केमिस्ट्री ही ऐसी ही है कि बिना साबित करे ही अपराधी मुसलमान साबित किया जा सकता है। गनीमत रही कि कोयम्बटूर शहर में जगह-जगह CCTV हैं, दूसरी बात कि वहां सरकार भाजपा की नहीं है, हालांकि भाजपा वहां भी सरकार बनाने की लगातार कोशिश ही कर रही है, ऐसे नरेटिव भी भाजपा को खड़ा करने के लिए तैयार किए जाते हैं। ये भाजपा का देशव्यापी सक्सेजफुल पैटर्न है। पूरे शहर में मुस्लिम विरोधी माहौल बनने लगा। जबकि किसी को नहीं पता था कि अपराधी किस मजहब का है और मंदिर के आगे किस मन्तव्य से मांस रखा गया है। शहर भर के सीसीटीवीज खंगाले जाने पर एक संदिग्ध बाइक का पता चला। जो मंदिर के आगे पार्क की गई। अन्य सीसीटीवीज खं