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सुस्ती और महंगाई के इस दौर में 66% भारतीयों के लिए दैनिक खर्चों का प्रबंधन कठिन: सर्वे

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नई दिल्ली सुस्ती की मार झेल रही अर्थव्यवस्था पर हुए एक सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। आम आदमी पर महंगाई और आर्थिक मंदी की दोहरी मार पड़ रही है। हालत यह है लगभग 66 फीसदी लोगों को अपने घर का खर्च चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि वेतन या तो जस की तस है या फिर यह घट रहा है, लेकिन महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रही है, जिसका असर उनके खर्चों पर दिख रहा है। आईएएनएस-सी वोटर ने किया सर्वे आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वे में शामिल कुल 65.8% उत्तरदाता मानते हैं कि हाल के दिनों में उन्हें दैनिक खर्चों के प्रबंधन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वेक्षण के अनुसार बजट पूर्व किए गए इस सर्वेक्षण में आर्थिक पहलुओं पर मौजूदा समय की वास्तविकता और संकेत उभरकर सामने आए हैं, क्योंकि वेतन में वृद्धि हो नहीं रही, जबकि खाद्य पदार्थों सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें पिछले कुछ महीनों में बढ़ी हैं। 45 सालों की ऊंचाई पर बेरोजगारी पिछले साल जारी की गई बेरोजगारी दर का आंकड़ा 45 सालों की ऊंचाई पर है। दिलचस्प बात यह है कि 2014 में संयुक्त प्रग

#RTI के एक सवाल ने #Modi_Shah के दम फुला दिए हैं ? जवाब नहीं जुट रहा

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RTI में पूछा टुकड़े-टुकड़े गैंग में कौन हैं? गृह मंत्रालय ने नहीं दिया जवाब - पाँच बड़ी ख़बरें 1 घंटा पहले इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के सदस्य कौन हैं? एक आरटीआई याचिका में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से यही सवाल पूछा गया है, जिसका जवाब मंत्रालय अब तक नहीं दे पाया है. वरिष्ठ पत्रकार साकेत गोखले ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पिछले साल 26 दिसंबर को एक अर्ज़ी डाली थी. अर्जी में जो सवाल पूछे गए थे, वो कुछ इस तरह थे: -टुकड़े-टुकड़े गैंग कैसे और कब बना? null आपको ये भी रोचक लगेगा जेएनयू हिंसा पर चैनल का स्टिंग ऑपरेशन चर्चा में JNU पर मुरली मनोहर जोशी बोले- ऐसे वीसी को हटा देना चाहिए JNU: पहले किसने हमला किया और हमले के पहले क्या हुआ? हमारे समय में नहीं था 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग: जयशंकर null. -इसके सदस्य कौन-कौन हैं? -इसे यूएपीए (अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट) के तहत पाबंदी क्यों नही

मोदी सरकार के कुछ बड़े कारनामें जिन्हें जानकर कर आप शायद यही कहेंगे , मोदी है तो मुमकिन है

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देश बर्बादी की तरफ ? वाराणसी में प्याज 120 रुपए प्रति किलो, देश के कई शहरों में यह 200 रुपए तक बिका है !

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उत्तरप्रदेश / दूल्हा और दुल्हन ने पहनाई प्याज-लहसुन की माला, मेहमानों ने भी प्याज और लहसुन की टोकरियां गिफ्ट में दी दूल्हे के गले में प्याज-लहसुन की माला डालती दुल्हन। यहां प्याज 120 रुपए प्रति किलो बिक रही है। नवदंपती ने प्याज की ऊंची कीमतों का विरोध करने के लिए अनूठा तरीका अपनाया वाराणसी में प्याज 120 रुपए प्रति किलो, देश के कई शहरों में यह 200 रुपए तक बिका है Dainik Bhaskar Dec 14, 2019, 12:20 PM IST वाराणसी.  वाराणसी में दूल्हा और दुल्हन ने शादी के दिन एक-दूसरे को फूलों की जगह प्याज और लहसुन की माला पहनाई। शादी में आए मेहमानों ने भी नवदंपती को उपहार में प्याज और लहसुन की टोकरियां भेंट की हैं। पिछले एक महीने से प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। लोग अपनी-अपनी तरह से इसकी कीमतों को लेकर विरोध जताने नए-नए तरीके खोज रहे हैं। इस शादी में दूल्हा और दुल्हन ने भी प्याज और लहसुन की माला का इस्तेमाल विरोध स्वरूप ही किया है। वाराणसी में अभी प्याज 120 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। नवदंपती और मेहमानों का प्याज की ऊंची कीमतों का विरोध आसपास के लोगों में चर्चा का विषय रहा। इससे पह

देश में महंगाई का हाल एक नज़र में ! न खाएंगे न खाने देंगे

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इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES खाद्य महंगाई दर छह साल में पहली बार इतनी बढ़ी पिछले छह वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब नवंबर महीने में खाने-पीने की चीज़ों में महंगाई दर दो अंकों में पहुंच गई है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसो) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2013 के बाद से पहली बार पिछले महीने नवंबर में खाद्य महंगाई दर 10.1 फ़ीसदी हो गया. इसके अलावा नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 5.54 फ़ीसदी पर पहुंच गई और औद्योगिक उत्पादन दर घटकर 3.8 फ़ीसदी पर आ गया. खाद्य मंहगाई दर पर नज़र डालें तो अगस्त के बाद से इसमें तेज़ी से बढ़त देखी गई है. अगस्त महीने में यह 2.99 फ़ीसदी था जो सितंबर में बढ़कर 5.11 फ़ीसदी, अक्टूबर में 7.89 फ़ीसदी और नवंबर 10.1 फ़ीसदी तक पहुंच गया. https://www.bbc.com/hindi/india-50768941 ये भी पढ़ें :  भारत की अर्थव्यवस्था इस हाल में क्यों है

देश की सत्ता की पोल खोलती एक आवाज़ , उस आवाज़ का नाम है राहुल बजाज ।

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गिरती जीडीपी से आम आदमी को क्या डरना चाहिए?

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES लगातार बुरे दौर से गुज़र रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. शुक्रवार को सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के बीच देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी महज़ 4.5 फ़ीसदी ही रह गई. यह आंकड़ा बीते 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है. पिछली तिमाही की भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रही थी. जीडीपी के नए आंकड़े सामने आते ही विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''भारत की जीडीपी छह साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है लेकिन बीजेपी जश्न क्यों मना रही है? क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी जीडीपी (गोडसे डिवीसिव पॉलिटिक्स) से विकास दर दहाई के आंकड़े में पहुंच जाएगी.'' null आपको ये भी रोचक लगेगा क्या फ़िल्मों से पता चल सकता है अर्थव्यवस्था का हाल? 'आम आदमी को पुलवामा परोसने से अर्थव्यवस्था नहीं