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महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे असल में क्या कहते हैं? - नज़रिया

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25 अक्तूबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES चुनाव प्रचार और मतदान के बाद महाराष्ट्र को लेकर आए एग्ज़िट पोल के अनुमानों में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत हासिल करते हुए दिखाया गया. यहां तक कि मतगणना के कुछ दिन पहले हरियाणा में कांटे की टक्कर की बात कुछ लोगों ने स्वीकार की लेकिन महाराष्ट्र के नतीजों का अनुमान वैसा ही बना रहा. महाराष्ट्र की राजनीति पर क़रीब से नज़र रखने वाले कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र के नतीजों ने भले ही लोगों को चौंकाया हो लेकिन राज्य में स्थितियां इससे अलग नहीं थीं. पढ़ें राजनीति के जानकार सुहास पल शीकर  का नज़रिया, जिनसे बात की बीबीसी संवाददाता संदीप सोनी ने. जो अंतिम नतीजे आए हैं उसमें कोई ताज्जुब नहीं है. ये अलग बात है कि हमारा अनुमान था कि बीजेपी को कम से कम 110 सीटें हासिल होंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इससे बीजेपी के अंदर ही कई सवाल खड़े हो गए हैं. क्योंकि बीजेपी का अनुमान था कि उसे 120 सीटें तो मिल ही जाएंगी.

कौन लोग हैं जिन्हें 'बच्चे की दुआ' से दिक़्क़त है?: नज़रिया

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नासिरूद्दीन वरिष्ठ पत्रकार,बीबीसी हिंदी के लिए 25 अक्तूबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट ALLAMAIQBAL.COM कुछ उर्दू/ हिन्दुस्तानी अलफ़ाज़ हों, कहीं ख़ुदा, रब या अल्लाह जैसे शब्द आ जायें और लिखने वाले को इक़बाल कहते हों तो कुछ लोगों के कान खड़े होने के लिए इतना काफ़ी है. उनके लिए शब्दों के भेद जानना अहम नहीं है. उनके ज़हन में शब्दों से निकलने वाली आवाज़ों की छवियाँ हैं. उन छवियों में कोई धर्म है. उस धर्म की ख़ास छवि है. वही छवि उनके लिए असल मायने है. फिर चाहे, हम कितनी भी मानेख़ेज़ बात कहें, लिखें या बोलें, वे उन्हें उन छवियों से ही तौल देते हैं. सिरे से ख़ारिज करने की भरपूर कोशिश करते हैं. इस कोशिश में वे इतना आगे बढ़ जाते हैं कि 'भारत' शब्द से बनने वाली तस्वीर को ही तोड़ने लगते हैं. अगर हम वाक़ई में देखना चाहते हैं तो हाल के दिनों में ऐसा बहुत कुछ दिख सकता है. ताजा मामला एक नज़्म के सिलसिले में हैं. नज़्म लिखने वाले ने इसे 'बच्चे की दुआ'