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गाँधी की हत्या और सरदार पटेल ||जयप्रकाश नारायण बार-बार सरदार पटेल पर गांधी की हत्या को लेकर उंगली उठाते थे ||आख़िरी दिनों में पटेल भी गांधी से इतने दुखी क्यों थे?

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गाँधी की हत्या और सरदार पटेल जयप्रकाश नारायण बार-बार सरदार पटेल पर गांधी की हत्या को लेकर उंगली उठाते थे. आख़िरी दिनों में पटेल भी गांधी से इतने दुखी क्यों थे? रजनीश कुमार 10 फ़रवरी 1949 को दिल्ली के लाल क़िले के आसपास आवाजाही रोक दी दी गई थी. सुरक्षा बलों की भारी तैनाती थी. महात्मा गांधी की हत्या पर अदालत का फ़ैसला आने वाला था. लाल क़िले के भीतर ही विशेष अदालत बनाई गई थी. ठीक 11.20 बजे नाथूराम गोडसे के साथ आठ अन्य अभियुक्त कोर्ट रूम में लाए गए. केवल सावरकर के चेहरे पर गंभीरता थी जबकि नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे और विष्णु करकरे मुस्कुराते हुए आए. ब्लैक सूट में जज आत्माचरण कोर्ट रूम में 11.30 बजे पहुँचे. जज ने बैठते ही नाथूराम गोडसे का नाम पुकारा, जिस पर गोडसे खड़े हो गए. फिर बारी-बारी से सभी का नाम बोला गया. जज आत्माचरण ने गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फाँसी की सज़ा सुनाई. विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्टया, गोपाल गोडसे और दत्तात्रेय परचुरे को आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई गई. जज ने सावरकर को बेगुनाह क़रार दिया और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया. फ़ैसला सुनन