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कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तैयारी – प्रेस रिव्यू

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  22 नवंबर 2021, 08:00 IST इमेज स्रोत, GETTY IMAGES तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद एक बार फिर नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) को लेकर बहस शुरू हो गई है. अंग्रेज़ी अख़बार  'द हिंदू'  के मुताबिक़, असम में CAA के ख़िलाफ़ कई समूह फिर से जाग उठे हैं और 12 दिसंबर को प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं. मोदी सरकार क्या अब सीएए और एनआरसी पर भी पीछे हटेगी? भारत की हार, पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने वालों की नागरिकता ख़त्म होः बीजेपी नेता CAA के तहत अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले ग़ैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर 2014 तक इन देशों को छोड़ चुके हैं. कुछ संगठनों ने फिर से CAA के ख़िलाफ़ आंदोलन करने का फ़ैसला किया है, दिसंबर 2019 में इस आंदोलन में हुई पुलिस गोलीबारी में कम से कम पांच लोगों की जानें गई थीं. इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इन प्रदर्शनों में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और सामाजिक कार्यकर्ता से विधायक बने अखिल गोगोई की कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) और एक राजनीतिक दल असम जातीय परिषद भी शामिल होगा.

हिंदुओं और मुसलमानों ने जब दंगा करने के लिए मिलाया था हाथ

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  दिनयार पटेल इतिहासकार इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, प्रिंस ऑफ वेल्स आज से ठीक 100 साल पहले ग़ुलाम भारत के बॉम्बे (अब मुंबई) में एक ऐसा दंगा हुआ, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे अलग तरह के दंगों में से एक माना गया. इस दंगे में हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ने के बजाय एक साथ मिलकर लड़े थे. वहीं इनके विरोध में दूसरे समूह खड़े थे. इतिहासकार दिनयार पटेल आज के भारत को उस घटना से मिले सबक़ के बारे में बताते हैं. बॉम्बे का ये दंगा नवंबर 1921 में हुआ. प्रिंस ऑफ वेल्स दंगे के नाम से भी जाने जानेवाले इस दंगे को वैसे अब भुला दिया गया है. पर आज जैसे बंटे हुए वक़्त में धार्मिक असहिष्णुता और बहुसंख्यकवाद को लेकर यह दंगा देश को कई अहम सबक़ देता है. असहयोग आंदोलन के समय हुआ ये दंगा हिंसा की उन घटनाओं में आज़ादी की लड़ाई के एक हीरो, भावी ब्रिटिश सम्राट और पतनशील तुर्क सुल्तान कहीं न कहीं शामिल थे. साथ ही कई विचारधाराओं और लक्ष्यों, जैसे: स्वराज, स्वदेशी (आर्थिक आत्मनिर्भरता), बहिष्कार और पैन-इस्लामिज़्म को भी इसकी वजह बताया गया. विज्ञापन ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स (एडवर्ड आठवें) नवंबर 192