Posts

न्यायपालिका सिर्फ़ संविधान के प्रति जवाबदेह- भारत के चीफ़ जस्टिस रमन्ना

Image
  इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने 'लोकतंत्र में न्यायपालिका' विषय पर अपने एक संबोधन में कहा कि न्यायपालिका सिर्फ़ संविधान के प्रति जवाबदेह है, ना की किसी राजनीतिक दल और विचारधारा के प्रति. इंडियन एक्सप्रेस  की एक ख़बर के अनुसार, भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने अपने संबोधन में न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने की कोशिश करने वाली 'ताक़तों' पर निशाना साधते हुए यह बात कही. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी चाहती है कि न्यायपालिका, सरकार के हर क़दम का समर्थन करे जबकि विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि न्यायपालिका अपने पद और कारणों से आगे निकलकर काम करे. सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन-अमेरिकन्स के एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा, "जैसा कि हम इस साल आज़ादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाने जा रहे हैं और हमारा गणतंत्र अपने 72 साल देख चुका है, मैं यहां ये ज़रूर जोड़ते हुए कहना चाहता हूं कि हमने अभी तक संविधान के द्वारा हर संस्थान को सौंपी गई उसकी भूमिका और ज़िम्मेदारियों का सम्मान

राधिका कहती हैं, "दूसरे देशों से अलग तरह से संबंध रखना और देश के भीतर अलग तरह से समुदायों को देखना, ये दो तरह की बातें हैं जो अब नहीं चल सकेंगी. बीजेपी एक तरह के दोराहे पर है कि वो कट्टर बने रहना चाहेगी है या फिर मॉडरेट (मध्यमार्गी) रास्ता अपनाना चाहेगी."

Image
  नूपुर शर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से जुड़े कुछ ज़रूरी सवालों के जवाब मानसी दाश बीबीसी संवाददाता 2 जुलाई 2022 इमेज स्रोत, AJAY AGGARWAL/HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES पैगंबर मोहम्मद को लेकर भड़काऊ बयान के लिए देश की सर्वोच्च अदालत ने बीजेपी की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा को शुक्रवार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उनके बयान ने पूरे देश में अशांति का माहौल बना दिया है. कोर्ट ने नूपुर शर्मा की टिप्पणियों को "तकलीफ़देह" बताया और कहा कि किसी पार्टी की प्रवक्ता होने का मतलब ये नहीं है कि उनके पास ऐसे बयान देने का लाइसेंस है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जिस तरह से नूपुर शर्मा ने देश भर में भावनाओं को उकसाया, वैसे में देश में जो भी हो रहा है उसके लिए वो अकेली ज़िम्मेदार हैं. उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए. बीते एक महीने से जिस तरह इस पूरे मामले ने तूल पकड़ा, देश के बाहर भी इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देखी गई और अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसके बाद कुछ बदलेगा? इस मामले से जुड़े क़ानूनी और राजनीतिक सवालों का जवाब हमने सुप्रीम कोर्ट