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चीन का कोरोना वायरस भारत के लिए बड़ा झटका क्यों?

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ब्रजेश मिश्र बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES जेनेरिक दवाएं बनाने और उनके निर्यात में भारत अव्वल देश है. साल 2019 में भारत ने 201 देशों को जेनेरिक दवाएं निर्यात की हैं और उससे अरबों रुपए कमाए हैं. लेकिन आज भी भारत इन दवाओं को बनाने के लिए चीन पर निर्भर है और दवाओं को प्रोडक्शन के लिए चीन से एक्टिव फ़ार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (API) आयात करता है. ये दवाइयां बनाने का कच्चा माल होता है. चीन में कोरोना वायरस फैलने की वजह से आयात और निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और एपीआई का आयात ना हो पाने की वजह से कई कंपनियों दवाओं के प्रोडक्शन में कमी आ रही है. जिसका असर आने वाले वक़्त में दवाओं की वैश्विक आपूर्ति पर दिख सकता है. भारत सरकार के वाणिज्य विभाग से मान्यता और समर्थन प्राप्त ट्रेड प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (TPCI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2018-19 में भारत से दवाओं का अनुमानित निर्यात 19.14 अरब डॉलर का था. इन दवाओं क

कोरोना वायरस: मुंबई TISS के पूर्वोत्तर के छात्र क्यों हैं परेशान

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जाह्नवी मूले मुंबई से, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट AFP "तीन लोग हमारे पास आए और उन्होंने हमें 'कोरोना वायरस' कहा. मैंने उनसे बहस किया फिर वो थोड़ी देर चुप हुए, लेकिन वो हमें कई बार 'कोरोना वायरस' कहते रहे." नागालैंड के एक छात्र ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर मुंबई में अपने साथ हुए इस भयावह अनुभव के बारे में बीबीसी से बताया. शाम के वक्त जब उनके साथ यह घटना हुई, तब वह किसी काम से लौट रहे थे. वह कहते हैं, "मैं एक महिला साथी के साथ था और हम लोग चेंबूर में शिवाजी चौक के पास सड़क पार कर रहे थे. अचानक लड़कों का यह समूह हमारे पास आ गया. जब मुंबई जैसे शहर में ऐसी घटना होती है, तो यह बहुत दुख पहुंचाती है." नागालैंड का यह छात्र ऐसे अनुभव से गुज़रने वाला पहला शख्स नहीं है. मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (TISS) में पढ़ने वाले पूर्वोत्तर राज्यों के तमाम लोगों ने अपने साथ हो रहे भेदभाव के अनुभव साझ