कोरोना वायरस: 36 दिन वेंटिलेटर पर बिताकर ज़िंदा बचने वाला शख़्स
इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenge साझा कीजिए Image caption नितईदास मुखर्जी "वो आज रात शायद न बच पाएं. चीज़ें बहुत तेज़ी से बिगड़ी हैं." कोलकाता में सुनसान सड़कों से अस्पताल लौटते हुए डॉक्टर सास्वति सिन्हा ने अपने मरीज़ की पत्नी से फ़ोन पर ये कहा. ये 11 अप्रैल की रात थी. उस समय कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन बेहद सख़्ती से लागू था. विज्ञापन नितईदास मुखर्जी नामक मरीज़ दो सप्ताह से कोविड-19 से शहर के एएमआएआई अस्पताल में ज़िंदगी-मौत से लड़ रहे थे और यह डॉक्टर वहां क्रिटिकल केयर में कंसल्टेंट थीं. 52 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता मुखर्जी बेघरों के लिए एक ग़ैर-लाभकारी संस्था चलाते हैं और वो कोरोना वायरस के कारण वेंटिलेटर पर थे. null और ये भी पढ़ें कोरोना संकट: गुजरात के 'वेंटिलेटर्स स्कैम' पर उठे ये 5 सवाल कोरोना का कहर: “मैंने वेंटिलेटर का स्विच ऑफ़ कर दिया ताकि वह शांति से मर सके...” कोरोना वायरस से लड़ने में कितने ज़रूरी हैं वेंटिलेटर्स कोरोना वायरस शर