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अयोध्या फ़ैसले से बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों की मांग पूरी: जस्टिस गांगुली

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14 नवंबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को अयोध्या में विवादित ज़मीन पर फ़ैसला सुनाते हुए मंदिर बनाने का रास्ता साफ़ कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला मंदिर के पक्ष में तो सुनाया लेकिन साथ में यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद तोड़ना एक अवैध कृत्य था. फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मस्जिद के नीचे एक संरचना थी जो इलामी नहीं थी, लेकिन यह भी कहा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का दावा भारतीय पुरातत्वविदों ने नहीं किया. जब यह फ़ैसला आया तो अलग-अलग तरह से व्याख्या शुरू हुई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस गांगुली उन पहले लोगों में थे जिन्होंने अयोध्या फ़ैसले पर कई सवाल खड़े किए. जस्टिस गांगुली का मुख्य सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस आधार पर हिन्दू पक्ष को विवादित ज़मीन देने का फ़ैसला किया है वो उनकी समझ से परे है. इ

बाबरी मस्जिद को ढहाना क़ानून के शासन का घिनौना उल्लंघन : सुप्रीम कोर्ट

BY: LIVELAW NEWS NETWORK 9 Nov 2019 6:12 PM 66 SHARES  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को 1934 में नुकसान पहुंचना, 1949 में इसको अपवित्र करना जिसकी वजह से इस स्थल से मुसलामानों को बेदखल कर दिया गया और अंततः 6 दिसंबर 1992 को इसको ढहाया जाना क़ानून के नियम का गंभीर उल्लंघन है।  मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने एकमत से दिए अपने फैसले में कहा है मुस्लिमों को मस्जिद के निर्माण के लिए कहीं और जगह दिया जाए। अदालत ने कहा, "नमाज पढ़ने और इसकी हकदारी से मुस्लिमों का बहिष्करण 22/23 दिसंबर 1949 की रात को हुआ जब हिन्दू देवताओं की मूर्ती वहां रखकर मस्जिद को अपवित्र किया गया। मुसलामानों को वहां से भगाने का काम किसी वैध अथॉरिटी ने नहीं किया बल्कि यह एक भली प्रकार सोची समझी कार्रवाई थी जिसका उद्देश्य मुसलामानों को उनके पूजा स्थल से वंचित करना था। जब सीआरपीसी, 1898 की धारा 145 के तहत कार्रवाई शुरू की गई और अंदरूनी आंगन को जब्त करने के बाद रिसीवर नियुक्ति किया गया और तब वहां हिन्दू मूर्तियों की पूजा की अनुमति दी गई। 

पांच साल से छोटे बच्चों के लिए जानलेवा निमोनिया

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News हिंदी BBC News हिंदी Navigation सेक्शन 12 नवंबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए यूनिसेफ के दिए आंकड़ों के अनुसार हर 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत होती है. पांच साल से कम उम्र के बच्चे जल्दी निमोनिया का शिकार होते हैं. निमोनिया से बचाव के लिए डॉक्टर मां का दूध पिलाने और साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखने पर ज़ोर देते हैं. निमोनिया न हो इसके लिए अस्पतालों में टीके भी लगते हैं. पूरी जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें । https://www.bbc.com/hindi/media-50389284#share-tools