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Stiff Person Syndrome

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 Dainik Bhaskar Gaya 12.12.22 

TB Patient

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Life ko Long karni hai to ghar mein kaam shuru kar dijiye

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Health & Wellness

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 11.8.2022 Dainik Bhashkar Gaya 

एक पैर पर खड़े होने के कौन-कौन से फ़ायदे हैं?

  क्या आप कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिससे आपके चोटिल होने का ख़तरा कम हो जाए, आपकी चाल-ढाल में सुधार आए और आपकी ज़िंदगी बेहतर हो जाए? घड़ी उठाएं, स्टॉपवॉच फीचर ऑन करें और 30 सेकेंड के लिए एक पैर पर खड़े हो जाएं. दूसरे वाले पैर के साथ भी ऐसा ही करें. अपने संतुलन में सुधार लाने का ये सबसे सामान्य तरीका है. और बेहतर संतुलन का मतलब होता है कि आपकी चाल-ढाल बेहतर होगी और गिरने पर कम चोट लगेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया भर में कार एक्सिडेंट के बाद सबसे ज़्यादा लोग दुर्घटनावश गिरने के कारण मरते हैं. हमारा संतुलन पहले की तुलना में अब ज़्यादा ख़राब हो गया है. पहले लोग दिन का बड़ा हिस्सा चलने-फिरने में खर्च करते थे लेकिन अब हम में से बहुत से लोग बैठे रहते हैं और मोबाइल नहीं तो टेलीविजन स्क्रीन पर नज़़रें जमाए रखते हैं. निष्क्रिय बैठे रहने वाली इस जीवन शैली के कारण हमारे संतुलन साधने की क्षमता पर असर पड़ा है और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. स्टोरी: डॉक्टर माइकल मोस्ले आवाज़: विशाल शुक्ला वीडियो एडिटिंग: शुभम कौल ( बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप  यहां क्लिक  कर सकते हैं. आप

कान का मैल क्या है और इसे साफ़ करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

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  कान का मैल क्या है और इसे साफ़ करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? 20 जून 2021 इमेज स्रोत, GETTY IMAGES ईयरवैक्स या कान का मैल, कई लोगों को इससे घिन आती है. लेकिन सच तो ये है कि कान का मैल हमारे शरीर से निकलने वाला एक ऐसा प्राकृतिक रिसाव है जिसका एक महत्वपूर्ण काम होता है. इसलिए इसे साफ रखना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आपको हल्के में लेना चाहिए. ब्रितानी ईएनटी सर्जन गैब्रियल वेस्टन ने कान को साफ रखने के सबसे अच्छे और सबसे खराब तरीकों की पड़ताल की है. विज्ञापन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले डॉक्टर गैब्रियल वेस्टन ये स्पष्ट करती हैं कि कान का मैल एक ऐसा पदार्थ है जो कान के भीतर मौजूद ग्रंथियों में पैदा होता है और इसके कई काम होते हैं. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें ब्लैक फंगस: कोरोना के मरीजों में जानलेवा बन रहा काले फफूंद का संक्रमण कोरोनाः क्या नींबू, कपूर, नेबुलाइज़र जैसे नुस्खों से बढ़ता है ऑक्सीजन लेवल? - बीबीसी रिएलिटी चेक कोरोनाः घर में मास्क लगाने से बच सकते हैं वायरस से? कोरोना महामारी: फ़ेस मास्क का इतिहास, ब्लैक डेथ प्लेग और कहानी मजबूरी की समाप्त कान के मैल से जुड

Betakind Ready Gargle

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  Hindustan Hindi Gaya Dt. 28 May 2021

Acupressure therapy For Nose ||Eyes || Neck ||Brain

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#Fever को लेकर लोगों में आज भी बहुत कंफ्यूजन है , पढ़ें पूरी रिपोर्ट और जानें डिटेल्स

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 शरीर का बढ़ा हुआ तापमान हमेशा बुखार नहीं होता टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 02 Sep 2020, 02:23:00 PM 98.6 शरीर का औसत तापमान होता है। अलग-अलग प्रहर में व्यक्ति के शरीर का तापमान अलग-अलग हो सकता है।      ज्यादातर लोग समझ नहीं पाते हैं कि 99 डिग्री फारेनहाइट बुखार है या नहीं। शरीर का तापमान (Body Temprature) बढ़ने से अक्सर हम चिंतित हो जाते हैं। बढ़े हुए तापमान को बुखार ही समझा जाता है। ऐसी स्थिति में लोग खुद ही बुखार की दवा भी ले लेते हैं। लेकिन अगर यह तापमान 99 डिग्री फारेनहाइट हो, तो असमंजस रहता है कि क्या करें? एक्सपर्ट्स का मानना है कि शरीर के तापमान में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं शरीर का तापमान अलग-अलग होता है 1868 में जर्मन फिजिशियन कार्ल रीनहोल्ड ऑगस्ट ने पाया था कि 98.6 शरीर का औसत तापमान होता है। अलग-अलग व्यक्ति के शरीर का तापमान अलग-अलग हो सकता है। दिन के अलग-अलग समय में भी शरीर का तापमान बदल सकता है। इसलिए, केवल तापमान बढ़ने को बुखार नहीं मानना चाहिए जब तक और कोई लक्षण न हो। धर्मशिला नारायण अस्पताल के डा. शरांग सचदेव ने बताया कि शरीर का तापमान दिन में बदलता रहता है। यह

A/C में रहने के शौकीनों के लिए यह खबर

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Emergency mein Kaam Aane wali Homeopathic medicine

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Bachchon k Constipation ka Homeopathic Dawa

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बच्चों को ज्यादा मीठा खिलाते हैं तो होशियार हो जाइए

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