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तय 'वेतन' पर चरमपंथियों के लिए काम करते थे देविंदर सिंह: प्रेस रिव्यू

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31 जनवरी 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट PTI भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथियों की सहायता करने के आरोप में बर्खास्त चल रहे पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को चरमपंथी संगठन से 'तय वेतन' मिलता था. इंडियन एक्सप्रेस  की ख़बर के मुताबिक़, एक पड़ताल करने वाले के हवाले से अख़बार लिखता है कि वह ना सिर्फ़ नावेद को परिवहन और आश्रय देने के लिए बल्कि पूरे साल सहायता देने के लिए भी पैसे ले रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि जिस समय उन्हें गिरफ़्तार किया गया वो नावेद को लेकर जम्मू जा रहे थे. जहां उसे ठंड भर रहना था. उसके बाद वे (नावेद और आसिफ़) पाकिस्तान जाने वाले थे. अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि उस रास्ते की जांच की जा रही है जिस रास्ते से वे पाकिस्तान जाने वाले थे. देविंदर इस काम के लिए 20 से 30 लाख रुपये की मांग कर रहे थे और अभी उन्हें पूरी रक़म नहीं मिली थी. इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES मेरे पद्मश्री से मेरे पिता का

फ़र्रुख़ाबाद: सभी 23 बच्चे छुड़ाए गए, मुठभेड़ में अपहर्ता और पत्नी की मौत

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समीरात्मज मिश्र लखनऊ से बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट NAVNEET JAISWAL Image caption अभियुक्त सुभाष बाथम, जिसने बच्चों को क़ैद कर रखा था उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद ज़िले के मोहम्मदाबाद क़स्बे में 23 बच्चों को बंधक बनाने वाले शख़्स सुभाष बाथम की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है. सभी बच्चे सुरक्षित हैं. कानपुर परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बीबीसी को बताया कि अपहर्ता सुभाष की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है और सभी बच्चों को बचा लिया गया है. आईजी ने ये भी बताया कि इस दौरान अपहर्ता की पत्नी की भी मौत हो गई है. विज्ञापन उन्होंने बताया कि अपहर्ता प्रति बच्चा एक करोड़ रुपए की मांग कर रहा था. इसके साथ ही वो अपने ऊपर चल रहे हत्या के मुक़दमे को भी वापस लिए जाने की मांग कर रहा था. इससे पूर्व देर रात अपहर्ता ने एक बच्चे को रिहा भी कर दिया था. null और ये भी पढ़ें बलात्कार पीड़ितों के लिए इंसाफ़ की लड़ाई लंबी क्यों?