जेएनयू हमला: क्या भारत अपने नौजवानों की नहीं सुन रहा?
सौतिक बिस्वास बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय या जेएनयू के पूर्व छात्रों में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री हैं, लीबिया और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री हैं और बहुत से कद्दावर नेता, राजनयिक, कलाकार और अपने-अपने क्षेत्रों के विद्वान भी हैं. जेएनयू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता और रिसर्च के लिए भी जाना जाता है. ये यूनिवर्सिटी भारत की सर्वोच्च रैंकिंग वाले संस्थानों में से एक है. फिर भी, जेएनयू की इतनी शोहरत, लाठी, पत्थर और लोहे की छड़ें ले कर आए नक़ाबपोशों को कैम्पस में दाख़िल होने से रोक नहीं सकी. इन नक़ाबपोश हथियारबंद लोगों ने रविवार की शाम को जेएनयू के विशाल कैम्पस में बैख़ौफ़ हो कर गुंडागर्दी की. उन्होंने छात्रों और अध्यापकों पर हमला किया और संपत्तियों को भी नुक़सान पहुंचाया. ये नक़ाबपोश उत्पात मचाते रहे, और पुलिस क़रीब एक घंटे तक हस्तक्षेप करने से इनकार करती रही. इस दौरान, कैम्पस