Posts

Showing posts with the label Voice Of Ravish Kumar

#JNU_Violence ! जब जेएनयू में नक़ाबपोश आ सकते हैं तो वो अब कहीं भी आ सकते हैं.

Image
जब जेएनयू में नक़ाबपोश आ सकते हैं तो वो अब कहीं भी आ सकते हैं. उनके चेहरे पर नकाब तो चढ़ा था मगर आप दर्शकों के चेहरे पर तो नकाब नहीं है. रात के अंधेरे में लाठी डंडे और लोहे के रॉड के साथ जब अपराधी नकाब ओढ़ लें तो आप अपना टॉर्च निकाल कर रखिए. अपराधी तो नहीं ढूंढ पाएंगे कम से कम रात के अंधेरे में पलंग के भीतर कहीं कोने में दुबके उस लोकतंत्र को ढूंढ पाएंगे जिसे हिंसा की इन तस्वीरों के ज़रिए ख़त्म किया जा रहा है. आपके भीतर से जेएनयू को खत्म किया जा रहा है ताकि आप नकाबपोश गुंडों को भी देश भक्त समझने लगें. पांच साल के दौरान गोदी मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए आपके भीतर एक अच्छी यूनिवर्सिटी को इस कदर खत्म कर दिया गया है कि बहुत से लोग नकाब पोश गुंडों को देखते हुए नहीं देख पा रहे हैं. कोई 90 साल पहले भी लोग इसी तरह नहीं देख पाए थे जब प्रोपेगैंडा की सनक उन पर हावी हो गई थी. वो देश कुछ और था, ये देश भारत है. Video देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें । https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10159637001172715&id=22704527714

राष्ट्रवाद पर राजनीति क्यों ?

Image

रवीश कुमार के दर्द को देश समझने की कोशिश करे ।

क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं 23 मई 2019 के दिन जब नतीजे आ रहे थे, मेरे व्हाट्स एप पर तीन तरह के मेसेज आ रहे थे। अभी दो तरह के मेसेज की बात करूंगा और आख़िर में तीसरे प्रकार के मेसेज की। बहुत सारे मेसेज ऐसे थे कि आज देखते हैं कि रवीश कुमार की सूजी है या नहीं। उसका चेहरा मुरझाया है या नहीं। एक ने लिखा कि वह रवीश कुमार को ज़लील होते देखना चाहता है। डूब कर मर जाना देखना चाहता है। पंचर बनाते हुए देखना चाहता है।  किसी ने पूछा कि बर्नोल की ट्यूब है या भिजवा दें। किसी ने भेजा कि अपने शक्ल की तस्वीर भेज दो ज़रा हम देखना चाहते हैं। मैंने सभी को जीत की शुभकामनाएं दीं। बल्कि लाइव कवरेज़ के दौरान इस तरह के मेसेज का ज़िक्र किया और ख़ुद पर हंसा। दूसरे प्रकार के मेसेज में यह लिखा था कि आज से आप नौकरी की समस्या, किसानों की पीड़ा और पानी की तकलीफ दिखाना बंद कर दीजिए। यह जनता इसी लायक है। बोलना बंद कर दो। क्या आपको नहीं लगता है कि आप भी रिजेक्ट हो गए हैं। आपको विचार करना चाहिए कि क्यों आपकी पत्रकारिता मोदी को नहीं हरा सकी। मैं मुग़ालता नहीं पालता। इस पर भी लिख चुका हूं कि बकरी पाल लें मगर