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जयपुर के आमागढ़ क़िले पर हिन्दू संगठन अपना झंडा क्यों फहराना चाहते हैं?

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  शकील अख़्तर बीबीसी उर्दू डॉट कॉम, नई दिल्ली इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इन दिनों जयपुर का आमागढ़ क़िला हिंदू संगठनों और स्थानीय मीणा समुदाय के लोगों के बीच विवाद का केंद्र बना हुआ है. मीणा समुदाय का दावा है कि अठारहवीं सदी में बने इस क़िले का निर्माण उनके पूर्वजों ने कराया था और वहां स्थित मंदिर उनके समुदाय की देवी का मंदिर है. वहां हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं. कुछ समय पहले स्थानीय हिंदू संगठनों ने वहां हिंदू धर्म का भगवा झंडा फहरा दिया था, जिसके बाद मीणा समुदाय में अशांति फैल गई थी. पाकिस्तानी मॉडल, 'हमारा कल्चर, हमारा मियां है' बोल निशाने पर आईं ‘भारत में हिंदू बहुसंख्यक इसलिए अल्पसंख्यकों को कमज़ोर माना जाए’ उन्होंने आरोप लगाया था कि हिंदू संगठन उनके आदिवासी देवताओं को हिंदू धर्म में मिलाना चाहते हैं. मीणा समुदाय के लोगों ने रविवार को आमागढ़ के क़िले पर मीणा समुदाय का सफ़ेद झंडा फहरा दिया. विज्ञापन इमेज स्रोत, DR KIRORILAL MEENA मीणा समुदाय के बहुत से लोग हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन साथ ही उनके अपने पारंपरिक देवता और धार्मिक रीति-रिवाज हैं जिसे

वायरल वीडियो ! हिन्दू हिंदुत्व के खिलाफ । देखें पूरा वीडियो

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अकाल तख़्त ने की आरएसएस पर बैन की मांग

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15 अक्तूबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट EPA सिख धर्म से जुड़ी सबसे बड़ी धार्मिक संस्था अकाल तख़्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश को बांटने वाली गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरएसएस पर तुरंत पाबंदी लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा, "सभी धर्म और संप्रदाय के लोग भारत में रहते हैं और यही इस देश की खूबसूरती है. संघ का कहना है कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे, लेकिन ये देश के हित में नहीं है." इस बीच भारतीय जनता पार्टी के सिख नेता आरपी सिंह ने आरएसएस का बचाव किया है. उन्होंने बयान पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर करते हुए कहा है, "हिंदू कोई धर्म पंथ का नाम नहीं है, ये एक संस्कृति है. मैं अकाल तख़्त के जत्थेदार से निवेदन करूंगा कि आरएसएस का तीन सदस्य मंडल अल्पसंख्यक आयोग से मिला था और उन्होंने माना था कि सिख अलग धर्म है और इसका अलग अस्तित्व है." null आपको ये भी रोचक लगेगा 'दोनों पक्ष

बीजेपी को उल्टा तो नहीं पड़ेगा पूर्वोत्तर में 'हिंदुत्व एजेंडा' .....?

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दिलीप कुमार शर्मा गुवाहाटी से, बीबीसी हिंदी के लिए 31 जनवरी 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES साल 2016 की 24 मई का दिन. जगह असम के गुवाहाटी का खानापाड़ा मैदान. मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनके कैबिनेट के सभी शीर्ष मंत्री मौजूद थे. साथ ही मौजूद थे बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह. पूर्वोत्तर राज्यों में किसी भी सभा में एक साथ बीजेपी के इतने नेता कभी शामिल नहीं हुए. बीजेपी और उनके सहयोगी पार्टी के 14 मुख्यमंत्री भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. दरअसल ये कार्यक्रम असम में पहली बार सत्ता में आई बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का शपथ ग्रहण समारोह था. बीजेपी ने अपने एक मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम को इतने बड़े समारोह का रूप देकर कर एक तरह से पूर्वोत्तर राज्यों में सालों से राज कर रही कांग्रेस को साफ संदेश दे दिया था कि अब इस क्षेत्र में उसको कोई नहीं रो