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कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त करना ग़ैर क़ानूनी और असंवैधानिक है: एजी नूरानी

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES Image caption पाकिस्तान में भारत विरोधी प्रदर्शन हुए हैं भारत सरकार ने संविधान से अनुच्छेद 370 हटाकर भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार ख़त्म कर दिया है. सरकार का ये फ़ैसला पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी और असंवैधानिक है. ये कहना है संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी का. पढ़िए संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी से बीबीसी संवाददाता  इक़बाल अहमद  की बातचीत : मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, इसपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? ये एक ग़ैर-क़ानूनी फ़ैसला है. ये एक तरह से धोखेबाज़ी है. दो हफ़्ते से आप सुन रहे थे कि पाकिस्तान से कश्मीर में हमले की योजना बनाई जा रही है और इसीलिए सुरक्षा के इंतज़ाम किए जा रहे हैं. लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा था कि अगर पाकिस्तान की तरफ़ से हमला होने की आशंका थी तो इससे अमरनाथ यात्रियों को क्यों हटाया जा रहा था. और क्या आप इतने नाक़ाबिल हैं कि पाकिस्तान की तरफ़ से आने वाले हमले को रोक नहीं सकते ह

कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने पर बोली महबूबा मुफ़्ती, 'भारत ने जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है

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कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने पर बोली महबूबा मुफ़्ती, 'भारत ने जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है': BBC EXCLUSIVE आतिश तासीर लेखक-पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट EPA भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करके कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का कहना है कि भारत ने जिस जिन्न को बोतल से निकाल दिया है उसे वापस डालना बहुत मुश्किल होगा. पढ़िए ये ख़ास बातचीत. आपकी इस फ़ैसले पर पहली प्रतिक्रिया क्या है? मैं हैरान हूं. मैं समझ नहीं पा रही हूं कि क्या कहूं. मुझे झटका लगा है. मुझे लगता है कि आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है. हम कश्मीर के लोग, हमारे नेता, जिन्होंने दो राष्ट्रों की थ्योरी को नकारा और बड़ी उम्मीदों और विश्वास के साथ भारत के साथ गए, वो पाकिस्तान की जगह भारत को चुनने में ग़लत थे. संसद भारतीय लोकतंत्र का मंदिर है लेकिन उसने भी हमारी उम्मीदों को तोड़