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सच बात तो ये है के चाहे वह नीतीश हों या लालू दोनों ने टोपी पहन, मुसलामानों को टोपी पहनाया है।

आज जिन लोगों का पेट भर जा रहा ,वह यही समझ रहे के सारी दिया का पेट भर चूका , यानी वह भूके तो साड़ी दुया भूखी, उनकी भूख ख़त्म तो साड़ी दुनिया का पेट फुल , भले ही ऐसे  लोगों का परोसी भूख से तड़पकर तड़पकर  कर  दम क्यों न  तोड़ दे , इस तरह की सोंच जब  कम पढ़े ,-लिखे लोग जब सोंचे तो कोई ताजुब नहीं होगी मगर यही सोंच जब एक पढ़ा लिखा तबका बोलने लगे तो तब आप क्या कहेंगे ?                        वर्तमान सरकार में जनता    बदहाली , और बदतर जिंदगी गुजारने पे मजबूर क्यों न  हों ,सरकार के चापलुशों को  ये बदहाली बिलकुल दिखाई नहीं दे रही , वह दलील दे रहे हैं के बिलकुल हक न मिलने से अधुरा हक मिलना अच्छा है , ऐसी दलील  कोई  आम आदमी का नहीं बलके उस उर्दू अखबार के मालिक सह मुख्य  सम्पादक का है , जिसे बिहार सरकार ने मुसलामानों के  बीच सरकार की चाप्लोसी और वोट बैंक बनाने की ठीकेदारी करने के लिए  विज्ञापन के तौर पर कड़ोरों रूपये  दिए थे , आज भी  दे रहे हैं , मगर सवाल पैदा होता है के क्या वाकई में गरीबों को पुरे हक के बदले अधूरे हक भी  बगैर जेबें ढीली किये  और परिशानी उठाये  मिल  रहीं हैं ? या शब्दों से खेलन

Bihar Broadcasting

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सच बात तो ये है के चाहे वह नीतीश हों या लालू दोनों ने टोपी पहन, मुसलामानों को टोपी पहनाया है .

आज जिन लोगों का पेट भर जा रहा ,वह यही समझ रहे के सारी दिया का पेट भर चूका , यानी वह भूके तो साड़ी दुया भूखी, उनकी भूख ख़त्म तो साड़ी दुनिया का पेट फुल , भले ही ऐसे  लोगों का परोसी भूख से तड़पकर तड़पकर  कर  दम क्यों न  तोड़ दे , इस तरह की सोंच जब  कम पढ़े ,-लिखे लोग जब सोंचे तो कोई ताजुब नहीं होगी मगर यही सोंच जब एक पढ़ा लिखा तबका बोलने लगे तो तब आप क्या कहेंगे ?                        वर्तमान सरकार में जनता    बदहाली , और बदतर जिंदगी गुजारने पे मजबूर क्यों न  हों ,सरकार के चापलुशों को  ये बदहाली बिलकुल दिखाई नहीं दे रही , वह दलील दे रहे हैं के बिलकुल हक न मिलने से अधुरा हक मिलना अच्छा है , ऐसी दलील  कोई  आम आदमी का नहीं बलके उस उर्दू अखबार के मालिक सह मुख्य  सम्पादक का है , जिसे बिहार सरकार ने मुसलामानों के  बीच सरकार की चाप्लोसी और वोट बैंक बनाने की ठीकेदारी करने के लिए  विज्ञापन के तौर पर कड़ोरों रूपये  दिए थे , आज भी  दे रहे हैं , मगर सवाल पैदा होता है के क्या वाकई में गरीबों को पुरे हक के बदले अधूरे हक भी  बगैर जेबें ढीली किये  और परिशानी उठाये  मिल  रहीं हैं ? या शब्दों से खेलन

सरबजीत के लिए मुआओजे की बारिश , कतील सिद्दीकी के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी)

सरबजीत के लिए मुआओजे  की बारिश , कतील सिद्दीकी  के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी) गैर मुल्की जेलों में हिन्दुस्तानी शहरियों की बढ़ती संख्या पर दुःख का इज़हार प्रकट करते हुए बिहार के मशहुर कोंग्रेसी नेता आज़मी बारी ने कहा है के इन दिनों विदेशी जेलों में हिन्दुस्तानियों की तादाद हजारों से ऊपर है ,इसमें जेयदा तरअरब मुल्कों में हैं -जैसे सऊदी अरब में 1691, कुवैत में 1161 ,  यूनाइटेड अरब अमीरात में 1102 , बंगला देश में 167 चीन में 157 सिगापुर में 156 अमेरिका में 155 श्रीलंका में 63 कैदी जेल में बंद हैं .इन लोगों के जेल जाने का कारण छोटे छोटे मामले हैं ,क़ैद होने की वजह नशीली दवाओं की स्मगलिंग , पशिमी देशों में घरेलु हिंसा ,अरब देशों में बेबस मजदूरों के लिए गलत कॉन्ट्रैक्ट के साथ साथ बड़े कारणों में ,बलात्कार , डकैती , गैर कानूनी शारीरिक सम्बब्ध ,ट्रैफिक हादसे ,गैर कानूनी शराब बिक्री वगैरह हैं . एक सुचना के मुताबिक़ मलेशिया , सिंगापुर , पकिस्तान , बाग्लादेश , श्रीलंका में जेयादातर हिन्दुस्तानी शहरियों की गिरफ्तारी की वजह आवर्जन कानून की खेलाफवर्जि है .गैर्मुल्की जेलों में

क्या गजरात के मुसलामानों को कभी इन्साफ मील सकेगा ?

                   (अहमद मोहिउद्दीन सिद्दीकी )                              2 0 0 2  के फसादात में हजारों मुसलामानों को शहीद कर दिया गया . 2 3 हजार घड़ों को लूटकर आग लगा दी गई 297 मस्जिदों और दरगाहों को ध्वस्त कर दिया गया .राष्ट्रीय राज मार्गों और हाई वेज पर बारह सौ होटलों को निशाना बनाया गया और 350 तिजारती मराकिज लूट मार कर बर्बाद कर दिए गए . गुलबर्ग सोसाइटी के जले हुए और वीरान बंगलों में मैंने अजीब इज़तेराब महसूस किया , 2 8 फ़रवरी  2002को सुबह को जब सात बजे से शाम 7  बजे तक सरकारी मदद से जिनका क़त्लेआम किया गया .....उन शहीदों की रूहें इन्साफ मांग रही हैं गुलबर्ग सोसाइटी के गेट में दाखील होते ही बाएं तरफ कासिम साहेब का बंगला है ,जिनके 1 9 अफराद शहीद कर दिए गए ,कासीम साहेब उस खानदान के वाहीद अफराद हैं जो उन फसादात में जिन्दा बच गए और वह उस वजह जगह रहने वाले तनहा आदमी हैं ,जो अभी तक डेट हुए हैं ,उस केयामत खेज फसादात का ज़िक्र करते हुए कासीम साहेब की हिचकियाँ बंध गईं और बात चीत को कुछ देर के लिए  मुझे रोक देना पड़ा ..कासिम साहेब बंगला नंबर 2 और उनकी माँ और दुसरे रिश्तेदार बँगला न

गुंडा गर्दी पे लगेगा अब लगाम ,अदालत ने सिखाया सबक !जमिअतुल उलमा को बड़ी कामयाबी ,मुस्लिम नौजवान के घर से जब्त 2 6 लाख रूपये की वापसी की अदालती हुक्म

गुंडा गर्दी पे लगेगा अब लगाम ,अदालत ने सिखाया सबक !जमिअतुल  उलमा को बड़ी कामयाबी ,मुस्लिम नौजवान  के घर से जब्त  2 6 लाख रूपये की वापसी की अदालती हुक्म .      मुंबई  2 मई (प्रेस रिलीज़ )समाजी इन्साफ की लड़ाई लड़ने वाली संगठन जमिअतुल    उलेमा महाराष्ट्र (अरसद मदनी )को आज उस वक़्त एक बड़ी कामयाबी मिली जब वह दहशतगर्दी के आरोप में महाराष्ट्र के नान्देर शहर में एक मुश्तबा मुस्लिम नौजवानों की रहाइश गाह पर छापे के दौरान एन आई ए की जानिब से जब्त किये गए तकरीबन 2 6  लाख रूपये को उस नैजवान को वापस किये जाने का हुक्म एक विशेष अदालत ने जारी किया . मुंबई में अखबारात के नाम जारी किये गए अपने बयान में जमिअत के कानूनी सहयेता कमिटी के सरबराह गुलजार आजमी ने बताया के नांदेड शहर में रहाइश पर, 2 5  वर्षीय हाइली क्वालिफाइड (एम् बी ए )मुस्लिम युवा मोहम्मद जकिउद्दिन नेजामुद्दीन के आवास पर  - एन आई ए के दस्ता ने 2 3  अगस्त 2012 को  छापा मारा था ,  और उस दौरान उनहोंने जकिउद्दिन के घर  से , मोबाइल,लैपटॉप ,के अलावा 2 6 लाख रूपये भी जब्त किये थे , जो जकिउद्दिन के के पिता ने पिछले दिनों खानदानी जमीं को बेच कर ह

क्या गजरात के मुसलामानों को कभी इन्साफ मील सकेगा ?

                          नरौदा पाटिया दंगा :-नरौदा पाटिया दंगा में 1 5 हजार से जेयादा दंगाई 2 8 फ़रवरी 2002 की सुबह 7 बजे हमला शुरू कर दिए ,1 2 घंटो के नंगा नाच के लिए पूरी तैयारी करली थी ,हिथियार की गाड़ी ,पेट्रोल की गाड़ी ,गैस सेलेंड़ेरों से भरी हुई लारी ,उनके साथ थी दंगाई बारी-बारी आते महिलाओं की इज्ज़त लुटते ,लुट मार मचाते ,हत्या करते और घरों को आग लगा देते थे ,थक जाते तो उनकी जगह दुसरे दंगाइयों की टोली आ जाती ,थके हुए दंगाई नाश्ता करके ,शराब पीकर आराम करके फिर लौट आते ..एक दंगाई की बीवी मुसलमान थी ,लेकिन उसे ये एहसास नहीं हुआ के जिस सख्श के साथ वह जिंदगी गुजार रही है ,वह आदमी उसकी कौम का क़त्ल कर रहा है .बी जी पी ने अपने ही काएद के खानदान को नहीं बख्शा .नजीर खान पठान के वक़्त बी जी पी के मुकामी काएद और कार्यकारणी (मज्लिशे शुरा )के रुक्न (सदस्य  थे आज कल नजीर खान इस्लामिक रिलीफ कमिटी के एकरा स्कूल में केमिस्ट्री और बायोलॉजी पढ़ा रहे हैं .अदालत में वह भी साबित क़दम (मुस्तैदी के साथ डेट रहना )रहे ,पहले वह मैथ के टीचर थे .फ़सादियों ने अपने शिक्षक को भी नहीं छोड़ा .2 8 फ़रवरी को फसाद