सरबजीत के लिए मुआओजे की बारिश , कतील सिद्दीकी के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी)

सरबजीत के लिए मुआओजे  की बारिश , कतील सिद्दीकी  के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी)


गैर मुल्की जेलों में हिन्दुस्तानी शहरियों की बढ़ती संख्या पर दुःख का इज़हार प्रकट करते हुए बिहार के मशहुर कोंग्रेसी नेता आज़मी बारी ने कहा है के इन दिनों विदेशी जेलों में हिन्दुस्तानियों की तादाद हजारों से ऊपर है ,इसमें जेयदा तरअरब मुल्कों में हैं -जैसे सऊदी अरब में 1691, कुवैत में 1161 ,  यूनाइटेड अरब अमीरात में 1102 , बंगला देश में 167 चीन में 157 सिगापुर में 156 अमेरिका में 155 श्रीलंका में 63 कैदी जेल में बंद हैं .इन लोगों के जेल जाने का कारण छोटे छोटे मामले हैं ,क़ैद होने की वजह नशीली दवाओं की स्मगलिंग , पशिमी देशों में घरेलु हिंसा ,अरब देशों में बेबस मजदूरों के लिए गलत कॉन्ट्रैक्ट के साथ साथ बड़े कारणों में ,बलात्कार , डकैती , गैर कानूनी शारीरिक सम्बब्ध ,ट्रैफिक हादसे ,गैर कानूनी शराब बिक्री वगैरह हैं . एक सुचना के मुताबिक़ मलेशिया , सिंगापुर , पकिस्तान , बाग्लादेश , श्रीलंका में जेयादातर हिन्दुस्तानी शहरियों की गिरफ्तारी की वजह आवर्जन कानून की खेलाफवर्जि है .गैर्मुल्की जेलों में हिन्दुस्तानी शहरियों की तादाद 2005 में 6730 थी जबके 2007 में लगभग 6000 थी . 


                                बारी आजमी ने बताया के पूना  जेल में  क़तील सिद्दीकी की बेरहमी से क़त्ल के बाद , पकिस्तान के लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला , जम्मू के जेल में पाकिस्तानी शहरी सनाउल्लाह , तेहार जेल में जावेद का क़त्ल इन सब मामलों ने जेल की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है
 
                              जिस तरह सरबजीत के मामले को मीडिया के जरिये उचल गया , उसके बाद जम्मू जेल की घटना होनी ही थी , सरबजीत की तुलना कुछ अखबारों के जरिये भगत सिंह से करना , और पूना जेल में क़तील सिद्दीकी के मौत पर खामोशी और सरबजीत की मौत पर कोहराम ये सब  ऐसी बातें हैं जिसके खतरनाक नातायेज रोनुमा होंगे . लखपत जेल में ही चमैल सिंह के क़त्ल को हिन्दुस्तानी मीडिया ने संजीदगी से नहीं लिया और शहीद का दर्जा नहीं दिया गया .ऐसी हालत में उसके बेटे दीपक सिंह के जरिये मुआओजे की मांग क्या जाएज नहीं हैं ?
 
                               अगर विदेशी जेल में सजायाफ्ता सरबजीत सिंह को शहीद का दर्जा और डेढ कड़ोड़ मुआओजे की बारिश हो सकती तो अपने ही देश के जेल में शक की बुनियाद पर बंद क़तील सिद्दीकी के क़त्ल पर शहीद का दर्जा और मुआओजे की बारिश क्यों नहीं हो सकती ! जबके क़तील सिद्दीकी  सिर्फ आरोपी था किसी भी अदालत के जरिये कलप्रिट और सजायाफ्ता नहीं था .
           उर्दू  पिन्दार पटना दिनांक 09/05/2013 पृष्ठ नंबर 0 9  से लिया गया है .
           www.biharbroadcasting.com    

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