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केंद्र सरकार से जुडी खबर पत्रकार नहीं मीडिया का मालिक तय करेंगे । मीडिया हुआ पंगु ,अच्छे दिन लाने वालों तुम्हारे लिए ये बहुत बुरी खबर है।

Santosh Singh shared his photo. Wed ·( from फेसबुक ) आज से हमलोग पूरी तौर पर बेरोजगार हो गये हैं कोई दूसरी नौकरी खोजनी पड़ेगी।अब ना नीतीश रहे और ना ही सुशासन ऐसे में बिहार में करने के लिए कुछ भी नही बचा है। रही बात दिल्ली कि पिछले चार दिनो से पटना मैं कैम्प कर रहे मीडिया के कई वरिष्ट साथीयो से मुलाकात हुई सबके चेहरे पर हवाई उड़ रहा था। इनभिसटिगेटिंग स्टोरी बंद, केन्द्र सरकार से जुड़ी खबरे मैंनेजमेन्ट तय़ करेगी ,भ्रष्टाचार,कुशाषण और घोटाले की बात तो सोचना ही नही है राम राज्य आ गया है। तो फिर करे तो करे क्या पत्रकारिता को लेकर जो पहले से माईन्डसेट चला आ रहा है उसे बदलना होगा। अच्छे दिन आ गये है बस अच्छे दिनो का एहसास कराते रहना है। इसके लिए अब हमलोगो को अलग से ट्रेनिंग दी जा रही है।जिसमें चारो और हरियाली ही हरियाली दिखनी चाहिए, खून खराबा,लूट और बलात्कार जैसी घटनाये को तो रोकी जा नही सकती है।यह तो समाजिक बुराई है फिर इस तरह कि बुराईयो पर ज्यादा चर्चा करने से क्या फायदा है इससे बुराईया बढती है ही। तो फिर इस तरह के खबर को चलाने से परहेज करिए। रही बात भ्रष्टाचार औऱ घोटाले का यह तो मानव

लालू को सलाम:----------------राजकिशोर.

Prem Kishore Yadav 25 minutes ago   लालू को सलाम:----------------राजकिशोर जनसत्ता 20 मई, 2014 : लालू प्रसाद मेरे पसंदीदा नेताओं में नहीं रहे हैं। जब मैंने उन्हें पहली बार जाना, तब मुझसे एक बहुत बड़ी भूल हो गई था। मैंने लालू प्रसाद की जगह लल्लू प्रसाद लिख दिया था। वे ‘रविवार’ के दिन थे। संयुक्त संपादक योगेंद्र कुमार लल्ला ने मेरी यह भूल दुरुस्त की थी। उसके बाद मैंने ऐसी भूल कभी नहीं की। फ्रायड का कहना है कि भूलें यों ही नहीं होतीं। उनके होने में अवचेतन की भूमिका होती है। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति हमें प्रिय न हो, उसके बारे में कोई विवरण लिखते समय गलती होने की संभावना रहती ही रहती है। जहां तक मेरा सवाल है (मैंने ‘इस नाचीज का’ लिख कर काट दिया), अवचेतन तो क्या, अब लगता है कि अपने चेतन पर भी मेरा नियंत्रण नहीं है। कहना चाहता हूं कुछ, कह कुछ और जाता हूं। करना कुछ चाहता हूं, कर जाता हूं कुछ और। फ्रायड की विश्लेषण शैली में, हो सकता है मैं वही कहता या करना चाहता था जो मैंने वास्तव में कहा या किया। यह असंभव नहीं है, क्योंकि जमीन से

लालू को सलाम:----------------राजकिशोर.

Prem Kishore Yadav 25 minutes ago   लालू को सलाम:----------------राजकिशोर जनसत्ता 20 मई, 2014 : लालू प्रसाद मेरे पसंदीदा नेताओं में नहीं रहे हैं। जब मैंने उन्हें पहली बार जाना, तब मुझसे एक बहुत बड़ी भूल हो गई था। मैंने लालू प्रसाद की जगह लल्लू प्रसाद लिख दिया था। वे ‘रविवार’ के दिन थे। संयुक्त संपादक योगेंद्र कुमार लल्ला ने मेरी यह भूल दुरुस्त की थी। उसके बाद मैंने ऐसी भूल कभी नहीं की। फ्रायड का कहना है कि भूलें यों ही नहीं होतीं। उनके होने में अवचेतन की भूमिका होती है। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति हमें प्रिय न हो, उसके बारे में कोई विवरण लिखते समय गलती होने की संभावना रहती ही रहती है। जहां तक मेरा सवाल है (मैंने ‘इस नाचीज का’ लिख कर काट दिया), अवचेतन तो क्या, अब लगता है कि अपने चेतन पर भी मेरा नियंत्रण नहीं है। कहना चाहता हूं कुछ, कह कुछ और जाता हूं। करना कुछ चाहता हूं, कर जाता हूं कुछ और। फ्रायड की विश्लेषण शैली में, हो सकता है मैं वही कहता या करना चाहता था जो मैंने वास्तव में कहा या किया। यह असंभव नहीं है, क्योंकि जमीन से

देश को चड्डीधारियों के रिमोट से चलने वाला पीएम पसंद है। तो बिहार को भी इंजिनियर के रिमोट से चलने वाला सीएम पसंद है।

वेद Tues  ·  Nawada  ·  Edited  ·  देश को चड्डीधारियों के रिमोट से चलने वाला पीएम पसंद है। तो बिहार को भी इंजिनियर के रिमोट से चलने वाला सीएम पसंद है। अगर मोदी रिमोट वाले नहीं हैं। तो मांझी भी नहीं हैं। चड्डीधारी बनाम इंजिनियर -vEd Unlike · Comment · Share You,  Chandra Bhanu  and  59 others  like this. Chandra Bhanu चलिए रिमोट तो माना Like  ·  1  ·  Tuesday at 22:57 वेद मोदी को रिमोट माने..? Like  ·  2  ·  Tuesday at 22:59 Ajay Jadhav भागवत का रीमोट मोदी के पास है ! Like  ·  1  ·  Tuesday at 23:26 Chandra Bhanu अजय जाधव अपने उलटा लिख दिया....मोदी का रिमोट आरएसएस के पास है ये लिखना था.. Like  ·  2  ·  Tuesday at 23:29 Chandra Bhanu मोदी और जीतन राम मांझी में ये अंतर है की मोदी मांझी के तरह पहले ही दिन pc में जोर से सच्चाई सब्क्के सामने बोल दे की मैं तो नाम मात्र का cm हु .. मेरा कण्ट्रोल नितीश के पास है............. ............ Like  ·  2  ·  Tuesday at 23:31