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बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन का खुशनुमा दृष्य , 70वीं गणतंत्रता दिवस के मौक़ा पर ।

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बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर शान से लहराता तिरंगा। 70वीं गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर, बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन का खुशनुमा दृष्य 

बीजेपी को असल मे क्या चाहिए ?

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मोदी अगर हारे तो , पंडित ज्ञान चतुर्वेदी क्या कह रहे ? पढिये

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नीतीश कुमार के 13 साल और बिहार के मुसलमान , लाठी डंडे खाने वाले हजारों उर्दू उम्मीदवारों के घर आज भी मायूसी , जबकि उन्हें शिकार बनाने वाले नीतीश कुमार के चहेते आज भी मौज कर रहे , नीतीश कुमार की झूठी दिलासा ने 12000 हज़ार उर्दू टेट उम्मीदवारों की जिंदगियां तबाह कर दी। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि अब नीतीश कुमार के साथ मुसलमानों का रवैया क्या होना चाहिए ? एक पुरानी स्टोरी लाया हूँ जिसे किसी अज्ञात ने अजीजपुर दंगे पर वेबपोर्टल Biharbroadcasting.Com पे कॉमेंट लिखा था । पढ़िए , गौर कीजिए और निर्णय लीजिये ।

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http://biharbroadcasting.com/comment.html#.XEwQ2MlX7qA http://biharbroadcasting.com/comment.html#.XEwQ2MlX7qA

"देवबंद और उससे जुड़े सभी मदरसे बहुत पहले से गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस पर छुट्टी करते रहे हैं और वहां झंडा भी फहराया जाता है. हमारे रसूल मोहम्मद साहब का फ़रमान है कि जिस मुल्क़ में रहते हो उससे मोहब्बत करो. अगर कल सीमा पर ज़रूरत पड़ती है तो हम पहले होंगे जो वहां जाएंगे जान देने के लिए. और ये बेकार की बात है कि हम हुब्बुल वतनी (देशभक्ति) का सर्टिफ़िकेट मांगते फिरें."

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गणतंत्र दिवस पर क्या ख़ौफ़ में रहते हैं मदरसों के छात्र? मोहम्मद शाहिद बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर सोशल मीडिया में कुछ ऐसी तस्वीरें वायरल होने लगती हैं जिनमें कुर्ता-पायजामा पहने, सिर पर टोपी लगाए और हाथ में तिरंगा झंडा लिए युवा या बच्चा दिखाई देता है. आम तौर पर ये छवि एक मदरसे के छात्र की समझी जाती है. भारत में मदरसों को केवल इस्लामी शिक्षा की एक संस्था के रूप में देखा जाता है. हालांकि, कई मदरसों में हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान भी पढ़ाया जाता है. भारत में विभिन्न फ़िरकों (पंथ) के मदरसे हैं. इनमें सबसे बड़ा मदरसा उत्तर प्रदेश का दारुल उलूम देवबंद है. ADVERTISEMENT हाल में दारुल उलूम देवबंद ने अपने हॉस्टल के छात्रों से कहा था कि वे गणतंत्र दिवस की दो दिन की छुट्टियों में यात्रा करने से बचें. 'देश के सभी मदरसे बंद हों, नहीं तो मुसलमान चरमपंथी

*🇮🇳 गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं 🇮🇳*

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*बिपिन कुमार चौधरी* BPNPSS MUL (कटिहार) अत्यंत हर्ष की बात है कि आजाद भारत की जनता अपना 70वां गणतंत्र दिवस बड़े हीं धूम-धाम के साथ मनाने जा रही है। सभी सार्वजनिक जगहों पर झण्डोंतोलन, मंच से कुछ बड़ी-बड़ी बातें, देशप्रेम से ओत-प्रोत नारे, कुछ सांस्कृतिक  कार्यक्रम और अल्पाहार वितरण के साथ कर्यक्रम की इतिश्री...। जिंदगी बहुत छोटी है जबकि  इंसान की आवश्यकताएँ अनंत... और इन अनंत आवश्यकताओं को एन-केन-प्रकारेण हासिल करने के लिये लोगों में अजब की प्रतिस्पर्धा है। स्वच्छ प्रतिस्पर्धा मानव उत्थान के लिये नित्य नये आयाम खोलते हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में मानवता और राष्ट्रीय-स्वाभिमान से सौदा कर अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति हेतु अपने पद और अधिकार का दुरूपयोग करने वाले लोग क्या तिरंगा के सामने स्वयं को लज्जित महसूस नहीं करते हैं। अंग्रेजो ने हमारे देश के नागरिकों के साथ काफी अत्याचार और शोषण किया था लेकिन अपने हीं राष्ट्र के लोगों के द्वारा शोषित-पीड़ित व्यक्ति के दिल से पूछिये उन पर तब क्या गुजरती है जब ... 👉🏻  वाजिब कार्य के लिये बिचौलियों की जी-हजुरी करनी पड़ती है।

झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती की हालत देख शायद यही कहेंगे , क्या से क्या हो गए देखते देखते ।

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