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अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान के लिए कंधार की इतनी अहमियत क्यों है?
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13 अगस्त 2021 इमेज स्रोत, AHDESIGNCONCEPTS अक्सर ये कहा जाता है कि जिसने भी कंधार पर नियंत्रण कर लिया, वो पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण कर लेता है. वैसे तो कंधार अफ़ग़ानिस्तान का दूसरा बड़ा शहर है. लेकिन इसकी सामरिक और आर्थिक अहमियत सबसे ज़्यादा है. अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान से वापस जाने के बाद से तालिबान लगातार अपने नियंत्रण का दायरा बढ़ाता जा रहा है. इसी कड़ी में उसने कंधार पर भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है. अफ़ग़ानिस्तान के सबसे बड़े पश्तून समुदाय का ये गढ़ है और यही तालिबान का जन्मस्थान भी है. तालिबान के संस्थापक मौलाना मुल्ला उमर भी कंधार के ही थे. अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई का जन्मस्थान भी यही है. कंधार को समारिक रूप से इसलिए भी अहम माना जाता हैं, क्योंकि यहाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. कृषि और औद्योगिक उत्पादन की दृष्टि से भी कंधार महत्वपूर्ण है और ये अफ़ग़ानिस्तान के मुख्य व्यापारिक केंद्रों में से भी एक है. विज्ञापन तुर्की और तालिबान होंगे आमने-सामने, अर्दोआन ने भी की पुष्टि अफ़ग़ान सरकार ने हार के बीच तालिबान के सामने रखा ये प्रस्ताव कंधार
अफ़ग़ानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच क्या चीन 'मध्यस्थ' की भूमिका निभा सकता है?
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सरोज सिंह बीबीसी संवाददाता 27 जुलाई 2021 इमेज स्रोत, GETTY IMAGES चीन और पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान को 'आतंकवाद का गढ़' नहीं बनने देने के लिए वहाँ के आतंकवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ 'संयुक्त कार्रवाई' करने का फ़ैसला किया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी सोमवार को चीन के दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात की. उस मुलाक़ात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से संवाददाता सम्मेलन में ये ऐलान किया गया. हाल ही में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा था कि वे चीन को अफ़ग़ानिस्तान के एक दोस्त के रूप में देखते हैं. विज्ञापन उन्हें उम्मीद है कि चीन से जितनी जल्दी हो सके, पुनर्निर्माण कार्य में निवेश करने पर बातचीत होगी. तालिबान यह भी कह चुका है कि वो अब शिनजियांग से चीन के वीगर अलगाववादी लड़ाकों को अफ़ग़ानिस्तान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें तालिबान, रूस और चीन को भरोसे में ले रहा है पर भारत की उपेक्षा क्यों? अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का बढ़ता दबदबा, रिश्तों को लेकर भारत का राजनय