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बदले बदले से सरकार नजर आते हैं

मालूम नहीं किस फिल्म का गाना है : बदले बदले से सरकार नजर आते हैं,हम को बर्बादी के आसार नजर आते हैं ,आज के परिद्रिश्य में ये गाना नरेंदर मोदी , और भाजपा ,और RSS के रवैए पर पूरी तरह फिट और हीट मालूम परते हैं,3 अक्टूबर के दैनिक पिन्दार के पहले पेज पर गुजरात के मुख्यमंत्री से सम्बंधित दो प्रमुख खबरें प्रकाशित हुई थी जिस में पहली खबर थी  मोदी ने सोनिया गाँधी से माफी मांगी और दूसरी खबर थी के इसी गाँधी के कातिल के गिरोह का सरगना ये कहता है के गान्धियाई  नजरिये से फ़ायदा उठाना जरुरी है .कहीं ऐसा तो नहीं के 2 अक्तूबर को सूरज पशचिम से उगा था।कयोंके मोदी जैसे मगरूर और गंधियाई नजरियात का विरोधी इन्सान कहता है के गंधियाई आइडियोलोजी के जरिये आज भी संसार दहशतगर्दी ,और ग्लोबलवार्मिंग  का मुकाबला किया जा सकता है .फिर वह सख्स  कहता है के आलमी दहशतगर्दी से बचाने  के लिए   आज भी गंधियाई राह हमवार हैं .नरेंदर मोदी जैसे सफाक कुरुर जालिम सम्प्रदाईक ,भाईचारा  और अमन के दुश्मन की जुबान से ऐसे शब्दों का निकलना न सिर्फ हैरत अंगेज है बल्कि अपनी अजुबियत में सातों अजूबे कमतर नजर आते हैं .पहली खबर के मोदी ने सोनि

जाँच हुई तो फंसे गे कई वरिये अधिकारी?

क्या बिहार सरकार के इस दावे में दम है?के वह नक्सल प्रभावित जिलों में गरीबों को सरकारी योजनाओ लाभ आसानी से मिले सरकार हर संभव प्रयास किये हुए,बिचौलिए  पर  विशेष नजर rakhkhi जा रही है ,मगर बिहार के नक्सल प्रभावित एक जिला से जो खबर मिल रही है वह सरकारी दावे की पोल खोलने के साथ ही कई वरिये पदाधिकारियों को जाँच के दाएरे में ला दिया है     पूरबी चंपारण के फेन्हारा   पर्खंड के बार परसौनी पंचायत के रहने वाली  1.जैलस देवी, पति  राजेन्दर पासवान 2 .रम्भा देवी ,पति सुनील दोनों  का घर पंचायत के गबन्धी  गाँव से है वित्तिय वर्ष 2005-2006 में सरकार ने बेघर होने के कारण एक एक  अदद  घर बनाने के लिए पैसे  दिए ,लाभार्थियों ने बताया है के एक  एक  टेलर ईंट देकर ठग दिया गया  जब इस संबध में तत्कालीन पर्खंड विकास पदाधिकारी से लिखित शिकायत  करने उनके दफ्तर  करने  गई तो रिसीविंग नहीं दिया गया,रिसीविंग देने के  नाम पर तत्कालीन BDO बिगर गए जैसा के लाभार्थियों का कहना है,डांट  डपट करते हुए कहा के करवाई चाहये या रिसीविंग?कारवाई  और आशवासन के बिच 7साल   बीत गए पर आज तक इन्साफ न मिला  किस अधिकारी

पुरबी चंपारण में PDS के लाखों कूपन जाली ?

बिहार के पुरबी चम्पारण के कल्यानपुर ब्लॉक के सिर्फ  manichapra पंचायत में 185 से अधिक PDS कूपन लावारिस अर्थात मिर्तकों ,फर्जी लोगों  के नाम पर मौजूद होने के बावजूद दोषियों पर करवाई हेतु अबतक कोई प्रयास नहीं की गई है,जबके इस सम्बन्ध में बिहार के खाध  एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री शेयाम रजक सहित विभाग के प्रधान सचिव सहित तमाम वरिए पदाधिकारियों को उनके सरकारी मोबाइल पे SMS भेज सूचित भी कर दी गई है,इसके बावजूद करवाई न होने से जनता में तरह तरह की  बातें  की जाने लगी हैं,और ये सवाल सुरु हो गया है के आखिर विभाग के आला अघिकारी फर्जी कूपनो पर सरकारी अनाजो का उठाओ वर्षो से करने वालों पर कारवाई करने से क्यों कतरा रही ?इन सवालों का जवाब जनता जानने  को बेताब है।

पुरबी चंपारण का DEO office ने नितीश कुमार के सुशासन को किया दागदार ?

मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार का सुशासन एक बार फिर कटघेरे में खरा होता मालुम दिखाई पर रहा,वजह बना    है,    इस     बार बिहार का education department ,बतायाजाताहै के पूर्बी चंपारणके फेन्हारा पर्खंड के श्री सुनील कुमार पासवान जो एक  गरीब और अनुसूचित जाती से सम्बन्ध रखते हैं,इनसे सरकार ने 6   सालो से भी जेयदा समय तक पंचायत शिक्चक   (shikchak )   के रूप में काम कराया  जब बात वेतन  भुगतान  की आई     तो       उन्हें अवैध करार दिया जा रहा श्री सुनील कुमार उपरोक्त जिला एवं पर्खंड के बारा परसौनी में 2003 से ही लगातार काम करते आ रहे,इनके वेतन पे रोक साल 2006 में  लगा दी      गई ये   कहते हु के  इनका तीसरा पुनर्नियोजन नहीं हुआ इसलिए इनकी बहाली अवैध है  यहाँ बताते चले के जो भी शिक्चक (shikchak )para teacher  के रूप में कार्ज कर रहे थे सरकार ने अपने एक आदेश  के जरिये उन्हें पंचायत shikchak मान चुकी ऐसी हालत में श्री सुनील कुमार पासवान और बाकी पंचायत shikchak      अवैध किस कानून के तेहत हुए?एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारीयों को इसबात का जवाब देना होगा अगर कोई कहे के इन सभी को बहुत पहले ही हटा दि

बरमेश्वर मुखिया का कत्ल और सीबीआई जाँच

ranweer sena के चीफ बरमेश्वर मुखिया के क़त्ल को मुद्दा बनाकर इसपर सियासत तेज़ करदी गई है वह लीडर जो बर्मेस्वर मुखिया को कभी अच्छी निगाह से नहीं देखते थे इस कत्ल के बाद अब तो वह भी इसके गम में आंसू बहाने में लगे हैं और यज साबित करना चाहते हैं के इस मुखिया ने अपनी जिंदगी में सैकरों हरिजनों और दलितों का जो सामूहिक कत्लेआम किया और अपनी रणवीर सेना के जरिये उनकी बस्तियों को घेरकर उन में आग लगा दी वह बिलकुल जाएज थी वह रणवीर  सेना जो हरिजनों और दलितों की दुश्मनी में बनायीं गई थी उस के संस्थापक के क़त्ल पे आज खुद उन ही हरिजनों और दलितों के लीडरान आंसू बहा रहे हैं और इसपर अपनी सियासत कररहे हैं .इन सियासी लीडरों की करतब बाजी से ये साबित होता है के यहाँ की सियासत में दोगलापन भरा हुआ है और सियासत दानो की कोई स्थाई सीधी रह नहीं है .सवाल ये पैदा होता  है के बरमेश्वर मुखिया क्या था?उसके जिन्दा रहने से राष्ट्र को क्या फायेदा था?और उसके क़त्ल से राष्ट्र को क्या नुकसान हो गया ?इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं इभी बरमेश्वर मुखिया के क़त्ल के बाद जो उनके हम्दर्स सामने आये हैं वह उनके हमदर्द हरगिज नहीं है